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विमानों की उपग्रह लैंडिंग प्रक्रिया सफल हुई

एयर नेविगेशन सर्विसेज के क्षेत्रमें एक बड़ी उपलब्धि हासिल

राजस्थान के किशनगढ़ हवाई अड्डे पर किया गया परीक्षण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 29 April 2022 03:24:05 PM

the satellite landing process of the planes was successful

किशनगढ़ (राजस्थान)। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने राजस्थान में किशनगढ़ हवाईअड्डे पर गगन यानी जीपीएस एडेड जीईओ ऑगमेंटेड नेविगेशन आधारित एलपीवी संचालन प्रक्रियाओं के उपयोग से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह परीक्षण भारतीय नागरिक उड्डयन के इतिहास में एयर नेविगेशन सर्विसेज क्षेत्रमें एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, इस प्रकार भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र का ऐसा पहला देश बन गया है, जिसने यह उपलब्धि हासिल करली है। गौरतलब हैकि लोकलाइजेशन परफॉर्मेंस विद वर्टिकल गाइडेंस विमान निर्देशित पद्धति की अनुमति देता है, जो जमीन आधारित उड़ान संबंधी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता केबिना परिचालन रूपसे कैट-आईआईएलएस के बराबर है। यह सेवा इसरो द्वारा शुरू किएगए जीपीएस और गगन भू-स्थिर उपग्रह जीसैट-8, जीसैट-10 और जीसैट-15 की उपलब्धता पर निर्भर करती है।
गगन एक भारतीय उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली है, जिसे एएआई और इसरो ने संयुक्त रूपसे विकसित किया है। यह भूमध्यरेखीय क्षेत्रमें भारत और इसके पड़ोसी देशों केलिए विकसित इस तरह की पहली प्रणाली है। गगन सिस्टम को डीजीसीए ने 2015 में एप्रोच विद वर्टिकल गाइडेंस (एपीवी 1) और एन-रूट (आरएनपी 0.1) संचालन केलिए प्रमाणित किया था। भारत (जीएजीएएन-गगन), अमेरिका (डब्ल्यूएएएस), यूरोप (ईजीएनओएस) और जापान (एमएसएएस) नामसे दुनियामें केवल चार अंतरिक्ष आधारित संवर्धन प्रणालियां उपलब्ध हैं। इंडिगो एयरलाइंस ने अपने एटीआर विमान का उपयोग करते हुए गगन सेवा केजरिए 250 फीट के एलपीवी मिनिमा केसाथ एक इंस्ट्रूमेंट एप्रोच प्रोसीजर उड़ाया है। एएआई भारत में इस तरह के तकनीकी विकास केजरिए हवाई संचालन सेवाओं की उपलब्धता, निरंतरता और अखंडता सुनिश्चित करने केलिए सभी प्रयास कर रहा है, इसके साथही भारत एशिया का पहला देश बन गया है, जिसके पास उपग्रह आधारित लैंडिंग प्रक्रिया है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने 2002 केबाद से गगन कार्यक्रम को डिजाइन और कार्यांवित करने केलिए इसरो की सराहना की।
डीजीसीए गगन के संचालन को सुनिश्चित करने में अत्यधिक सक्रिय था। एएआई ने किशनगढ़ में सुरक्षित उड़ान परीक्षण करने केलिए इंडिगो एयरलाइंस का सहयोग भी सराहा। किशनगढ़ हवाई अड्डे पर यह परीक्षण प्रारंभिक गगन एलपीवी उड़ान परीक्षणों के हिस्से के रूपमें डीजीसीए टीम की देख-रेख में किया गया था। डीजीसीए की अंतिम मंजूरी केबाद वाणिज्यिक उड़ानों के उपयोग केलिए यह प्रक्रिया उपलब्ध होगी। एलपीवी एक उपग्रह आधारित प्रक्रिया है, जिसका उपयोग विमान ने किशनगढ़ हवाई अड्डे पर उतरने के उद्देश्य से किया है। एलपीवी पद्धति से उन हवाई अड्डों पर उतरना संभव हो जाएगा, जहां विमान उतारने की महंगी प्रणाली इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम नहीं हैं, इसमें कई छोटे क्षेत्रीय और स्थानीय हवाई अड्डे शामिल हैं। यह प्रणाली विमान उतारने का फैसला लेने की 250 फीट तक की ऊंचाई खराब मौसम और कम दृश्यता की स्थिति में परिचालन का पर्याप्त लाभ प्रदान करती है।
अब कोई भी हवाई अड्डा, जिसे अबतक उच्च दृश्यता मिनिमा की आवश्यकता होगी, वह ऐसे विमान को स्वीकार करने में सक्षम होगा, जो दूरस्थ हवाई अड्डों को लाभांवित करता है और सटीक क्षमता वाले उपकरणों से रहित हैं। गगन आधारित एलपीवी उपकरण पद्धति प्रक्रियाओं के विकास केलिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना केतहत आनेवाले हवाई अड्डों सहित कई अन्य हवाई अड्डों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, ताकि लैंडिंग केदौरान बेहतर सुरक्षा, ईंधन की खपत में कमी, देरी, दिशामें बदलाव और रद्दीकरण आदि में कमी लाने केलिए उपयुक्त रूपसे सुसज्जित विमान अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र के समन्वय में एएआई ने गगन संदेश सेवा भी शुरू की है, जिसके माध्यमसे बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में मछुआरों, और आपदा प्रभावित लोगों को अलर्ट संदेश भेजे जाएंगे।
रेलवे, सर्वेक्षण, कृषि, बिजली क्षेत्र, खनन आदि जैसे गैर-विमानन क्षेत्र में गगन का उपयोग करने केलिए इसकी अतिरिक्त क्षमताओं का भी पता लगाया जा रहा है। गगन प्रक्रियाओं के डिजाइन केलिए हवाईअड्डे के पर्यावरण परिवेश और सतही बाधाओं के सावधानीपूर्वक सर्वेक्षण की आवश्यकता होती है। ये डेटा जटिल विमान पद्धति युद्धाभ्यास केसाथ सहसंबद्ध हैं और डिजाइन की गई प्रक्रिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए इसे एक सॉफ्टवेयर में लगाया गया है। इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम की मदद केबिना लैंडिंग के लिए इन प्रक्रियाओं को भारत के किसी भी हवाई अड्डे के लिए विकसित किया जा सकता है। इस प्रकार की प्रक्रियाएं विमान को कम दृश्यता की स्थिति में लगभग श्रेणी-1 इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम के बराबर बनाती हैं।
वर्तमान में इंडिगो (35), स्पाइसजेट (21), एयर इंडिया (15), गो फर्स्ट (04), एयर एशिया (01) और अन्य एयरलाइंस के बेड़े में इन एलपीवी प्रक्रियाओं का उपयोग करने में सक्षम विमान हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने 22 ऐसी प्रक्रियाएं विकसित की हैं और संचालन केलिए कुछ वाणिज्यिक उड़ान डीजीसीए से अनुमोदन की प्रक्रिया में हैं। आत्मनिर्भर भारत की केंद्र सरकार की पहल के अनुरूप भारतीय नागरिक उड्डयन क्षेत्र को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने केलिए सभी नागरिक हवाई अड्डों केलिए एलपीवी प्रक्रियाओं को विकसित किया जा रहा है।

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