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यादव सिंह की सीबीआई जांच-हाईकोर्ट

सीबीआई जांच का दायरा बढ़ाने का स्वागत-बाजपेयी

जांच के दायरे में नोयडा के बारह साल के मामले शामिल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 16 July 2015 12:20:22 PM

yadav singh

लखनऊ। भारत के सबसे धनी और विशाल क्षेत्रफल में फैले नोयडा में चीफ इंजीनियर यादव सिंह की संपत्ति की सीबीआई जांच करेगी। सोशल एक्टीविस्ट और उत्तर प्रदेश के एक्टीविस्ट आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर की जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यादव सिंह की संपत्तियों की सीबीआई से जांच कराने का फैसला सुनाया है। खंडपीठ ने इस मामले में सरकार की एसआईटी गठित करने की दलील सहित सारे तर्क किनारे कर दिए। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला की पीठ के समक्ष जनहित याचिका की सुनवाई में यादव सिंह, राज्य सरकार, नोयडा विकास प्राधिकरण की ओर से वकीलों ने अपना-अपना पक्ष रखा। आयकर विभाग की जांच में यादव सिंह की अकूत संपत्ति का खुलासा होने के बाद सीबीआइ जांच की मांग को ठुकराते हुए राज्य सरकार ने न्यायिक जांच आयोग बनाया था। नूतन ठाकुर ने इसी के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। जांच के दायरे में नोयडा के बारह साल के मामले शामिल किए गए हैं।
यादव सिंह का उदय मायावती के पहले शासनकाल में हुआ। उसने आर्थिक और राजनीतिक साम्राज्य स्थापित करने के लिए पहले राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों, ठेकेदारों और बदमाशों को अपने सिंडिकेट में शामिल किया, उन्हें टूल की तरह इस्तेमाल किया और फिर दौलत कमाने और कमवाने का पूरा खेल खेला। इसीका नतीजा था कि उसके कारनामों की जांच कभी चल ही नहीं सकी। यादव सिंह के भ्रष्ट कारनामों के दस्तावेज मुख्यमंत्री कार्यालय, सीबीसीआइडी, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय में लंबे समय से मौजूद हैं, तथापि उनकी अनदेखी करके उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार में यादव सिंह को ही मौका देती रही और नोयडा अथॉरिटी का चीफ इंजीनियर तक बना दिया गया। अखिलेश यादव सरकार ने आते ही यादव सिंह को निलंबित तो कर दिया था और सीबीसीआइडी जांच भी बैठा दी, मगर इसमें यादव सिंह को आश्चर्यजनक रूप से क्लीनचिट देने के साथ ही उसको नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण तक का चीफ इंजीनियर बना दिया गया। अखिलेश सरकार ने पहले तो यादव सिंह को कई मामलों में निलंबित किया, मगर कुछ समय बाद ही नोयडा, ग्रेटर नोयडा का चीफ इंजीनियर बनाने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लोकापवाद और गंभीर आलोचनाओं का सामना भी कर रहे थे।
यादव सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि आगरा के दलित परिवार की है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमाधारी यादव सिंह ने 1980 में जूनियर इंजीनियर के तौर पर नोयडा में काम शुरू किया। मायावती जब पहली बार मुख्यमंत्री बनीं तो यादव सिंह को प्रमोशन देकर सहायक प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर तैनात करके प्रोजेक्ट इंजीनियर का चार्ज दे दिया गया। यादव सिंह को 2002 में नोयडा में चीफ मेंटिनेंस इंजीनियर के पद पर तैनात कर दिया गया और यहां उसने न केवल अकूत दौलत कमाने का और भी बड़ा खेल खेला, अपितु नोयडा-ग्रेटर नोयडा के सीईओ और इंजीनियरों की तैनाती उसकी सिफारिश पर होने लगी। एक समय ऐसा आया कि उसने मायावती के ही शासनकाल में इस पद को खत्म कराकर अपने लिए इंजीनियर इन चीफ का पद सृजित करा लिया। उसके बाद और क्या-क्या हुआ और हो रहा है, आप सबके सामने है। सीबीआई की जांच यदि सही दिशा में चली तो यह मामला कई दिग्गजों को सलाखों के पीछे पहुंचा देगा।
