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डीआरडीओ की संगोष्ठी और उद्योग बैठक

आत्मनिर्भरता से भारत 2047 में विकसित राष्ट्र बनेगा-अरामाने

'सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी'

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Thursday 9 May 2024 06:39:17 PM

inaugurated national symposium on emerging technologies in infrastructure development

नई दिल्ली। भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की 'बुनियादी ढांचे के विकास में उभरती प्रौद्योगिकियों' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी और उद्योग बैठक का रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने ने आज नई दिल्ली में उद्घाटन किया। रक्षा सचिव ने भविष्य की चुनौतियों से निपटने केलिए हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि भारत एक ऐसा देश है, जहां बड़ी संख्या में युवा आबादी है और आत्मनिर्भरता उनके लिए लाभकारी रोज़गार सुनिश्चित करेगी। रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' हासिल करने के महत्व को रेखांकित करते हुए गिरिधर अरमाने ने कहाकि भू-राजनीति में कोई विश्वसनीय प्रवृत्ति नहीं है और भारत अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा केलिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रह सकता है। उन्होंने कहाकि आत्मनिर्भरता भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर बड़े कदम उठाने में मदद करेगी।
रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने ने सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार द्वारा दिए जा रहे जोर पर प्रकाश डालते हुए बुनियादी ढांचा कंपनियों से इस तंत्र को और मजबूत करने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि जहां सशस्त्र बल के जवानों को नवीनतम हथियार या उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, वहीं निजी क्षेत्र को सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में योगदान देना चाहिए। उन्होंने वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने मूल स्थानों पर रहने केलिए प्रेरित करना है और कंपनियों से अपने संबंधित संगठनों के भीतर एक अलग अनुभाग स्थापित करने का आग्रह किया, जो दूर-दराज के क्षेत्रों में विकास पर केंद्रित हैं। गिरिधर अरमाने ने कहाकि डीआरडीओ अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र को सहायता प्रदान कर रहा है और साथ मिलकर वे आनेवाले समय में तेजीसे और बेहतर निर्माण केलिए नए नवाचार ला सकते हैं। उन्होंने उद्योग जगत का सरकार केसाथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने और समयबद्ध तरीके से गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के बड़े पैमाने पर उत्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।
रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने ने उद्योग जगत से कार्यबल के कौशल को बढ़ाने केलिए शिक्षा जगत के साथ सहयोग करने का भी आग्रह किया, जो किसी प्रौद्योगिकी को उत्पाद में बदलने में मदद कर सकता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने राष्ट्र के विकास में बुनियादी ढांचे के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि भारत तकनीकी बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देख रहा है, जो देश की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने केलिए आवश्यक है। डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहाकि प्रौद्योगिकी तेजीसे विकसित हो रही है और टिकाऊ बुनियादी ढांचे एवं हरित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता अब तकनीकी क्षेत्र का हिस्सा बन रही है। उन्होंने कहाकि यह हमारे तकनीकी बुनियादी ढांचे में नवीनतम तकनीकों को शामिल करने के तरीकों का पता लगाने का समय है, हमने अच्छी शुरुआत की है, लेकिन सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने केलिए काम करने की जरूरत है। महानिदेशक संसाधन एवं प्रबंधन पुरूषोत्तम बेज ने कहाकि संगोष्ठी में पांच तकनीकी सत्रों केसाथ 500 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे, इनमें उपयोगकर्ता, उद्योग, शिक्षा जगत के विशेषज्ञ और डीआरडीओ के वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे के विकास में उभरती प्रौद्योगिकियों पर विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।
डीआरडीओ की संगोष्ठी और उद्योग बैठक में हुए विचार-विमर्श उपयोगकर्ताओं, योजनाकारों, डिजाइनरों, वास्तुकारों और अधिकारियों को सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने केलिए प्रेरित करेगा, जो बड़े पैमाने पर देश में बुनियादी ढांचे के विकास केलिए एक शानदार भविष्य की दिशा में कदम साबित होगा। रक्षा सचिव ने इस मौके पर उद्योग साझेदार प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया, जिसमें विभिन्न उद्योग भागीदारों की विकसित नवीनतम प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। एक संगोष्ठी स्मारिका और अनुसंधान एवं विकास निर्माण स्थापना कार्य प्रक्रिया 2024 का विमोचन किया गया। सशस्त्र बलों, शिक्षा जगत, उद्योग और डीआरडीओ की भागीदारी का उद्देश्य संवाद को बढ़ावा देना, ज्ञान का आदान-प्रदान करना और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप बुनियादी ढांचे के विकास में उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों और अवसरों का समाधान करने केलिए नवीन दृष्टिकोण का पता लगाना है। इस दौरान आईआईटी, एनआईटी और इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र भी उपस्थित थे।

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