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'एकीकृत डेटाबेस वाले कॉंसेप्ट बेहद जरूरी'

कॉंफ्रेंसिंग पर 'अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क' पर सम्मेलन

आधुनिक कार्यक्रमों से कानून का प्रभावी क्रियांवयन संभव-रेड्डी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 16 December 2020 01:38:11 PM

union minister of state for home affairs kishan reddy

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए सीसीटीएनएस और आईसीजेएस जैसे एकीकृत डेटाबेस वाले कॉंसेप्ट बेहद जरूरी हो गए हैं। गृह राज्यमंत्री वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए 'अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क/ अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली में अच्छी प्रथाओं' के विषय पर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दो दिनी सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने किया था। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के दो प्रमुख आधुनिकीकरण कार्यक्रमों के कारण प्रभावी कानून का क्रियांवयन संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि यह एक सच्चाई है कि अपराध क्षेत्राधिकार की सीमाएं नहीं देखते, इसलिए अपराध को लेकर हमारी प्रतिक्रिया भी सीमाओं में बंधी होनी नहीं चाहिए, अपराध की तत्काल रिकॉर्डिंग और सभी हितधारकों तक इसकी जानकारी की पहुंच होना निस्संदेह रूपसे किसी भी प्रभावी कानून के क्रियांवयन ऑपरेशन का एक मुख्य पहलू है और यही सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के जन्म का कारण बना।
गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि करीब 2000 करोड़ रुपये की इस मिशन मोड परियोजना ने अपनी भारी पहुंच और कनेक्टिविटी के कारण जांच और पुलिसिंग में क्रांति ला दी है, इसने दूर-दराज के इलाकों में पुलिस थानों और अन्य कार्यालयों को जोड़ने में कामयाबी पाई है। उन्होंने कहा कि आईसीजेएस दरअसल डेटा शेयरिंग को बहुत ऊंचे स्तर पर ले जाता है और कानून के क्रियांवयन व न्यायिक प्रणालियों के बीच सच का एकल स्रोत सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली की संचालन दक्षता की बात करें तो बिना किसी संदेह के आईसीजेएस इस डेटा से चलने वाली दुनिया में उसके बल को कई गुना बढ़ा देने वाला है। गृह राज्यमंत्री ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि न्यू इंडिया को प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संयोजन करने की ज़रूरत है और गृहमंत्री अमित शाह के प्रयासों के चलते केंद्र सरकार ने आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।
जी किशन रेड्डी ने कहा कि देश के कुल 16,098 पुलिस स्टेशनों में से 95 प्रतिशत पुलिस स्टेशनों में सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है, करीब 97 प्रतिशत पुलिस स्टेशनों में कनेक्टिविटी उपलब्ध है और 93 प्रतिशत पुलिस स्टेशन सीसीटीएनएस के माध्यम से 100 प्रतिशत एफआईआर दर्ज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्मार्ट पुलिसिंग के अंतर्गत जवाबदेही, पारदर्शिता, समुदाय आधारित रणनीतियों और दक्षता पर ध्यान देते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक नया विजन उभरा है। उन्होंने बताया कि आपराधिक न्याय प्रणाली में वस्तुपरक और वैज्ञानिक रवैये को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय और नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी इन दो विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई है, इसके साथ-साथ पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए राज्यों को सहायता देने हेतु नवीनतम हथियारों, ट्रेनिंग गैजेट्स, उन्नत संचार और फोरेंसिक उपकरण आदि की खरीद के लिए फंड मुहैया करवाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ईज़ ऑफ लिविंग और सामुदायिक कल्याण को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम डिजिटल पुलिस पोर्टल रहा है, जिसे 2018 में एमएचए ने शुरु किया था।
गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि सीसीटीएनएस आधारित सेवाओं के साथ पुलिस के लिए अलग-अलग ऐप इस केंद्रीय एकल पोर्टल पर उपलब्ध हैं, इस संबंध में क्री-मैक, यूनिफाई, एनडीएसओ, आईटीएसएसओ, सेंट्रल सिटिजन सर्विसेज़ जैसी एप्लीकेशंस का जिक्र किया। उन्होंने इस नवीनतम क्रांतिकारी परियोजना के कार्यांवयन और प्रभावी निगरानी के लिए एनसीआरबी की तारीफ करते हुए कहा कि ये आंकड़े प्रभावशाली हैं और सीसीटीएनएस को सफल बनाने के लिए हरेक हितधारक की कड़ी मेहनत को दिखाते हैं। गृह राज्यमंत्री ने एक राज्य में की गई अच्छी पहलों को दूसरे राज्यों में दोहराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सहकारी संघवाद को मार्गदर्शक मंत्र के रूपमें इस्तेमाल किया है, राज्य मिलकर काम करते हैं, एकसाथ सीखते हैं और एक-दूसरे को आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून का क्रियांवयन कराने वाले अधिकारियों के लिए आइडियाज़ का खजाना साबित होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य एक-दूसरे से सीखें।
एनसीआरबी के निदेशक रामफल पवार ने कहा कि एनसीआरबी अब राष्ट्रीय स्वचालित फिंगर प्रिंट पहचान प्रणाली नाम की एक महत्वाकांक्षी परियोजना को लागू कर रहा है, ताकि संदिग्धों की शीघ्र पहचान के लिए फिंगरप्रिंट के संग्रह, भंडारण और मिलान को स्वचालित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सीसीटीएनएस डेटाबेस में मौजूद प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति के लिए ये बहुत जरूरी विशिष्ट पहचान भी प्रदान करेगा, क्योंकि एनएएफआईएस और सीसीटीएनएस बैक एंड पर जुड़े हुए हैं। एनसीआरबी की गतिविधियों का एक अवलोकन प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि अन्य सभी राज्यों को जारी करने से पहले हरियाणा और छत्तीसगढ़ को सीसीटीएनएस (राज्य) एप्लीकेशन का अपडेटेड संस्करण प्रायोगिक आधार पर जारी किया गया है, इसके अलावा एनसीआरबी आईसीजेएस के कार्यांवयन के लिए राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों और एनआईसी के साथ समन्वय कर रहा है।
रामफल पवार ने कहा कि नवीनतम रिपोर्टों के मुताबिक 28 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की अदालतों में और 32 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की जेलों में सीसीटीएनएस डेटा का इलेक्ट्रॉनिक रूपसे उपयोग किया जा रहा है, सीसीटीएनएस में कोर्ट डेटा का रिवर्स ट्रांसफर भी 9 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में शुरु हो चुका है। उन्होंने कहा कि राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने पुलिस अधिकारियों और नागरिकों के लिए कई मोबाइल ऐप भी विकसित किए हैं। उन्होंने बताया कि राज्यों के विकसित ये ऐप और ये टूल संकेत देते हैं कि पुलिस बल सीसीटीएनएस डेटाबेस का उपयोग करते हुए प्रौद्योगिकी सक्षम प्लेटफॉर्मों पर तेजी से स्थानांतरित हो रहे हैं। इस मौके पर अधिकारियों को अपने राज्यों में सीसीटीएनएस के बेहतर कार्यांवयन के लिए सम्मानित भी किया गया।

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