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प्रौद्योगिकी से देश की प्रगति तेज हुई-उपराष्ट्रपति

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र का बीसवां दीक्षांत समारोह

उपराष्ट्रपति ने की एनआईटी कुरुक्षेत्र की प्रगति की सराहना

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Monday 1 December 2025 12:16:33 PM

20th convocation of national institute of technology kurukshetra

कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के 20वें दीक्षांत समारोह में एनआईटी कुरुक्षेत्र की जोरदार सराहना करते हुए कहा हैकि यह एक समृद्ध विरासत, जीवंत वर्तमान और भविष्य वाला संस्थान है, जोकि देश में तकनीकी शिक्षा के मानकों को सर्वश्रेष्ठ आकार दे रहा है, यह भारत के प्रमुख तकनीकी संस्थानों में से एक है। उन्होंने कहाकि कुरुक्षेत्र एक पवित्र भूमि है, जो हमें याद दिलाती हैकि अधर्म पर धर्म की हमेशा विजय होती आई है, चाहे अधर्म कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो। उपराष्ट्रपति ने कहाकि दीक्षांत समारोह केवल एक समारोह नहीं, बल्कि एक ऐसा क्षण आता है, जब वर्षों का समर्पण गर्व, आशा और अवसर से भरी नई शुरुआत में बदलता है। उपराष्ट्रपति वैश्विक परिवर्तन पर बोले। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा और सेमीकंडक्‍टर के क्षेत्रमें प्रौद्योगिकी के विकास को भारत की तेज प्रगति से जोड़ा।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहाकि प्रौद्योगिकी उद्योगों को नया रूप देने और समाज के कामकाज के तरीके को पुन:परिभाषित करने में एक शक्तिशाली माध्यम बन गई है। उन्होंने विद्यार्थियों से ज़िम्मेदारी से नवाचार करने का आग्रह किया और कहाकि प्रौद्योगिकी का असली उद्देश्य केवल प्रगति नहीं, बल्कि उद्देश्यपूर्ण प्रगति है। विद्यार्थियों को अनुसंधान, नवाचार और समस्या समाधान में गहराई से प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहाकि ये इंजन भारत के तकनीकी नेतृत्व को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने राष्ट्रीय महत्व के उभरते क्षेत्रों-टिकाऊ विनिर्माण, स्मार्ट मोबिलिटी, क्वांटम प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी, कृषि नवाचार और हरित बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में अनुसंधान करने पर बल दिया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत प्रौद्योगिकी के उपयोगकर्ता से उन्नत समाधानों का वैश्विक निर्माता बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। उन्होंने एक जीवंत उद्यमशीलता तंत्र को बढ़ावा देने केलिए डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहलों को श्रेय दिया और स्नातकों से अपने विचारों को ऐसे उद्यमों में बदलने का आग्रह किया जो रोज़गार का सृजन करें और राष्ट्रीय विकास में योगदान दें।
समकालीन वैश्विक चुनौतियों-जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा खतरे, प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच और एआई के नैतिक उपयोग को स्वीकार करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि ये नवाचार और नेतृत्व केलिए अपार अवसर भी प्रदान करते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 को लागू करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता उल्लेखित किया। उन्होंने कहाकि यह नीति बहुविषयक शिक्षा के अवसर प्रदान करती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत की संस्कृति, विरासत और लोकाचार में गहराई से निहित है, एनईपी-2020 ने मैकाले शिक्षा प्रणाली की औपनिवेशिक छाप को तोड़कर भारत को परिवर्तनकारी पथ पर अग्रसर किया है। उन्होंने कहाकि मैकाले की शिक्षा प्रणाली भारत पर शासन करने केलिए शुरू की गई थी, जो केवल क्लर्क तैयार करती थी। उन्होंने समग्र शिक्षा पर संस्थान के फोकस और समग्र व्यक्तित्व विकास केंद्र (सीएचपीडी) की स्थापना की सराहना की, जो श्रीमद्भागवद गीता, सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों, संज्ञानात्मक विज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य पर पाठ्यक्रमों के माध्यम से बौद्धिक, भावनात्मक और नैतिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
विकसितभारत@2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण का उल्‍लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि एनआईटी कुरुक्षेत्र के स्नातक इस लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहाकि एनआईटी को अबतक 64 पेटेंट प्रदान किए गए हैं, जो अनुसंधान, नवाचार और बौद्धिक संपदा निर्माण की इसकी मजबूत संस्कृति को दर्शाता है। उन्होंने डीआरडीओ और इसरो के सहयोग से एआई आधारित युद्ध, रक्षा अनुसंधान, चंद्रयान और मार्स ऑर्बिटर मिशन जैसे अंतरिक्ष मिशनों में उन्नत तकनीकों में संस्थान के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। उन्‍होंने गांवों और झुग्गियों में जीवनस्‍तर में सुधार के लक्ष्‍य से कम लागत आधारित अनुसंधान, स्‍वदेशी तकनीक के माध्‍यम से आत्‍मनिर्भर भारत केलिए संस्‍थान के प्रयासों की प्रशंसा की। विद्यार्थियों से भारत की विकास यात्रा से जुड़े रहने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहाकि अनुसंधान को शहरी-ग्रामीण खाई को पाटने, एमएसएमई को सशक्त बनाने, कृषि को आधुनिक बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सहायता करनी चाहिए, ताकि प्रौद्योगिकी अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके। उन्होंने कहाकि हमें प्रतिभा पलायन से प्रतिभा से लाभ की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने स्नातकों को प्रोत्साहित कियाकि वे जहां भी जाएं भारत को अपने दिल में रखें।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भारत के युवाओं से अपनी आकांक्षाओं को व्यक्त करते हुए कहाकि उनका मानना हैकि अगला गूगल, अगला टेस्ला, अगला स्पेसएक्स भारत से हो एनआईटी कुरुक्षेत्र जैसे संस्थानों से हो। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से नशे को ना कहकर अनुशासित जीवन जीने की भी अपील की। उन्होंने स्नातकों को याद दिलायाकि उनकी डिग्री एक समापन बिंदु नहीं है, बल्कि एक नई जिम्‍मेदारी की शुरूआत है। उन्‍होंने विद्यार्थियों से सृजनात्‍मकता, मानवीयता और करूणा से समाज की सेवा करने का आग्रह किया। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल प्रोफेसर आशिम कुमार घोष, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, एनआईटी कुरुक्षेत्र के निदेशक प्रोफेसर बीवी रमना रेड्डी, एनआईटी कुरुक्षेत्र के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की अध्यक्ष डॉ तेजस्विनी अनंत कुमार और शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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