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जम्मू में उत्तर भारत का पहला अंतरिक्ष केंद्र शुरू

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हैं करियर की अपार संभावनाएं-राज्यमंत्री

'भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 13 March 2022 03:40:14 PM

dr jitendra singh inauguration of satish dhawan centre for space sciences

जम्मू। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय एवं कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू में उत्तर भारत के पहले अंतरिक्ष केंद्र का उद्घाटन करते हुए कहाकि अतीत में अधिकांश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संस्थान दक्षिणी राज्यों तक सीमित थे और अपनी तरह के एकमात्र भारतीय इंजीनियरिंग, वैमानिकी और अन्य धाराएं प्रदान करने वाला अंतरिक्ष एवं प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम में था। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में जम्मू एवं कश्मीर में अंतरिक्ष केंद्र और अंतरिक्ष प्रशिक्षण संस्थानों का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केरल से कश्मीर तक अंतरिक्ष यात्रा के मार्च को चिन्हित करता है, साथ ही इसका नामकरण सतीश धवन केंद्र के रूपमें किया जाना भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक पिताओं में से एक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के जनक सतीश धवन डोगरा को भावभीनी श्रद्धांजलि है, जो जम्मू-कश्मीर से आते हैं, लेकिन विडंबना यह हैकि जम्मू-कश्मीर में एक भी संस्थान का नाम अबतक इनके नाम पर नहीं रखा गया था।
प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री ने कहाकि दुनिया का भविष्य काफी हद तक आगामी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, अंतरिक्ष सहयोग और अंतरिक्ष कूटनीति पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहाकि भारत पहले ही विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण के माध्यम से लाखों यूरोपीय यूरो और अमेरिकी डॉलर का राजस्व प्राप्त कर रहा है। अंतरिक्ष सहयोग का उल्लेख करते हुए उन्होंने सार्क उपग्रह का उदाहरण दिया, जिसे प्रधानमंत्री के निर्देश पर विकसित किया गया था, जो बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, नेपाल आदि अधिकांश पड़ोसी देशों की जरूरतों को पूरा करता है। राज्यमंत्री ने कहाकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को अनलॉक करने और इसे निजी क्षेत्र केलिए खोलने का श्रेय पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। राज्यमंत्री ने कहाकि भारत एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहा है, जब वह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जहांतक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का सम्बंध है, वह पहले से ही दुनिया में अग्रणी है। उन्होंने कहाकि विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूपमें भारत का आरोहण अंतरिक्ष के माध्यम से पहले ही शुरू हो चुका है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष विज्ञान केलिए सतीश धवन केंद्र का उद्घाटन और अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तिरुवनंतपुरम केसाथ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमैनिटी के सहयोग से 'अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के फ्रंटियर्स और मानवता केलिए अनुप्रयोगों' विषय पर सम्मेलन का पूरे उत्तर भारत केलिए ऐतिहासिक है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि पिछले सत्तर वर्ष से अधिकांश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भारत में ज्यादातर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल के दक्षिणी राज्यों तक सीमित रही है, जो देश में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रसार में एक विसंगति थी। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को देश के दूरदराज के कोनों तक ले जाने केलिए दृढ़ संकल्पित है और यह जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष विज्ञान केलिए सतीश धवन केंद्र के उद्घाटन केसाथ स्पष्ट हो चुका है तथा एक अन्य अंतरिक्ष केंद्र पहले ही त्रिपुरा अगरतला में स्थापित किया जा चुका है, जो खुद अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रति उत्साही हैं।
