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सीसीआई ने मारुति पर जुर्माना लगाया

प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण प्रावधानों का उल्लंघन किया

मारुति सुजुकी ने डीलरों पर छूट नियंत्रण नीति को थोपा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 24 August 2021 02:21:24 PM

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नई दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने डीलरों के संदर्भ में छूट नियंत्रण नीति को लागू करने के जरिए यात्री वाहन श्रेणी में रिसेल प्राइस मेंटेनेंस के प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण में शामिल होने केलिए मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के खिलाफ एक अंतिम आदेश पारित किया है, जिसमें मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पाया कि मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड का अपने डीलरों के साथ एक समझौता था, जिसके तहत डीलरों को अपने ग्राहकों को एमएसआईएल से निर्धारित छूट के अतिरिक्त कोई और छूट देने की मनाही थी। एमएसआईएल ने अपने डीलरों केलिए एक छूट नियंत्रण नीति बना रखी थी, जिसके तहत डीलरों को उपभोक्ताओं को एमएसआईएल की निर्धारित सीमा से अधिक अतिरिक्त छूट, मुफ्त उपहार आदि देने से हतोत्साहित किया गया था।
यदि कोई डीलर अतिरिक्त छूट देना चाहे तो उसे इसके लिए एमएसआईएल से पूर्व स्वीकृति लेना अनिवार्य था। किसी भी डीलर को इस किस्म की छूट नियंत्रण नीति का उल्लंघन करता पाए जाने पर न सिर्फ उसके डीलरशिप पर, बल्कि डायरेक्ट सेल्स एग्जीक्यूटिव, क्षेत्रीय प्रबंधक, शोरूम प्रबंधक, टीम लीडर आदि सहित उसपर व्यक्तिगत रूपसे भी जुर्माना लगाने की बात कही गई थी। छूट नियंत्रण नीति को लागू करने केलिए एमएसआईएल ने मिस्ट्री शॉपिंग एजेंसियों को नियुक्त किया था। ये एजेंसियां एमएसआईएल के डीलरों के सामने खुद को ग्राहकों के रूपमें पेश कर यह पता लगाती थीं कि कहीं ग्राहकों को कोई अतिरिक्त छूट तो नहीं दी जा रही है। अतिरिक्त छूट का पता चलने पर एमएसए एमएसआईएल प्रबंधन को सबूत ऑडियो/ वीडियो रिकॉर्डिंग केसाथ रिपोर्ट देता था, जिसके बाद एमएसआईएल गलती करने वाले डीलर को एक मिस्ट्री शॉपिंग ऑडिट रिपोर्ट, जिसमें उसे अतिरिक्त छूट की पेशकश करते हुए पाया गया, केसाथ एक ई-मेल भेजकर स्पष्टीकरण मांगा जाता था।
डीलर से संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं देने पर एमएसआईएल की ओर से डीलर और उसके कर्मचारियों पर जुर्माना लगाया जाता था और कुछ मामलों में आपूर्ति रोकने की धमकी भी दी जाती थी। यहां तककि एमएसआईएल उस डीलर को जुर्माना कहां जमा करना है के बारे में भी निर्देशित करता था और जुर्माने की उस राशि का उपयोग भी एमएसआईएल के निर्देशों के अनुसार किया जाता था। इस प्रकार भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने यह पाया कि मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने न सिर्फ अपने डीलरों पर छूट नियंत्रण नीति को थोपा, बल्कि एमएसए से डीलरों की निगरानी करके उन्हें दंडित करने और आपूर्ति रोकने, जुर्माना वसूलने एवं जुर्माने की राशि का उपयोग करने जैसी सख्त कार्रवाई की धमकी देकर उस नीति को लागू भी किया। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के इस आचरण से भारत के भीतर प्रतिस्पर्धा पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने इसे प्रतिस्पर्धा अधिनियम-2002 की धारा 3(1) के साथ पठित धारा 3(4)(ई) के प्रावधानों का उल्लंघन करार दिया है।

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