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दुधवा में थारू बुनकर महिलाएं समृद्ध हुईं

तकनीकी सहयोग मिला तो करघों की उत्पादन क्षमता बढ़ी

टाइगर रिज़र्व के उत्तरी बफर जंगल बने शानदार उत्तरदान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 3 February 2021 03:13:16 PM

women associated with tharu handloom domestic industry prospered

नई दिल्ली/ लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश की तराई में विश्वविख्यात दुधवा टाइगर रिज़र्व के उत्तरी बफर जंगल में महिला बुनकरों का समूह अपनी रोजी-रोटी के इस साधन से बहुत खुश है। एक स्वयं सहायता समूह थारू हथकरघा घरेलू उद्योग से जुड़ी इन महिलाओं ने 2020 में अपने माल की बिक्री से कमाई में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। थारू महिलाएं तकनीकी सहयोग मिलने से शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने अपने करघों में तकनीकी सुधार किया है। इस क्षेत्र में बाढ़ के कारण मिट्टी में अतिरिक्त नमी के चलते उत्पन्न पारंपरिक करघों के असंतुलन को ठीक करने के लिए विश्व वन्यजीव कोष ने करघों का आधार तय किया है। महिलाओं ने अपने करघों में पैडल जोड़ा है, इससे करघे को दो बुनकर संचालित कर सकते हैं, इससे बुनाई के जटिल डिजाइनों का गुणवत्तायुक्त उत्पादन का समय भी कम हो गया है।
बुनकर करघों में परंपरागत रूपसे इस्तेमाल किए जाने वाले लकड़ी के शटर की जगह अब फाइबर ग्लास शटल का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे पहले ज्यादा हल्का और अधिक बेहतर है, यानी दो चरखी आधारित डिजाइन-गरारी प्रणाली और रस्सी रोलर प्रणाली को बुनाई के लिए एक रिक्त थ्रेड पैनल के साथ करघा के थ्रेड रोलर और ड्यूरा रोलर को समायोजित करते हुए काम में व्यवधान से बचने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारत सरकार के साइंस फॉर इक्विटी एंड डेवेलपमेंट डिवीजन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की टीएआरए योजना के तहत फंडिंग के साथ इस तकनीकी पर अमल हो पाया है और कोर सपोर्ट ग्रुप के माध्यम से कार्यांवित-डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने महिलाओं को होने वाली असुविधा को कम कर तमाम उपायों के जरिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादन एवं संचालन की दक्षता को बढ़ाया है। कोर सपोर्ट ग्रुप ने तकनीकी हस्तक्षेप, सुधार के लिहाज से उत्पादन के लिए एक केंद्र भी स्थापित किया है।
गाबरौला गांव में थारू हथकरघा घरेलू उद्योग की अध्यक्ष आरती राणा ने बताया है कि हम पहले एक अस्थायी ढांचे में काम करते थे और बारिश के दौरान तो हम कभी काम नहीं कर पाते थे अब इस उत्पादन केंद्र के साथ काम करने के दिनों की संख्या और हमारी उत्पादकता बढ़ गई है। इससे बुनकरों की आय और उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। इस समूह ने वर्ष 2016-17 के दौरान कुल लाभ 85,000 रुपये के साथ 250,000 रुपये की बिक्री की थी, वहीं वर्ष 2018-19 में इस समूह ने 240,000 रुपये की ब्रिक्री के साथ कुल 82,000 रुपये का लाभ कमाया था, इसी तरह 2019-20 में 2,08,000 रुपये की बिक्री के साथ कुल 80,000 रुपये का लाभ दर्ज किया था। लॉकडाउन 2020 में तुलनात्मक तौरपर बिक्री कम रही, लेकिन समूह ने नवंबर 2020 से जनवरी 2021 के दौरान 42,000 रुपये की बिक्री की।
महिलाओं को कौशल निर्माण, डिजाइन सुधार, क्वालिटी कंट्रोल के साथ ही मानकीकरण और लागत को लेकर भी प्रशिक्षिण मुहैया कराया गया है। इन महिलाओं को बाजार से जोड़ने और मौजूदा करघों में सुधार लाने के लिए भी समर्थन दिया गया है, ताकि वे इन सब चीजों में अधिक सुविधाजनक महसूस करें और इसमें माहिर हों। थारू हथकरघा घरेलू उद्योग की महिलाओं को 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया था, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार के रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राज्य सरकार ने उनके उत्पादों को बढ़ावा देने के लिहाज से 2018 से 2020 तक आपूर्ति करने के लिए 900,000 रुपये का ऑर्डर भी दिया था। उत्तर प्रदेश के वन्यजीव प्रतिपालक और मुख्य वन संरक्षक सुनील पांडेय की दुधवा टाइगर रिज़र्व में थारू बुनकर महिलाओं के उत्‍थान में उल्लेखनीय भूमिका मानी जाती है।

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