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दीपावली पर्व की वैश्विक लोकप्रियता बढ़ी!

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में दीपावली दर्ज

भारत व विश्वभर के समुदायों केलिए अत्यंत गौरव का क्षण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 10 December 2025 03:19:35 PM

diwali is listed on the unesco intangible cultural heritage list

नई दिल्ली। भारतभर सहित विदेश में व्यापक रूपसे मनाई जानेवाली जीवंत परंपराओं में से एक दीपावली को आज यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित कर लिया गया है। लालकिले नई दिल्ली में आयोजित यूनेस्को की अंतर सरकारी समिति के 20वें सत्र में इस शिलालेख को केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल, संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और 194 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, अंतर्राष्‍ट्रीय विशेषज्ञों और यूनेस्को के वैश्विक नेटवर्क के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अपनाया गया। गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस अवसर पर कहा हैकि यह शिलालेख भारत और विश्वभर के उन समुदायों केलिए अत्यंत गौरव का क्षण है, जो दीपावली की शाश्वत भावना को जीवित रखते हैं। उन्‍होंने कहाकि यह त्योहार ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ के सार्वभौमिक संदेश का प्रतीक है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर लेजाने की भावना को दर्शाता है और आशा, नवजीवन तथा सद्भाव का प्रतिनिधित्व करता है।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने त्योहार की जीवंतता और जनकेंद्रित प्रकृति का उल्‍लेख करते हुए कहाकि दीपावली उत्‍सव के पीछे लाखों लोगों का योगदान होता है, जिनमें दीये बनाने वाले कुम्हार, उत्सव की सजावट करने वाले कारीगर, किसान, मिठाई बनाने वाले, पुजारी और सदियों पुरानी परंपराओं को निभाने वाले परिवार शामिल हैं। उन्होंने कहाकि यह मान्यता उस सामूहिक श्रम को श्रद्धांजलि है, जो इस परंपरा को कायम रखता है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों की जीवंत भूमिका को भी स्वीकार किया, जिनके दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका, खाड़ी देशों, यूरोप और कैरेबियन में मनाए जानेवाले दीपावली समारोहों ने दीपावली के संदेश को महाद्वीपों में फैलाया है और सांस्कृतिक सेतुओं को मजबूत किया है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहाकि इस शिलालेख केसाथ ही इस विरासत की रक्षा करने और इसे भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने की नई जिम्मेदारी भी आती है। उन्होंने नागरिकों से दीपावली की एकता की भावना को अपनाने और भारत की समृद्ध अमूर्त सांस्कृतिक परंपराओं का समर्थन जारी रखने का आग्रह किया।
दीपावली को इसकी गहरी सांस्कृतिक महत्ता और विभिन्न क्षेत्रों, समुदायों तथा वैश्विक भारतीय प्रवासी समुदाय में मनाए जानेवाले जन त्योहार के रूपमें मान्यता प्राप्त है। यह एकता, नवीनीकरण और सामाजिक सामंजस्य के सिद्धांतों का प्रतीक है। दीये जलाना, रंगोली बनाना, पारंपरिक शिल्पकला, अनुष्ठान, सामुदायिक समारोह और पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान का हस्तांतरण जैसी इसकी विविध प्रथाएं त्योहार की शाश्वत जीवंतता और भौगोलिकता की सीमाओं के भीतर अनुकूलन करने की क्षमता को दर्शाती हैं। संगीत नाटक अकादमी के माध्यम से संस्कृति मंत्रालय के तैयार किए गए इस नामांकन में भारतभर के कलाकारों, शिल्पकारों, कृषि समुदायों, प्रवासी समूहों, विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों, ट्रांसजेंडर समुदायों, सांस्कृतिक संगठनों और परंपरा के वाहकों केसाथ व्यापक राष्ट्रव्यापी परामर्श किया गया। उनके सामूहिक अनुभवों ने दीपावली के समावेशी स्वरूप, समुदाय आधारित निरंतरता और कुम्हारों और रंगोली कलाकारों से लेकर मिठाई बनाने वालों, फूल विक्रेताओं और शिल्पकारों तक आजीविका के व्यापक इकोसिस्‍टम को उजागर किया।
संस्कृति मंत्रालय ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा हैकि यह शिलालेख भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के बारेमें वैश्विक जागरुकता को बढ़ावा देगा तथा भावी पीढ़ियों केलिए समुदाय आधारित परंपराओं की रक्षा के प्रयासों को सुदृढ़ करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल किए जाने पर प्रसन्नता और गर्व व्यक्त किया है। यूनेस्को के हैंडल एक्स पर एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहाकि भारत और दुनियाभर के लोग रोमांचित हैं, हमारे लिए दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है, यह हमारी सभ्यता की आत्मा है, यह प्रकाश और धार्मिकता का प्रतीक है। उन्होंने कहाकि दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल करने से इस पर्व की वैश्विक लोकप्रियता और ज्यादा बढ़ेगी एवं प्रभु श्रीराम के आदर्श हमारा शाश्वत रूपसे मार्गदर्शन करते रहेंगे।

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