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'हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में कोई अंतर्द्वंद नहीं'

गांधीनगर में 5वे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में बोले अमित शाह

'गुजरात हिंदी व गुजराती भाषाओं के विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 15 September 2025 03:39:32 PM

5th all india official language conference at gandhinagar

गांधीनगर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस पर गांधीनगर में आयोजित पांचवे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में कहाकि राजभाषा हिंदी तकनीक, विज्ञान और शोध की भाषा बन रही है। उन्होंने कहाकि हिंदी भारतीय भाषाओं की सखी है और हिंदी व भारतीय भाषाओं केबीच कोई अंतर्द्वंद नहीं है, वे एकदूसरे की पूरक हैं। अमित शाह ने कहाकि इसका सबसे बड़ा उदाहरण गुजरात है, गुजरात में स्वामी दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल और केएम मुंशी जैसे अनेक विद्वानों ने हिंदी को स्वीकार किया और इसका प्रचार प्रसार भी किया। उन्होंने कहाकि गुजराती और हिंदी के सहअस्तित्व से गुजरात दोनों भाषाओं के विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। अमित शाह ने कहाकि गुजरात में शिक्षा में हिंदी का भी स्थान है, इसके कारण देशभर में गुजरात के बच्चों की पहुंच बहुत बढ़ी है। उन्होंने हिंदी को हर राज्य में बढ़ावा देने का आग्रह किया और कहाकि कई दूरदर्शी नेताओं ने भारतीय भाषाओं को एकदूसरे केसाथ संवाद करना सिखाया, जिसके परिणामस्वरूप गुजरात का व्यक्ति देशभर में कहींभी जाकर सुगमता से व्यापार करता है और स्वीकृति भी प्राप्त करता है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि बीते 5 साल से अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहा है, जिससे राजभाषा हिंदी और देश की दूसरी भाषाओं केबीच संवाद बढ़ाने का बहुत अच्छा अवसर मिला है। उन्होंने कहाकि पिछले 4 सम्मेलनों का यह अनुभव रहा हैकि इससे नई दृष्टि, ऊर्जा और प्रेरणा प्राप्त होती है। अमित शाह ने कहाकि हिंदी सिर्फ बोलचाल और प्रशासन की भाषा नहीं होनी चाहिए, बल्कि विज्ञान, तकनीक, न्याय और पुलिस की भाषा भी होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि जब सारा कामकाज भारतीय भाषाओं मे होता है तो जनता केसाथ संपर्क अपने आप बढ़ जाता है। गृहमंत्री ने राजभाषा विभाग के बहुभाषी अनुवाद सॉफ्टवेयर ‘सारथी’ का लोकार्पण किया और कहाकि सारथी अनुवाद प्रणाली में हिंदी से भारत की सभी मान्य भाषाओं में सरलता से अनुवाद करने की व्यवस्था है। अमित शाह ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहाकि वे अपनी-अपनी भाषा में उन्हें पत्र भेजें और पत्र का उत्तर उन्हें उनकी भाषा में ही भेजा जाएगा। उन्होंने कहाकि पत्र चाहे किसीभी भाषा में हो, सारथी में उसके अनुवाद की व्यवस्था की गई है, हिंदी भाषा में हमारे जवाब के उनकी भाषा में ही अनुवाद की भी व्यवस्था है। उन्होंने कहाकि आनेवाले दिनों में सारथी के जरिए हम सबका संपर्क स्वभाषा में ही होगा।
अमित शाह ने उल्लेख कियाकि शिवाजी महाराज ने स्वराज की लड़ाई में स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा के तीन बिंदु रखे थे, ये तीनों बिंदु एकदूसरे और देश के स्वाभिमान से जुड़े हैं। उन्होंने कहाकि जिस देश में बोलचाल की भाषा अपनी न हो, वह देश स्वतंत्रता की कामना और स्वाभिमान की अनुभूति नहीं कर सकता। अमित शाह ने कहाकि यह तभी संभव है, जब हमें अपनी भाषओं पर गर्व हो, इसीलिए हमने शब्दसिंधु कोष बनाया है, यह 51 हज़ार शब्दों से शुरू हुआ था और आज 7 लाख शब्दों को पार कर चुका है। अमित शाह ने विश्वास व्यक्त कियाकि 2029 तक यह दुनिया की सभी भाषाओं में सबसे बड़ा शब्दकोष बन जाएगा, इससे हिंदी