नूतन ठाकुर की याचिका में है कि मामला बहुत बड़े घोटाले का है, इसमें कई सरकारों व कई दलों से जुड़े नेताओं, नौकरशाहों और व्यापारियों की मिलीभगत है। पहले भी निलंबित हुए यादव सिंह को क्लीन चिट देकर ग्र्रेटर नोयडा, यमुना एक्सप्रेस-वे आदि में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया। निलंबन के बाद सीबीसीआइडी जांच में अंतिम रिपोर्ट लगाकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। ग्रेटर नोयडा में नियम कायदों को दरकिनार कर करोड़ों के भूखंड आवंटित किए गए। यादव सिंह के वकील का कहना था कि याचिका केवल समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों पर आधारित है और जब सरकार ने न्यायिक जांच आयोग गठित कर रखा है तो सीबीआई जांच उचित नहीं है। सरकार की ओर से कहा गया कि वह यादव सिंह को बचाना नहीं चाहती है, बल्कि एक साथ दो जांचों को औचित्यहीन मानती है, लेकिन हाईकोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना। हाईकोर्ट ने यादव सिंह प्रकरण को अत्याधिक गंभीर माना है और कहा है कि उसे नहीं लगता कि अन्य एजेंसियां इसकी सही से जांच कर सकती हैं।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के नोएडा प्राधिकरण एवं यमुना एक्सप्रेस-वे के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह के भ्रष्टाचार के मामले की सीबीआई जांच के आदेश का स्वागत किया है। भाजपा अध्यक्ष डॉ बाजपेयी ने कहा कि न्यायालय का निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार के मुंह पर तमाचा है। उन्होंने कहा कि महाभ्रष्ट यादव सिंह प्रकरण की जांच का दायरा 12 साल रखना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस महाघोटाले की जांच से राजनेता और अधिकारियों का भ्रष्टाचारी गठजोड़ उजागर होगा। डॉ बाजपेयी ने कहा कि प्रदेश सरकार सीबीआई जांच से भयभीत है और उसने जांच रोकने में पूरी ताकत झोंकी, लेकिन न्यायालय के सामने उसकी एक भी दलील खड़ी नहीं हो पाई।
डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि आखिर वो कौन सा कारण है कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहले यादव सिंह को निलंबित करते हैं, फिर उनको नोएडा की सभी अथारिटी का चीफ इंजीनियर बना देते हैं? यादव सिंह के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने आंदोलन चलाया, फिर भी सतारूढ़ सपा सरकार पूरी तरह उसको क्लीन चिट देने में लगी रही। उन्होंने कहा कि अब व्यापक सीबीआई जांच के लिए आवश्यक है कि नोएडा विकास प्राधिकरण के सीईओ रमारमण और वहां के वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल हटाकर वहां पारदर्शी अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। उन्होंने कहा कि नोएडा प्राधिकरण में विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार उजागर होना अभी बाकी है।
कांग्रेस पार्टी ने हजारों करोड़ रुपये घोटाले के आरोपी यादव सिंह की सीबीआई जांच कराने के हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने एक बयान में कहा है कि यादव सिंह प्रकरण में कोई कार्रवाई न करना यह साबित करता है कि राज्य सरकार के मंत्री और विधायक इस प्रकरण में भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देते रहे हैं, यही कारण है कि प्रदेश में अपराधियों एवं भ्रष्टाचारियों की समानांतर सरकार स्थापित हो गई है, जो प्रदेश की जनता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका कहना है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश से यह साबित होता है कि भ्रष्टाचारियों एवं अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति प्रदेश सरकार में नहीं है अथवा ऐसे तत्वों को प्रदेश सरकार संरक्षण दे रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश में तमाम मामलों में राज्य सरकार की ऐसी ही कार्यप्रणाली के चलते न्यायालय को बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ा है और राज्य सरकार को बार-बार मुंह की खानी पड़ी है, न्यायालय के इस निर्णय से आम जनता का विश्वास न्यायपालिका के प्रति और भी अधिक पुख्ता हो गया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में जब-जब समाजवादी पार्टी सत्ता में आती है, भ्रष्टाचारियों और अपराधियों के पौ बारह हो जाते हैं और इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि चाहे वह एनआरएचएम घोटाला हो, खाद्यान्न घोटाला या तिरपाल घोटाला हो, खनन घोटाले सहित तमाम भ्रष्टाचार के मामलों में राज्य सरकार ने अभी तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की है बल्कि इन घोटालों पर पर्दा डालने का काम किया है।

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