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भारत की आस्था शक्ति शोध का विषय-नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री ने शुभ अभिजीत मुहूर्त में किया 'श्रीराम मंदिर' का शिलान्यास

दुनिया में करोड़ों आस्‍थावान लोगों ने अपने संचार नेटवर्क से लाइव देखा

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Wednesday 5 August 2020 06:29:18 PM

narendra modi performing bhoomi pujan at 'shree ram janmabhoomi mandir'

अयोध्या। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अभिजीत योग के शुभ मुहूर्त पर अयोध्या में 'श्रीराम जन्मभूमि मंदिर' का शिलान्यास किया और इस हेतु आयोजित समारोह में शामिल हुए। देश के इस बहुप्रतीक्षित अवसर को देश-दुनिया के करोड़ों लोगों ने अपने संचार माध्यमों से लाइव देखा। इस मौके पर प्रधानमंत्री का संबोधन बहुत ही अनुकरणीय था और ऐसा लग रहा था कि मानों आज सरस्वती उनकी जिह्वा पर विराजमान हैं। प्रधानमंत्री ने भगवान श्रीराम पर जो धाराप्रवाह उद्गार व्यक्त किए, वह इतने तथ्यपूर्ण थे कि कोई भी उनका मुकाबला नहीं कर सकता। सुनहरे रंग के कुर्ते और क्रीम कलर की धोती एवं अंगवस्त्र पहने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में हेलीकॉप्टर से उतरे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री सबसे पहले हनुमानगढ़ी पहुंचे और हनुमानजी के दर्शन पूजा करके उनका आर्शीवाद लिया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान श्रीराम लला विराजमान के यहां गए और उन्हें दंडवत प्रणाम कर उनकी पूजा की। यहां के बाद प्रधानमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के परिसर में पारिजात का पौधा लगाया और फिर भूमि पूजन किया, जिसके पश्चात श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शुरु हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तुरंत बाद इसी परिसर में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में गए, जहां विशिष्ट अतिथि धर्माचार्य संत और राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के अनेक नायक मौजूद थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां उन्हें भगवान श्रीराम की एक प्रतिमा भेंट की। प्रधानमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर पांच रुपये का स्मारक डाक टिकट जारी किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपना वह संबोधन दिया, जिसको भारत सहित दुनियाभर में सुना गया और जो हमेशा ही सभी के लिए एक प्रेरणास्रोत बना रहेगा। प्रधानमंत्री के भूमिपूजन और शिलान्यास के समय एक अद्भुत स्थिति देखने और सुनने को मिली, जिसमें जो लोग और जो राजनीतिक दल भूमिपूजन का विरोध कर रहे थे, वह इसका स्वागत और भगवान श्रीराम के बारे में अनुकरणीय कमेंट करते पाए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत जय सियाराम से की। उन्होंने कहा कि आज ये जयघोष सिर्फ सियाराम की नगरी में ही नहीं सुनाई दे रहा, बल्कि इसकी गूंज पूरे विश्वभर में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी देशवासियों को और विश्वभर में फैले करोड़ों भारत भक्तों, राम भक्तों को आज के इस पवित्र अवसर की कोटि-कोटि बधाई!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान श्रीराम के बारे में उच्चकोटि के उद्गारों के साथ कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे आमंत्रित किया है, इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया, मैं इसके लिए हृदयपूर्वक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि भारत आज भगवान भास्कर के सानिध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है, कन्याकुमारी से क्षीरभवानी, कोटेश्वर से कामाख्या, जगन्नाथ से केदारनाथ, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ, सम्मेद शिखर से श्रवण बेलगोला, बोधगया से सारनाथ, अमृतसर से पटना साहिब, अंडमान से अजमेर, लक्ष्यद्वीप से लेह लद्दाख और कश्मीर तक पूरा भारत राममय है, पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। उन्होंने कहा कि आज भारत भावुक भी है, जिसका सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है, करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि टूटना और फिर उठ खड़े होना, सदियों से चल रहे इस व्यथित क्रम से रामजन्मभूमि आज मुक्त हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई-कई पीढ़ियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था, गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था, जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो, देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त का दिन अथाह तप और लाखों बलिदानों का प्रतीक है, स्वतंत्रता की उत्कंठ इच्छा, भावना का प्रतीक है, ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक कई-कई पीढ़ियों ने अखंड अविरल एकनिष्ठ प्रयास किए हैं, आज का ये दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्रीराम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था, जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राममंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सब लोगों को आज नमन करता हूं, उनका वंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि संपूर्ण सृष्टि की शक्तियां, राम जन्मभूमि के पवित्र आंदोलन से जुड़ा हर व्यक्तित्व, जो जहां है, इस आयोजन को देख रहा है, वो भाव-विभोर है। उन्होंने कहा कि राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं, कोई काम करना हो तो प्रेरणा के लिए हम भगवान श्रीराम की ओर ही देखते हैं।
