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हिमाचल में कांग्रेस को अस्थिर बहुमत!

भाजपा हाईकमान की नाक के नीचे एक शर्मनाक पराजय

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और गुटबाजी से भाजपा का नुकसान

Friday 9 December 2022 02:10:37 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

congress and bjp

शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की आस-निराश के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लोकप्रिय किंतु प्रभावहीन शासन में, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा के फायरब्रांड युवा नेता एवं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के गृहराज्य में और भाजपा के औरभी दिग्गज नेताओं की नाक के नीचे भाजपा आखिर चुनाव हार गई। यह भाजपा हाईकमान की एक शर्मनाक पराजय मानी जा रही है, जिसे भाजपा में गुजरात में भाजपा की प्रचंड जीत में लोगों का ध्यान बांटने और छिपाने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में पूर्ण बहुमत केसाथ कांग्रेस जीत तो गई है, लेकिन उसेभी यह भय सता रहा हैकि बहुमत मिलजाने के बावजूद उसकी सरकार कभीभी धराशाई भी की जा सकती है, इसीलिए यहभी कहा जा रहा हैकि हिमाचल प्रदेश में यह कांग्रेस का अस्थिर बहुमत है, जिसे बचाए रखने केलिए कांग्रेस को बड़ी चौकसी बरतनी पड़ेगी, क्योंकि हिमाचल कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार खड़े हो गए हैं और इनमें से कोई भी भाजपा के समर्थन के साथ कांग्रेस का बना-बनाया खेल बिगाड़ सकता है। सरकार के गठन के पहले ही निर्वाचित कांग्रेस विधायकों की कड़ी निगरानी कांग्रेस के संशय का सबसे बड़ा प्रमाण है।
कांग्रेस को किसी अनहोनी का भय बिल्कुल साफ संदेश देता हैकि कांग्रेस को बहुमत के बावजूद उसकी सरकार नहीं बनने देने या बनने के बाद और राज्यों की तरह उसके साथ कभीभी कोई खेला हो सकता है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत मिलते ही वहां मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार सामने आ गए हैं। कांग्रेस के नेता वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह, वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खु, भाजपा सरकार में नेता विरोधी दल मुकेश अग्निहोत्री और इनके अलावा धनीराम शांडिल, सुधीर शर्मा भी कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार और महत्वाकांक्षी राजनेता हैं। सभी किसी न किसी तरह मुख्यमंत्री बनने की इच्छा प्रकट भी कर चुके हैं। कांग्रेस की यह कोशिश हैकि फिलहाल इनमें से किसीको भी नाराज नहीं किया जाए, लेकिन इनमें ऐसे भी नेता हैं, जो अब निष्ठा को नहीं, बल्कि अवसर की राजनीति भी अख्तियार कर सकते हैं। उन्हें मालूम हैकि भाजपा अपना खुद का नहीं, बल्कि कांग्रेस मेसे किसी को भी महाराष्ट्र की तरह मुख्यमंत्री बना सकती है। राजनीतिक जानकार कहते हैंकि फिलहाल भाजपा हिमाचल में कांग्रेस का खेल देखना चाहेगी, तब वह कांग्रेस के भीतरी आक्रोश का लाभ उठाएगी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा मुख्यालय पर अपने संबोधन में कांग्रेस को सरकार बनाने केलिए जोरदार बधाई दी है, लेकिन यह बधाई दूसरी तरफ बड़े राजनीतिक इशारे भी करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल शाम दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर गुजरात में भाजपा की विजय का जश्न साझा करते हुए हिमाचल प्रदेश में भाजपा की पराजय को यह कहकर हल्का करने की कोशिश की हैकि हिमाचल प्रदेश में केवल एक प्रतिशत वोट से हार-जीत का फैसला हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में हिमाचल प्रदेश में भाजपा की पराजय का कोई मलाल प्रकट नहीं होने दिया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भाजपा की पराजय से निराश भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का गर्मजोशी से हौसला ही बढ़ाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में भाजपा की प्रचंड जीत के अतिउत्साह में हिमाचल प्रदेश में भाजपा की पराजय का एहसास नहीं कर रहे हैं और वैसेभी उनके फोकस पर गुजरात का चुनाव था, जबकि हिमाचल प्रदेश उनकी दूसरी प्राथमिकता पर था क्योंकि वे यह जानते थेकि हिमाचल प्रदेश में भाजपा में क्या खेल होरहा है। यह बात सभी जानते हैं कि भाजपा में केवल उनके कंधों पर बैठकर ही विधानसभा चुनाव जीत लेने के सपने देखे जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी समझते हैं कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जो कमरतोड़ मेहनत की है, उसे हिमाचल के भाजपा के नेताओं ने डुबोया है।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने अपनी ही जयराम ठाकुर सरकार केदौर मेभी सरकार और स्थानीय प्रशासन में बड़ी असहनीय उपेक्षा, अपमान आंसू रोये हैं, इसके बावजूद उन्होंने जान लगाकर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिताने की कोशिशें की हैं, जो नाकाम रहीं। शुरू से ही कहा जा रहा थाकि हिमाचल प्रदेश में भाजपा की जयराम ठाकुर सरकार में भाजपा कार्यकर्ताओं केकाम नहीं होरहे हैं, मुख्यमंत्री कार्यकर्ताओं से मिलते जरूर रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी उनको कोई तवज्जो नहीं देते हैं, इसलिए भाजपा के कार्यकर्ता की निराशा का कांग्रेस जरूर लाभ उठाएगी। रही-सही कसर टिकट बंटवारे की गुटबाजी में पूरी हो गई, जिसमें भाजपा के नहीं, बल्कि 'इनके' या 'उनके' कैंडिडेट्स को टिकट बांटे और टिकट काटे गए और कार्यकर्ताओं से यह उम्मीद की गईकि वे अपने-अपने यहां जी-जान से भाजपा का चुनाव लड़ाएं, मगर भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत और हिम्मत जवाब दे गई, जिससे हिमाचल में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा है। भाजपा में कहा जारहा हैकि भाजपा की पराजय के बावजूद हिमाचल प्रदेश के सत्तासीन रहे भाजपा नेताओं और ड्राइंगरूम राजनीति करनेवालों की शान और समृद्धि पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, फर्क पड़ेगा तो उन भाजपा कार्यकर्ताओं पर पड़ेगा, जिनकी मेहनत पर भाजपा राज करती आ रही है और जो अपने क्षेत्र में अब सत्तारूढ़ कांग्रेस और कांग्रेसशासित स्थानीय प्रशासन के असहयोग, उपेक्षा, प्रतिरोध में पिसते और पुलिस के लाठी-डंडों से पिटने मरने को मजबूर होंगे।

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