सीयूजे में 'फ्रंटियर्स ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी एंड एप्लीकेशंस फॉर ह्यूमैनिटी' पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि देश में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इस स्तर पर पहुंच गई है कि नासा जैसे प्रमुख अंतरिक्ष संस्थान इसरो के संचालित कई अंतरिक्ष अभियानों के फुटेज केलिए अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को प्रमुख महत्व दिया है और परिणाम हमारे सामने हैं, क्योंकि चंद्रयान से पानी की खोज प्रमुख अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी देशों द्वारा भी नहीं की जा सकी है, यह दर्शाता हैकि भारत पहले ही अग्रणी है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि इस संस्थान को देश के प्रमुख संस्थानों में से एक बनाने केलिए जेईई के माध्यम से इस संस्थान के माध्यम से बीटेक इन एविएशन एंड एरोनॉटिक्स के पाठ्यक्रम में साठ छात्रों को लिया जाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यहां से एविएशन और एरोनॉटिक्स का अध्ययन करने केबाद छात्र न केवल भारत, बल्कि नासा जैसे अंतरिक्ष संस्थानों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपना करियर खोज सकेंगे, क्योंकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में करियर के बड़े अवसर उपलब्ध हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह संस्थान अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के साथ विशेष रूपसे जम्मू-कश्मीर में स्टार्टअप केलिए एक संस्थान होगा और इस क्षेत्र के लोगों को अपने भविष्य को आकार देने केलिए सरकार के इन अवसरों का उपयोग करना चाहिए और किसी सरकारी नौकरी पर निर्भर रहने की पुरानी मानसिकता से छुटकारा पाना चाहिए। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय अगले महीने से देशभर में स्टार्टअप से संबंधित जागरुकता कार्यक्रम शुरू करेगा, स्टार्टअप और टिकाऊ स्टार्टअप आजीविका से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहाकि जम्मू अरोमा मिशन का जन्म स्थान है, जहां इन स्टार्टअप केसाथ लाखों लोग कमाते हैं, साथही जम्मू में डेयरी और कृषि की एक बड़ी क्षमता है, जिसे तलाशने की जरूरत है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत में धरतीपुत्र होने और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अग्रणी होने के नाते सतीश धवन के योगदान को जम्मू-कश्मीर में बहुत पहले मनाया जाना था, लेकिन जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय में इस संस्थान के रूपमें उनके योगदान का जश्न मनाने में हमें सत्तर साल लग गए। उन्होंने कहाकि जो वास्तव में जम्मू-कश्मीर का है, वह आज बहाल हो गया है और अब यह कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अंतरिक्ष और उपग्रह प्रौद्योगिकी का रेलवे, सड़क और पुल निर्माण, कृषि, मिट्टी, जल संसाधन, वानिकी और पारिस्थितिकी, आवास, टेली-मेडिसिन, आपदा प्रबंधन और सटीक मौसम पूर्वानुमान में व्यापक उपयोग किया जा रहा है। इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ के राधाकृष्णन ने कहाकि जब भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के मामले में दुनिया के बाकी हिस्सों केलिए एक आदर्श बन गया है तो सतीश धवन छात्रों केलिए एक महानायक हैं। डॉ राधाकृष्णन ने आशा व्यक्त कीकि आने वाले वर्षों में यह संस्थान अन्य प्रमुख अंतरिक्ष संस्थानों की तरह पूरे देश में प्रतिष्ठित संस्थान बनेगा। इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ एस ने कहाकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अब जीवन का एक अभिन्न अंग है और राष्ट्र की रक्षा और सुरक्षा अब इस बात पर निर्भर करेगी कि अंतरिक्ष क्षेत्र में राष्ट्र कितना मजबूत होने वाला है। उन्होंने कहाकि संचार क्रांति जोकि उद्योगों के विकास में कई मायनों में महत्वपूर्ण है, अब अंतरिक्ष विभाग को इसके समर्थन में आना चाहिए। सम्मेलन में डॉ सैम दयाला देव निदेशक आईआईएसटी, डॉ वाईवीएन कृष्णमूर्ति रजिस्ट्रार आईआईएसटी, सुधीर कुमार एन निदेशक सीबीपीओ, प्रकाश चौहान निदेशक आईआईआरएस, डॉ कुरुवेल्ला जोसेफ, डॉ अमित कुमार पात्रा, प्रोफेसर संजीव जैन कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू, वैज्ञानिक और कर्मचारी उपस्थित थे।

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