श्रीराम भारत की अनेकता में एकता के सूत्र-मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आप भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए, उनकी इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन श्रीराम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। उन्होंने कहा कि श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, इसी आलोक में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर श्रीराम के इस भव्य-दिव्य मंदिर के लिए भूमिपूजन हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां आने से पहले मैंने हनुमानगढ़ी का दर्शन किया, श्रीराम के सब काम हनुमान ही तो करते हैं, श्रीराम के आदर्शों की कलियुग में रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हनुमानजी की ही है और हनुमानजी के आशीर्वाद से ही श्रीराम मंदिर भूमि पूजन का ये आयोजन शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा, हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, ये मंदिर आस्था, श्रद्धा और संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि इस मंदिर के बनने के बाद अयोध्या की सिर्फ भव्यता ही नहीं बढ़ेगी, इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र भी बदल जाएगा, यहां हर क्षेत्र में नए अवसर बनेंगे, पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे, पूरी दुनिया प्रभु श्रीराम और माता जानकी का दर्शन करने आएगी, यहां कितना कुछ बदल जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राममंदिर के निर्माण की ये प्रक्रिया, राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम है, ये महोत्सव है विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का, नर को नारायण से जोड़ने का, लोक को आस्था से जोड़ने का, वर्तमान को अतीत से जोड़ने का और स्वयं को संस्कार से जोड़ने का। उन्होंने कहा कि आज के ये ऐतिहासिक पल युगों-युगों तक दिग-दिगंत तक भारत की कीर्ति पताका फहराते रहेंगे, आज का यह दिन सत्य, अहिंसा, आस्था और बलिदान को न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है। उन्होंने कहा कि कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमिपूजन का ये कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है, श्रीराम के काम में मर्यादा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए, देश ने वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था, जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, हमने तब भी देखा था कि कैसे सभी देशवासियों ने शांति के साथ सभी की भावनाओं का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था, आज भी हम हर तरफ वही मर्यादा देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मंदिर के साथ सिर्फ नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा, बल्कि इतिहास खुद को दोहरा भी रहा है, जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर और केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को भगवान श्रीराम की विजय का माध्यम बनने का सौभाग्य मिला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिस तरह छोटे-छोटे ग्वालों ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने में बड़ी भूमिका निभाई, जिस तरह मावले छत्रपति वीर शिवाजी की स्वराज स्थापना के निमित्त बने, जिस तरह गरीब-पिछड़े, विदेशी आक्रांताओं के साथ लड़ाई में महाराजा सुहेल देव के संबल बने, जिस तरह दलितों पिछड़ों आदिवासियों, समाज के हर वर्ग ने आजादी की लड़ाई में गांधीजी को सहयोग दिया, उसी तरह आज देशभर के लोगों के सहयोग से श्रीराम मंदिर निर्माण का ये पुण्यकार्य प्रारंभ हुआ है। उन्होंने कहा कि जैसे पत्थरों पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बनाया गया, वैसे ही घर-घर से गांव-गांव से श्रद्धापूर्वक पूजी शिलाएं, यहां ऊर्जा का स्रोत बन गई हैं। उन्होंने कहा कि देशभर के धामों और मंदिरों से लाई गई मिट्टी और नदियों का जल, वहां के लोगों, वहां की संस्कृति और वहां की भावनाएं, आज यहां की शक्ति बन गई हैं वाकई, ये न भूतो न भविष्यति है। उन्होंने कहा कि भारत की आस्था शक्ति, भारत के लोगों की सामूहिकता, अमोघ शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय है, शोध का विषय है। उन्होंने कहा कि श्रीरामचंद्र को तेज में सूर्य के समान, क्षमा में पृथ्वी के तुल्य, बुद्धि में बृहस्पति के सदृश्य और यश में इंद्र के समान माना गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीराम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है, वो है सत्य पर अडिग रहना, इसीलिए ही श्रीराम संपूर्ण हैं, इसलिए ही वो हजारों वर्ष से भारत के लिए प्रकाश के स्तंभ बने हुए हैं, श्रीराम ने सामाजिक समरसता को अपने शासन की आधारशिला बनाया था, उन्होंने गुरु वशिष्ठ से ज्ञान, केवट से प्रेम, शबरी से भक्ति और मातृत्व, हनुमानजी एवं वनवासी बंधुओं से निष्ठा सहयोग और प्रजा से विश्वास प्राप्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक गिलहरी की महत्ता को भी उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया, उनका अद्भुत व्यक्तित्व, उनकी वीरता, उनकी उदारता, उनकी सत्यनिष्ठा, उनकी निर्भीकता, उनका धैर्य, उनकी दृढ़ता, उनकी दार्शनिक दृष्टि युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने कहा कि श्रीराम प्रजा से एक समान प्रेम करते हैं, लेकिन गरीबों और