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'राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 23 अगस्त को मनाएंगे'

प्रधानमंत्री स्वदेश लौटकर चंद्रयान-3 की वैज्ञानिक टीम से मिले

चंद्रयान मिशन का नामकरण और वैज्ञानिकों को सैल्यूट किया

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Saturday 26 August 2023 02:31:25 PM

prime minister meets the scientific team of chandrayaan-3 as soon as he returns home

बैंगलुरू। दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की सफल यात्रा केबाद स्वदेश लौटेते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सवेरे बैंगलुरू में इसरो सेंटर पहुंचकर मिशन चंद्रयान-3 के वैज्ञानिकों से मुलाक़ात की। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर टीम इसरो को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि सूर्योदय की बेला हो और बैंगलुरू का ये नजारा हो, देश के वैज्ञानिक देश को जब इतनी बड़ी सौगात देते हैं, इतनी बड़ी सिद्धि प्राप्त करते हैं तो जो दृश्य मुझे आज बैंगलुरू में दिख रहा है, वोही मुझे ग्रीस और जोहन्सबर्ग में भी दिखाई दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि दुनिया के हर कोने में भारतीय विज्ञान में विश्वास करने वाले, भविष्य को देखने वाले, मानवता को समर्पित सब लोग इतने ही उमंग और उत्साह से भरे हुए हैं। उन्होंने कहाकि मैं यहां से दूर विदेश में था तो मैंने तय कियाकि भारत जाऊंगा तो पहले बैंगलुरू जाऊंगा, सबसे पहले मिशन चंद्रयान-3 के वैज्ञानिकों को नमन करूंगा। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों के परिश्रम, धैर्य, लगन, जीवंतता और जज्बे को सैल्यूट किया और कहाकि आप देश को जिस ऊंचाई पर लेकर गए हैं, ये कोई साधारण सफलता नहीं है, ये अनंत अंतरिक्ष में भारत के वैज्ञानिक सामर्थ्य का शंखनाद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो प्रमुख की पीठ थपथपाई और वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए भावुक भी हो गए। प्रधानमंत्री ने कहाकि लैंडिंग का वह क्षण राष्ट्र की चेतना में अमर हो गया है, लैंडिंग का क्षण इस सदी के सबसे प्रेरणादायक क्षणों में से एक है, हर भारतीय ने इसे अपनी जीत के रूपमें लिया। प्रधानमंत्री ने इस बड़ी सफलता का श्रेय वैज्ञानिकों को दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत चंद्रमा पर है, हमारा राष्ट्रीय गौरव चंद्रमा पर रखा गया है, हम वहां पहुंचे, जहां कोई नहीं पहुंचा था, डार्क जोन में जाकर भी दुनिया में रोशनी की किरण फैला दी है, 21वीं सदी में यही भारत दुनिया की बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान करेगा। उन्होंने कहाकि 23 अगस्त चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूपमें मनाया जाएगा। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस विज्ञान, तकनीक और नवाचार की स्पिरिट को सेलिब्रेट करेगा और हमें हमेशा केलिए प्रेरित करता रहेगा।। प्रधानमंत्री ने कहाकि मैंने वो फोटो देखी, जिसमें हमारे मून लैंडर ने अंगद की तरह चंद्रमा पर मजबूती से अपना पैर जमाया हुआ है, एक तरफ विक्रम का विश्वास है तो दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है, हमारा प्रज्ञान लगातार चंद्रमा पर अपने पद् चिन्ह छोड़ रहा है, अलग-अलग कैमरों से ली गई जो तस्वीरें अभी रिलीज हुई और मुझे देखने का सौभाग्य मिला है, वो अद्भूत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये तस्वीर दुनिया को दिखाने का काम भारत ने किया है, आज दुनिया भारत की वैज्ञानिक भावना, टेक्नोलॉजी और हमारे वैज्ञानिक स्वभाव का लोहा मान चुकी है। उन्होंने कहाकि चंद्रयान महाअभियान सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सफलता है, हमारा मिशन जिस क्षेत्र को एक्सप्लोर करेगा, उससे सभी देशों केलिए मूल मिशंस के नए रास्ते