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Monday 8 July 2024 01:45:03 PM
पुरी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज सुबह पवित्र शहर पुरी के समुद्र तट पर कुछ पल बिताए। उन्होंने प्रकृति केसाथ इतनी निकटता के अनुभव के बारेमें X पर अपने विचार भी लिखे। राष्ट्रपति ने लिखाकि ऐसी जगहें हैं, जो हमें जीवन के सार के करीब लाती हैं और हमें स्मरण दिलाती हैं कि हम प्रकृति का भाग हैं, पहाड़, जंगल, नदियां और समुद्र तट हमारे अंतर्मन को आकर्षित करते हैं। उन्होंने लिखाकि आज जब मैं समुद्र तट पर टहल रही थी तो आसपास के वातावरण केसाथ मुझे गहरा जुड़ाव महसूस हुआ, शीतल पवन लहरों की गर्जना और पानी का अथाह विस्तार, यह एक ध्यान में होने जैसा अनुभव था। उन्होंने लिखाकि मुझे एक गहन शांति की अनुभूति हुई, जो मैंने कल महाप्रभु श्रीजगन्नाथजी के दर्शन करते समय महसूस की थी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने X पर लिखाकि ऐसा अकेला मेरा अनुभव नहीं है, हमसब ऐसा महसूस करते हैं, जब हमारा साक्षात्कार उस अनंत से होता है, जो शक्ति हमें कायम रखती है और हमारे जीवन को सार्थकता देती है। उन्होंने लिखाकि रोज़मर्रा की आपा-धापी में हम प्रकृति से अपना नाता भूल जाते हैं, मानवजाति मानती हैकि उसने प्रकृति पर कब्ज़ा कर लिया है और अपने अल्पकालिक लाभों केलिए उसका दोहन कररही है, जिसका नतीजा सबके सामने है। उन्होंने लिखाकि इस साल गर्मी में भारत के कई हिस्से भीषण लू के चपेट में थे, हालके वर्षों में दुनियाभर में मौसम की अति की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और आनेवाले दशक में स्थिति और भी विकट होने का अनुमान है। राष्ट्रपति ने लिखाकि पृथ्वी की सतह का सत्तर प्रतिशत हिस्सा महासागरों से बना है और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से वैश्विक समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय इलाकों के डूबने का ख़तरा है। उन्होंने लिखाकि महासागर और वहां पाए जानेवाले वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता को विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारण भारी नुकसान हुआ है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लिखाकि सौभाग्य से प्रकृति की गोद में रहने वालों ने ऐसी परंपराएं कायम रखी हैं, जो हमें रास्ता दिखा सकती हैं, उदाहरण केलिए तटीय क्षेत्रों में रहने वाले हवाओं और समुद्र की लहरों की भाषा पहचानते हैं, हमारे पूर्वजों की तरह वे समुद्र को भगवान के रूपमें पूजते हैं। राष्ट्रपति ने लिखाकि मैं मानती हूंकि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती से निपटने के दो तरीके हैं, पहला व्यापक कदम जो सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से उठाए जा सकते हैं और दूसरा छोटे स्थानीय कदम जो हम नागरिकों के रूपमें उठा सकते हैं। उन्होंने लिखाकि हम अपने बच्चों केप्रति ऋणी हैं, तो आइए बेहतर कल केलिए व्यक्तिगत रूपसे और स्थानीय स्तरपर हम पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण का संकल्प लें।