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यूरोपीय देशों में भारत से ड्रैगन फ्रूट का निर्यात

गुजरात व पश्चिम बंगाल के किसानों ने पहलीबार उगाए ड्रैगन फ्रूट

भारत में ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन वर्ष 1990 के दशक में शुरु हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 4 August 2021 02:15:13 PM

dragon fruit

भरूच (गुजरात)। विदेशी फलों के निर्यात को बढ़ावा देने केलिए गुजरात और पश्चिम बंगाल के किसानों से प्राप्त किए गए फाइबर और खनिज से समृद्ध ड्रैगन फ्रूट की खेप को पहलीबार लंदन, यूनाइटेड किंगडम और बहरीन को निर्यात किया गया है। ड्रैगन फ्रूट को भारत में कमलम भी कहा जाता है। विदेशी फलों की खेप, जिसे लंदन को निर्यात किया गया, उसे कच्छ क्षेत्र के किसानों से प्राप्त किया गया और गुजरात के भरूच में एपीडा पंजीकृत पैकहाउस से निर्यात किया गया, जबकि बहरीन को निर्यात किए गए ड्रैगन फ्रूट की खेप को पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर के किसानों से प्राप्त किया गया और कोलकाता में एपीडा पंजीकृत उद्यमों ने निर्यात किया। इससे पहले जून 2021 में ड्रैगन फ्रूट की एक खेप को महाराष्ट्र के सांगली जिले के तडासर गांव के किसानों से प्राप्त किया गया था, जिसे एपीडा से मान्यता प्राप्त निर्यातक ने दुबई को निर्यात किया था।
भारत में ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में किया गया था और इसे घरेलू उद्यानों के रूपमें उगाया जाने लगा। ड्रैगन फ्रूट का निर्यात मूल्य अधिक होने के कारण हाल के वर्षों में देश में इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ी है और विभिन्न राज्यों के किसान इसे खेती के लिए चुना है। ड्रैगन फ्रूट की मुख्य रूपसे तीन किस्में होती है-गुलाबी परत के साथ सफेद गूदा वाला फल, गुलाबी परत के साथ लाल गूदा वाला फल और पीली परत के साथ सफेद गूदा वाला फल। हालांकि आमतौर पर उपभोक्ता लाल और सफेद गूदा वाला फल पसंद करते हैं। वर्तमान समय में ड्रैगन फ्रूट की पैदावार अधिकांश रूपसे कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में की जाती है। पश्चिम बंगाल नया राज्य है, जो इस विदेशी फल की खेती करने लगा है।
ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है, इसकी पैदावार प्रमुख रूपसे मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्तराज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में की जाती है और ये देश भारतीय ड्रैगन फ्रूट के लिए प्रमुख प्रतिस्पर्धी देश हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती केलिए पानी की आवश्यकता कम होती है और इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है। इसमें फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, इसकी विशेषता है कि यह किसी व्यक्ति में तनाव के कारण क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं की मरम्मत, शरीर में आई सूजन में कमी लाने और पाचन तंत्र में सुधार करने में सहायक होता, चूंकि इसमें कमल के समान स्पाइक्स और पंखुड़ियां होती हैं, इसलिए इसे 'कमलम' भी कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी पर जुलाई 2020 में अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में गुजरात के शुष्क क्षेत्र कच्छ में ड्रैगन फ्रूट की खेती का उल्लेख किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतु फलों की खेती करने के लिए कच्छ के किसानों को बधाई भी दी थी। प्रधानमंत्री का सपना तब साकार हो गया, जब ब्रिटेन और बहरीन को फल का निर्यात किया जाने लगा। एपीडा ड्रैगन फ्रूट का निर्यात अन्य यूरोपीय देशों में करने की कोशिश कर रही है, जिससे किसानों को उनके उत्पाद केलिए बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकें। एपीडा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत संरचनाओं का विकास, गुणवत्ता विकास और बाजार के विकास पर बल देता है। वाणिज्य विभाग भी विभिन्न योजनाओं जैसे निर्यात योजना केलिए व्यापार बुनियादी संरचना, बाजार पहुंच पहल आदि के माध्यम से निर्यात को भी समर्थन प्रदान करता है।

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