खुलेंगे, ये चांद के रहस्यों को तो खोलेगा ही साथही धरती की चुनौतियों के समाधान में भी मदद करेगा। नरेंद्र मोदी ने स्पेस मिशन्स के टचडाउन प्वाइंट को एक नाम दिए जाने की वैज्ञानिक परंपरा का भी जिक्र किया और कहाकि चंद्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चंद्रयान उतरा है, भारत ने उस स्थान के भी नामकरण का फैसला लिया है, जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, अब उस पॉइंट को शिवशक्ति के नाम से जाना जाएगा, शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। उन्होंने कहाकि चंद्रमा का शिवशक्ति प्वाइंट हिमालय के कन्याकुमारी से जुड़े होने का बोध कराता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि चंद्रमा का शिवशक्ति प्वाइंट सदियों तक भारत के इस वैज्ञानिक और दार्शनिक चिंतन का साक्षी बनेगा, ये आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगाकि हमें विज्ञान का उपयोग, मानवता के कल्याण केलिए ही करना है, मानवता का कल्याण यही हमारा सुप्रीम कमिटमेंट है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक और नामकरण काफी समय से लंबित है, चार साल पहले जब चंद्रयान-2 चंद्रमा केपास तक पहुंचा था, जहां उसके पद् चिन्ह पड़े थे, तब ये प्रस्ताव थाकि उस स्थान का नाम तय किया जाए, लेकिन उन परिस्थितियों में निर्णय लेने के स्थान पर हमने प्रण लिया थाकि जब चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद पर पहुंचेगा, तब हम दोनों प्वाइंट्स का नाम एकसाथ रखेंगे और आज जब हर घर तिरंगा है, जब हर मन तिरंगा है और चांद पर भी तिरंगा है तो चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान 2 ने अपने पद् चिन्ह छोड़े हैं, वो प्वाइंट अब तिरंगा कहलाएगा, ये तिरंगा प्वाइंट भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया है और जब हम भारत की अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा की शुरुआत पर विचार करते हैं तो यह उपलब्धि और बड़ी हो जाती है। उन्होंने उस समय को याद किया जब भारत को थर्ड वर्ल्ड देश माना जाता था और उसके पास आवश्यक तकनीक और सहयोग नहीं था। उन्होंने कहाकि लेकिन आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है, आज ट्रेड से टेक्नोलॉजी तक, भारत की गिनती पहली पंक्ति यानी फ़र्स्ट रो में खड़े देशों में हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि थर्ड रो से फर्स्ट रो तककी इस यात्रा में हमारे इसरो जैसे संस्थानों की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने इस अवसर पर इसरो की कड़ी मेहनत की जानकारी देशवासियों तक पहुंचाई। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के दक्षिणी हिस्से से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक चंद्रयान की ये यात्रा आसान नहीं थी। उन्होंने बतायाकि इसरो ने अपनी अनुसंधान सुविधा में एक कृत्रिम चंद्रमा तक बना डाला। प्रधानमंत्री ने इस तरह के अंतरिक्ष मिशनों की सफलताओं को भारत के युवाओं में नवाचार और विज्ञान के प्रति उत्साह भरने का श्रेय दिया। उन्होंने कहाकि मंगलयान और चंद्रयान की सफलताओं और गगनयान की तैयारी ने देश की युवा पीढ़ी को एक नया दृष्टिकोण दिया है, आज भारत के बच्चों के बीच चंद्रयान का नाम गूंज रहा है। उन्होंने कहाकि हर बच्चा वैज्ञानिकों में अपना भविष्य देख रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमताएं उपग्रहों के प्रक्षेपण और अंतरिक्ष की खोज तकही सीमित नहीं हैं और इसकी ताकत ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ गवर्नेंस में देखी जा सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूपमें अपने शुरुआती वर्षों के दौरान इसरो केसाथ केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों केलिए आयोजित कार्यशाला को याद किया। उन्होंने स्पेस एप्लीकेशनों को शासन व्यवस्था केसाथ जोड़ने केलिए हुई उल्लेखनीय प्रगति पर चर्चा की। