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'श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश हमेशा प्रासंगिक'

मानसिक शांति केलिए मार्गदर्शक और सहायक है-उपराष्ट्रपति

'मानसिक सामंजस्य' विषय पर वैश्विक भगवद्गीता सम्मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 20 February 2022 01:33:11 PM

venkaiah naidu will inaugurate the 5th global bhagavad gita convention

चेन्नई। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने चेन्नई से पांचवें वैश्विक भगवद्गीता सम्मेलन का वर्चुअल उद्घाटन किया और पूरी मानवता के लाभ केलिए श्रीमद्भगवद्गीता के सार्वभौमिक संदेश को अधिक से अधिक भाषाओं में अनुवाद करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि यह भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का सार है। सेंटर फॉर इनर रिसोर्स डिवेलपमेंट (सीआईआरडी) उत्तर अमेरिका की ओर से ऑनलाइन मोड में आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन का फोकस 'मानसिक सामंजस्य' विषय पर है। उपराष्ट्रपति ने इस विषय केबारे में बात करते हुए कहाकि आज के समय में मानसिक तनाव तेजीसे बढ़ रहा है, स्वास्थ्य के इस गंभीर मुद्दे को लेकर अधिक जागरुकता और ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि भले ही श्रीमद्भगवद्गीता हजारों साल पुरानी है, लेकिन इसका समय से परे संदेश लोगों केलिए हमेशा प्रासंगिक रहता है, उन्हें मानसिक शांति प्रदान करने में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों की व्यापकता के बावजूद भारत में जागरुकता कम है और इससे जुड़ी कई भ्रांतियां हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी चीज से अधिक, हमें मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में खुलकर बातचीत करने केलिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने सभी क्षेत्रों की लोकप्रिय हस्तियों से इस महत्वपूर्ण जन स्वास्थ्य के मुद्दे पर लोगों केबीच बात करने और जागरुकता बढ़ाने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने पढ़ाई के दबाव के चलते पैदा हुए तनाव का सामना करने में असमर्थ छात्रों के अपना जीवन समाप्त करने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने छात्रों को परामर्श देने में माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला, जिससे वे बच्चों को किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति का निडरता से सामना करने और परिणाम की चिंता किए बगैर अपना कार्य पूरी लगन से करने केलिए प्रेरित कर सकें। वेंकैया नायडु ने सुझाव दिया कि प्रत्येक शिक्षण संस्थान में छात्रों को तनावपूर्ण स्थितियों से उबरने में मदद करने केलिए इन-हाउस काउंसलर होना चाहिए। उन्होंने कहाकि हर जगह पर सरकारों को इस आवश्यकता का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने चौबीस घंटे मुफ्त परामर्श प्रदान करने केलिए केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय टेली-मेंटल हेल्थ प्रोग्राम शुरू करने की घोषणा की सराहना करते हुए कहाकि यह लोगों विशेष रूपसे दूरदराज में रहने वालों की मानसिक सेहत को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, इसमें व्यक्ति की पहचान भी सार्वजनिक नहीं होगी। वेंकैया नायडु ने लोगों की जीवनशैली में सुधार और लोगों की भलाई के लिए काम और जीवन में संतुलन सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया। उन्होंने तनाव से निपटने केलिए ध्यान, व्यायाम, योग जैसे उपायों का सुझाव देते हुए मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में आध्यात्म के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि मेरा दृढ़ विश्वास हैकि किसी भी व्यक्ति की आंतरिक शक्ति और मानसिक शांति की खोज केलिए आध्यात्म आवश्यक है, इस संबंध में उन्होंने धर्मगुरुओं से आग्रह कियाकि वे आध्यात्म के संदेश को युवाओं और जनता तक पहुंचाएं। कार्यक्रम में स्वामी भूमानंद तीर्थ नारायणाश्रम तपोवनम के संस्थापक और वैश्विक भगवद्गीता सम्मेलन केबारे में सोचने वाले दूरदर्शी नारायणाश्रम तपोवनम के स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ, सुप्रीम कोर्ट की जज इंदिरा बनर्जी, नारायणाश्रम तपोवनम की स्वामिनी मां गुरुप्रिया, पंकज भाटिया अध्यक्ष सीआईआरडी-एनए, डॉ रवि जंध्याला सीआईआरडी-एनए के उपाध्यक्ष आदि ने हिस्सा लिया।

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