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साइबर धोखाधड़ी पर हेल्पलाइन 155260

हेल्पलाइन प्रणाली ने 2 माह में ही बचाए लोगों के करोड़ों रु.

डिजिटल भुगतान इको-सिस्टम अब और भी ज्यादा सुरक्षित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 18 June 2021 01:42:44 PM

cyber fraud symbol

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुरक्षित डिजिटल भुगतान इको-सिस्टम को और ज्यादा सुदृढ़ करते हुए साइबर धोखाधड़ी से वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए जो राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म स्थापित किया था, उसने दो माह में ही अच्छी कामयाबी हासिल की है। हेल्पलाइन लॉंचिंग की केवल दो माह की छोटी सी अवधि में ही हेल्पलाइन नंबर 155260 कुल 1.85 करोड़ रुपये से भी अधिक की धोखाधड़ी की रकम जालसाजों के हाथों में जाने से रोकने में सफल रहा है। दिल्ली एवं राजस्थान ने क्रमशः 58 लाख रुपये और 53 लाख रुपये की बचत की है। गृह मंत्रालय का कहना है कि इससे बैंक धोखाधड़ी करने वाले हतोत्साहित होंगे और बैंक एवं पुलिस को जालसाजों को पकड़ने में भी आसानी होगी।
साइबर धोखाधड़ी से नुकसान उठाने वालों के लिए ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने को यह हेल्पलाइन 1 अप्रैल 2021 को लॉंच की गई थी। हेल्पलाइन और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को भारतीय रिज़र्व बैंक, सभी प्रमुख बैंक, भुगतान बैंक, वॉलेट और ऑनलाइन मर्चेंट के सक्रिय समर्थन और सहयोग से केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र आई4सी संचालित कर रहा है। कानून प्रवर्तन एजेंसियों और बैंकों एवं वित्तीय मध्यस्थों को एकीकृत करने के उद्देश्‍य से आई4सी ने आतंरिक रूपसे नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली विकसित की है। हेल्पलाइन नंबर 155260 के साथ इस साइबर प्रणाली का उपयोग सात राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है, जो देश की 35 प्रतिशत से भी अधिक आबादी को कवर करते हैं। अन्य राज्यों में भी जालसाजों से ठगे गए धन का प्रवाह रोकने के लिए इसकी शुरुआत की जा रही है।
हेल्पलाइन नंबर 155260 की यह विशेष सुविधा ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित सूचनाओं को साझा करने और लगभग वास्तविक समय में ही सटीक कार्रवाई करने के लिए नए जमाने की तकनीकों का उपयोग करते हुए बैंकों और पुलिस दोनों को ही सशक्त बनाती है। ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में धोखाधड़ी से अर्जित रकम का नुकसान रोका जा सकता है। धोखाधड़ी से रकम के समस्‍त प्रवाह पर करीबी नज़र रखकर और जालसाज को रकम बाहर निकालने से पहले ही इसके आगे के प्रवाह को रोक देने से यह संभव हो सकता है। ये हेल्पलाइन और इससे जुड़े प्लेटफॉर्म कुछ इस तरह काम करते हैं-साइबर ठगी के शिकार लोग हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करते हैं, जिसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस करती है। कॉल का जवाब देने वाला पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी वाले लेनदेन का ब्यौरा और कॉल करने वाले पीड़ित की बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी लिखता है, इसे नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूपमें दर्ज करता है, फिर ये टिकट तेजी से संबंधित बैंक, वॉलेट्स, मर्चेंट्स आदि तक पहुंचाया जाता है।
धोखाधड़ी रोकना इस बात पर निर्भर करता है कि वह इस पीड़ित का बैंक है या फिर वो बैंक या वॉलेट है, जिनमें धोखाधड़ी का पैसा गया है। साइबर धोखाधड़ी से पीड़ित को एक एसएमएस भेजा जाता है, जिसमें उसकी शिकायत की पावती संख्या भी होती है और साथ ही निर्देश होते हैं कि उस पावती संख्या का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर जमा करे। संबंधित बैंक जो अपने रिपोर्टिंग पोर्टल के डैशबोर्ड पर इस टिकट को देख सकता है, वो अपने आंतरिक सिस्टम में इस विवरण की जांच करता है और अगर धोखाधड़ी का पैसा अभी भी वहां मौजूद है तो बैंक उसकी निकासी रोक देता है यानी जालसाज फिर उस पैसे को निकलवा नहीं सकता है। अगर धोखाधड़ी का पैसा दूसरे बैंक में चला गया है तो वो टिकट उस अगले बैंक को पहुंचाया जाता है, जहां पैसा चला गया है।
बैंक धोखाधड़ी रोकने की इस प्रक्रिया को तबतक दोहराता है जबतक कि पैसा जालसाजों के हाथों में पहुंचने से बचा नहीं लिया जाता। मौजूदा समय में ये हेल्पलाइन और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म में सारे प्रमुख सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक शामिल हैं। इनमें भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, इंडसइंड, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस, यस और कोटक महिंद्रा बैंक उल्लेखनीय हैं। इससे सभी प्रमुख वॉलेट और मर्चेंट भी जुड़े हुए हैं जैसे-पेटीएम, फोनपे, मोबीक्विक, फ्लिपकार्ट और एमेजॉन। इस हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई मौकों पर ठगी के पैसे का नामोनिशान मिटाने के लिए जालसाजों के उसे पांच अलग-अलग बैंकों में डालने के बाद भी उसे जालसाजों के हाथों तक पहुंचने से रोका गया है। गौरतलब है कि बैंक जालसाजों और ठगों के हाथों लोगों का पैसा जाने से रोकना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता एवं शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक रहा है, जिसे गृहमंत्री अमित शाह और शीर्ष बैंक समूहों की रणनीतियों से सम्भव बनाया जा सका है।

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