स्वतंत्र आवाज़
word map

श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल में 'कन्या गुरुकुल'

आजादी के बाद भारतीय शिक्षा प्रणाली की उपेक्षा हुई-प्रधानमंत्री

श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान में 75वां अमृत महोत्सव

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 December 2022 04:59:12 PM

75th amrit mahotsav at shree swaminarayan gurukul rajkot

राजकोट (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान के 75वें अमृत महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा हैकि जिस कालखंड में दुनिया के देशों की पहचान वहां के राज्यों और राजकुलों से होती थी, तब भारत को भारतभूमि के गुरुकुलों से जाना जाता था, भारत में ज्ञान ही जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य रहा है। आज वीडियो कॉंफ्रेंस के जरिए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में गुरुकुल सदियों से समता, ममता, समानता और सेवाभाव की वाटिका की तरह रहे हैं, नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय भारत की गुरुकुल परंपरा के वैश्विक वैभव के पर्याय हुआ करते थे और खोज एवं शोध भारत की जीवन पद्धति का हिस्सा थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज हम भारत के कण-कण में जो विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि देखते हैं, ये उन्हीं शोधों और खोजों के परिणाम हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान से जुड़े लोगों को गुरुकुल के 75 वर्ष पूरे होने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इसके लिए महाराज धर्मजीवनदास स्वामी की भावविभोर प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहाकि भगवान श्रीस्वामीनारायण के नाम का स्मरण करने मात्र से व्यक्ति नई चेतना का अनुभव कर सकता है। उन्होंने अमृतकाल की अवधि में इस सुखद संयोग के सुयोग पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने इसे एक सुखद अवसर बताया, क्योंकि पूरे इतिहास में ऐसे संयोगों से भारतीय परंपरा को ऊर्जा मिलती रही है। उन्होंने इन सुयोगों को कर्मठता और कर्तव्य, संस्कृति और समर्पण, अध्यात्म और आधुनिकता के सुयोग के इतिहास के रूपमें गिनाया। प्रधानमंत्री ने आजादी के तत्काल बाद शिक्षा और प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली के गौरव को पुनर्जीवित करने के कर्तव्य की उपेक्षा पर दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि जहां पहले की सरकारें अटक जाती थीं, देश के संतों और आचार्यों ने उन्हें चुनौती के रूपमें स्वीकार किया, स्वामीनारायण गुरुकुल इस सुयोग का जीवंत उदाहरण है, इसका विकास स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों की नींव पर किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सच्चा ज्ञान फैलाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है और यह दुनिया में ज्ञान तथा शिक्षा केप्रति भारत का समर्पण है, जिसने भारतीय सभ्यता की जड़ें स्थापित की हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भलेही गुरुकुल विद्या प्रतिष्ठान राजकोट में केवल सात छात्रों केसाथ शुरू हुआ, लेकिन आज दुनियाभर में इसकी चालीस शाखाएं हैं, जहां हरवर्ष हजारों की संख्या में विद्यार्थी आते हैं। उन्होंने कहाकि 75 वर्ष में गुरुकुल ने छात्रों के मन-मस्तिष्क को अच्छे विचारों और मूल्यों से सींचा है, जिससे उनका समग्र विकास हुआ। उन्होंने कहाकि अध्यात्म के क्षेत्र में समर्पित छात्रों से लेकर इसरो और बीएआरसी के वैज्ञानिकों तकको गुरुकुल की परंपरा ने देश के हर क्षेत्र को पोषित किया है। नरेंद्र मोदी ने गुरुकुल परंपरा पर प्रकाश डाला, जहां ग़रीब छात्रों से केवल एक रुपया शुल्क लिया जाता है, जिससे उनके लिए शिक्षा प्राप्त करना आसान हो जाता है। ज्ञान को जीवन की सर्वोच्च खोज मानने की भारतीय परंपरा पर प्रधानमंत्री ने कहाकि आत्मखोज से देवत्व तक, आयुर्वेद से आध्यात्म तक, सामाजिक विज्ञान से सौर विज्ञान तक, गणित से धातु विज्ञान तक और शून्य से अनंत तक हमने हर क्षेत्र में शोध किए हैं और नए निष्कर्ष निकाले हैं। उन्होंने कहाकि भारत ने अंधकार से भरे युवाओं में मानवता को प्रकाश की वह किरणें दी हैं, जिनसे आधुनिक विश्व और आधुनिक विज्ञान की यात्रा शुरू हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल पुरातन परंपरा, आधुनिक भारत को आगे बढ़ाने केलिए 'कन्या गुरुकुल' की शुरूआत कर रहा है। प्रधानमंत्री ने भारतीय प्राचीन गुरुकुल परंपरा में लैंगिक समानता और संवेदनशीलता पर कहाकि जिस कालखंड में विश्व में जेंडर इक्वलिटी जैसे शब्दों का जन्म भी नहीं हुआ था, तब हमारे यहां गार्गी-मैत्रेयी जैसी विदुषियां शास्त्रार्थ कर रही थीं और महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में लव-कुश केसाथ आत्रेयी भी पढ़ रही थीं। प्रधानमंत्री ने भारत के उज्ज्वल भविष्य को आकार देने में शिक्षा प्रणाली और शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहाकि देश आजादी के अमृतकाल में शिक्षा के बुनियादी ढांचे और नीतियों को विकसित करने केलिए तेजगति से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि वर्ष 2014 से पहले की तुलना देश में आईआईटी, आईआईआईटी, आईआईएम और एम्स की संख्या में वृद्धि देखी गई है और मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 65 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश में पहलीबार उस शिक्षा व्यवस्था को तैयार किया जा रहा है, जो फॉरवर्ड लुकिंग है, फ्यूचरिस्टिक है, नतीजतन नई व्यवस्था में नई पीढ़ी जो शिक्षा प्राप्त करेगी, उससे देश के आदर्श नागरिकों का निर्माण होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 25 साल की यात्रा में संतों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहाकि आज भारत के संकल्प नए हैं और उन्हें साकार करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि आज देश डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉर लोकल, हर जिले में 75 अमृत सरोवर और एक भारत श्रेष्ठ भारत के विजन केसाथ बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सामाजिक परिवर्तन और समाज सुधार की इन परियोजनाओं में सबका प्रयास करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा। प्रधानमंत्री ने गुरुकुल के छात्रों से कम से कम 15 दिन केलिए पूर्वोत्तर भारत की यात्रा करने और राष्ट्र को और मजबूत करने केलिए लोगों से जुड़ने का भी आग्रह किया। उन्होंने बेटी बचाओ और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर भी प्रकाश डाला और लोगों से एक भारत श्रेष्ठ भारत को मजबूत करने केलिए एकसाथ आने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें यकीन हैकि श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल विद्या प्रतिष्ठान जैसे संस्थान भारत के संकल्पों की इस यात्रा को शक्ति देना जारी रखेंगे। श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान की स्थापना 1948 में गुरुदेव शास्त्रीजी महाराज धर्मजीवनदास स्वामी ने राजकोट में की थी। संस्थान का विस्तार हुआ है और वर्तमान में इसकी दुनियाभर में 40 से अधिक शाखाएं हैं, जो 25,000 से अधिक छात्रों को स्कूल, स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा की सुविधा प्रदान करती हैं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]