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान में स्पेस सेक्टर की भूमिका का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूर-दराज के क्षेत्रों में शिक्षा, संचार और स्वास्थ्य सेवाएं, टेली-मेडिसिन और टेली-एजुकेशन में स्पेस सेक्टर की बड़ी भूमिका के बारेमें बताया। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नाविक सिस्टम की भूमिका के बारेमें भी बात की। उन्होंने कहाकि अंतरिक्ष तकनीक हमारे प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का आधार भी है, इससे परियोजनाओं की योजना, एग्जीक्यूशन और निगरानी में बहुत मदद मिल रही है, स्पेस एप्लीकेशन का दायरा, जो समय केसाथ बढ़ रहा है, हमारे युवाओं केलिए अवसर भी बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री ने इसरो से केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के सहयोग से गवर्नेंस में स्पेस टेक्नोलॉजी पर राष्ट्रीय हैकाथॉन आयोजित करने को कहा। उन्होंने कहाकि मुझे विश्वास हैकि यह राष्ट्रीय हैकाथॉन हमारे गवर्नेंस को और अधिक प्रभावी बनाएगा और देशवासियों को आधुनिक समाधान प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने देश की युवा पीढ़ी को भी एक टास्क दिया। उन्होंने कहाकि मैं चाहता हूंकि नई पीढ़ी भारत के प्राचीन ग्रंथों में खगोलीय सूत्रों को वैज्ञानिक रूपसे साबित करने केलिए और उनका नए सिरे से अध्ययन करने केलिए आगे आए, यह हमारी विरासत केलिए भी महत्वपूर्ण है और विज्ञान केलिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि एक तरह से आज स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों केलिए यह दोहरी जिम्मेदारी है, भारत के पास विज्ञान के ज्ञान का जो खजाना है, वो गुलामी के लंबे कालखंड में दब गया है, छिप गया है, आजादी के इस अमृतकाल में हमें इस खजाने को भी खंगालना है, उसपर रिसर्च भी करनी है और दुनिया को इसके बारे में बताना भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्सपर्ट के अनुमानों का उल्लेख कियाकि भारत का अंतरिक्ष उद्योग अगले कुछ वर्ष में आठ बिलियन डॉलर से बढ़कर 16 बिलियन डॉलर हो जाएगा, जहां सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों के लिए लगातार काम कर रही है, वहीं देश के युवा भी प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि पिछले 4 वर्ष के दौरान, अंतरिक्ष से संबंधित स्टार्टअप की संख्या 4 से बढ़कर लगभग 150 हो गई है। प्रधानमंत्री ने देशभर के छात्रों से 1 सितंबर से माईगॉव पर चंद्रयान मिशन पर आयोजित एक विशाल प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत दुनिया की सबसे युवा प्रतिभाओं वाला देश है। नरेंद्र मोदी ने डीप अर्थ से डीप सी और अगली पीढ़ी के कंप्यूटर से जेनेटिक इंजीनियरिंग तकके अवसरों को रेखांकित करते हुए कहाकि समुद्र की गहराई से आसमान की ऊंचाइयों तक, आसमान की ऊंचाई से अंतरिक्ष की गहराई तक, युवा पीढ़ियों केलिए करने केलिए बहुत कुछ है। उन्होंने कहाकि भारत में आपके लिए नई संभावनाओं के द्वार लगातार खुल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित कियाकि भावी पीढ़ियों केलिए मार्गदर्शन एक आवश्यकता है और वेही आजके महत्वपूर्ण मिशनों को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहाकि वैज्ञानिक उनके आदर्श हैं और उनके शोध तथा वर्षों की कड़ी मेहनत ने यह साबित कर दिया हैकि यदि आप ठान लें तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि देश के लोगों को वैज्ञानिकों पर भरोसा है और जब लोगों का आशीर्वाद मिलेगा तो देश के प्रति दिखाए गए समर्पण से भारत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन जाएगा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि नवाचार की हमारी यही भावना 2047 में विकसित भारत के सपने को साकार करेगी।

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