भाषा को और लचीला बनाना शुरू किया गया है। अमित शाह ने कहाकि हिंदी को बोलचाल की भाषा तभी बना सकते हैं, जब वह लचीली बने। उन्होंने कहाकि शब्दसिंधु का प्रयोग हिंदी को बहुपयोगी, लचीली और लोकभोग्य बनाएगा। गृहमंत्री ने जिक्र कियाकि महात्मा गांधी ने गुजराती शब्दकोष की रचना में बहुत बड़ा योगदान दिया था, वे जानते थेकि जबतक अपनी भाषा मज़बूत नहीं होती, तबतक कोई समाज उन्नत मस्तक केसाथ विश्व के सामने खड़ा नहीं हो सकता। उन्होंने कहाकि महात्मा गांधी कहते थेकि हिंदी वह भाषा है, जो देश को एकसूत्र में बांधकर रखती है। उन्होंने कहाकि संस्कृत ने हमें ज्ञान की गंगा दी है और हिंदी ने उस ज्ञान को हर घर और मातृभाषा ने उसे जनजन तक पहुंचाया है।
अमित शाह ने कहाकि 14 सितंबर के दिन ही भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूपमें चुना था। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से भारतीय भाषाओं को बल दिया है, उससे भारतीय भाषाओं और राजभाषा हिंदी का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। अमित शाह ने अभिभावकों से आग्रह हैकि वे अपने बच्चों से मातृभाषा में संवाद करें, बच्चों को मातृभाषा बोलना, पढ़ना और लिखना सिखाएं, यह देश केसाथ-साथ बच्चे के भविष्य केलिए भी बहुत ज़रूरी है। गृहमंत्री ने कहाकि गुजरात में कभी भाषा का द्वंद नहीं रहा और यहां हमेशा सभी भाषाओं का सम्मान हुआ है। उन्होंने कहाकि दिव्यांगजनों की सुविधा केलिए बहुत काम किया गया है, उनकी ताकत का पूरा दोहन करने केलिए विज्ञान और तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। अमित शाह ने कहाकि एआई संचालित चश्मा दिव्यांगजनों की बहुत मदद करेगा, इससे पूर्णरूप से दृष्टिबाधित होने के बावजूद पढ़ सकेंगे, वे एआई संचालित चश्मे की सहायता से जोभी पढ़ेंगे अपनी ही मातृभाषा में उसे सुन सकेंगे। अमित शाह ने कहाकि स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने केलिए तकनीकी माध्यम से बहुत काम किए गए हैं। उन्होंने कहाकि गृह मंत्रालय ने राजभाषा विभाग के अंतर्गत भारतीय भाषा अनुभाग बनाया है, यह अनुभाग हिंदी ही नहीं, बल्कि सभी भारतीय भाषाओं को बल देगा और उन्हें आगे बढ़ाने का काम करेगा।
गृहमंत्री ने कहाकि राजभाषा विभाग ने कई कामों को आगे बढ़ाया है, देश के लगभग 539 नगरों में राजभाषा समिति का गठन हो चुका है, लगभग 3 लाख 28 हज़ार दूसरी भाषाओं के सरकारी कर्मियों का हिंदी में प्रशिक्षित किया गया है, 40 हज़ार कर्मचारियों को टंकण, 1918 को आशुलिपि और 13 हज़ार कर्मचारियों को अनुवाद का प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहाकि जेईई, नीट और यूजीसी की परीक्षाएं 12 भाषाओं में होने लगी हैं, जिससे मातृभाषा में पढ़नेवाले बच्चों के इन परीक्षाओं में सफल होने की संभावनाएं बढ़ी हैं। अमित शाह ने कहाकि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की परीक्षाएं भी अब 12 भाषाओं में कराई जाती हैं। उन्होंने कहाकि 70 के दशक में कहा जाता थाकि हिंदी अब भूतकाल बनने जा रही है, लेकिन आज गर्व से हम कहते हैंकि राजभाषा और सभी भारतीय भाषाएं भविष्य की भाषाएं हैं, ये तकनीक, विज्ञान और न्याय की भी भाषाएं बनेंगी। गृहमंत्री ने सम्मेलन में राजभाषा विभाग के 7 लाख से अधिक शब्द संपदा वाले ‘हिंदी शब्द-सिन्धु’ शब्दकोष का लोकार्पण किया और राजभाषा कीर्ति एवं राजभाषा गौरव पुरस्कार वितरित किए। उन्होंने केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान के हिंदी मानक आशुलिपि स्वशिक्षण मॉड्यूल का विमोचन किया, दिव्यांगजन को पढ़ने और अन्य कार्यों में सुगमता हो, इसके लिए एआई संचालित चश्मे भी वितरित किए। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार और देशभर से आए भाषाप्रेमी उपस्थित थे।

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