दीन-दुखियों पर उनकी विशेष कृपा रहती है, इसलिए तो माता सीता, राम जी के लिए कहती हैं-यानि जो दीन है, जो दुखी हैं, उनकी बिगड़ी बनाने वाले श्रीराम हैं। उन्होंने कहा कि जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां श्रीराम प्रेरणा न देते हों, भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं! भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि हजारों साल पहले वाल्मीकि रामायण में जो राम प्राचीन भारत का पथ प्रदर्शन कर रहे थे, जो राम मध्ययुग में तुलसी, कबीर और नानक के जरिए भारत को बल दे रहे थे, वही राम आज़ादी की लड़ाई के समय बापू के भजनों में अहिंसा और सत्याग्रह की शक्ति बनकर मौजूद थे! उन्होंने कहा कि तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं तो सदियों से ये अयोध्या नगरी जैनधर्म की आस्था का केंद्र भी रही है। उन्होंने कहा कि राम की सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है, तमिल में कंब रामायण तो तेलगू में रघुनाथ और रंगनाथ रामायण है, उड़िया में रूइपाद-कातेड़पदी रामायण तो कन्नड़ में कुमुदेंदु रामायण है। उन्होंने कहा कि कश्मीर जाइए तो आपको रामावतार चरित मिलेगा, मलयालम में रामचरितम् मिलेगी, बांग्ला में कृत्तिवास रामायण है तो श्रीगुरु गोबिन्द सिंह ने तो खुद गोबिन्द रामायण लिखी है। उन्होंने कहा कि अलग अलग रामायणों में, अलग अलग जगहों पर श्रीराम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे, लेकिन श्रीराम सब जगह हैं, श्रीराम सबके हैं, इसीलिए श्रीराम भारत की ‘अनेकता में एकता’ के सूत्र हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में कितने ही देश श्रीराम के नाम का वंदन करते हैं, वहां के नागरिक, खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, वो है इंडोनेशिया, वहां हमारे देश की ही तरह काकाविन रामायण, स्वर्णद्वीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायण हैं, श्रीराम आज भी वहां पूजनीय हैं, इसी प्रकार कंबोडिया में रमकेर रामायण है, लाओ में फ्रा लाक फ्रा लाम रामायण है, मलेशिया में हिकायत सेरी राम तो थाईलैंड में रामाकेन है, ईरान और चीन में भी श्रीराम के प्रसंग तथा राम कथाओं का विवरण मिलेगा, श्रीलंका में रामायण की कथा जानकी हरण के नाम सुनाई जाती है और नेपाल का तो श्रीराम से आत्मीय संबंध, माता जानकी से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही दुनिया के और न जाने कितने देश हैं, कितने छोर हैं, जहां की आस्था में या अतीत में श्रीराम किसी न किसी रूपमें रचे बसे हैं, आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां वहां की भाषा में रामकथा प्रचलित है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को श्रीराम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी, आखिर राम सबके हैं, सब में हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला ये भव्य श्रीराम मंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा, यह अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा, इसलिए हमें ये भी सुनिश्चित करना है कि भगवान श्रीराम का संदेश, राममंदिर का संदेश, हमारी हजारों साल की परंपरा का संदेश, कैसे निरंतर पूरे विश्व तक पहुंचे, कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवनदृष्टि से विश्व परिचित हो, ये हमारी, हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की ज़िम्मेदारी है, इसी को समझते हुए आज देश में भगवान श्रीराम के चरण जहां-जहां पड़े, वहां राम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या तो भगवान श्रीराम की अपनी नगरी है, अयोध्या की महिमा तो खुद प्रभु श्रीराम ने कही है-जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि, यहां राम कह रहे हैं-मेरी जन्मभूमि अयोध्या अलौकिक शोभा की नगरी है! उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत यानि पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक कभी हुआ ही नहीं, श्रीराम की शिक्षा है कि नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना कोई भी दुखी न हो गरीब न हो, श्रीराम का सामाजिक संदेश है-प्रहृष्ट नर नारीकः, समाज उत्सव शोभितः नर-नारी सभी समान रूपसे सुखी हों। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इन्हीं सूत्रों, इन्हीं मंत्रों के आलोक में रामराज्य का सपना देखा था, राम का जीवन, उनका चरित्र ही गांधीजी के रामराज्य का रास्ता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रभु श्रीराम ने हमें कर्तव्यपालन की सीख दी है, अपने कर्तव्यों को कैसे निभाएं इसकी सीख दी है, उन्होंने हमें विरोध से निकलकर, बोध और शोध का मार्ग दिखाया है, हमें आपसी प्रेम और भाईचारे के जोड़ से श्रीराम मंदिर की इन शिलाओं को जोड़ना है, हमें ध्यान रखना है कि जब-जब मानवता ने श्रीराम को माना है विकास हुआ है, जब-जब हम भटके हैं विनाश के रास्ते खुले हैं। उन्होंने कहा कि हमें सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है, हमें सबके साथ से सबके विश्वास से सबका विकास करना है, अपने परिश्रम, अपनी संकल्पशक्ति से एक आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है, अब देरी नहीं करनी है, अब हमें आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि आज भारत के लिए हम सबके लिए भगवान श्रीराम का यही संदेश है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम सब आगे बढ़ेंगे, देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान की मर्यादा है कि दो गज की दूरी मास्क है जरूरी, मर्यादाओं का पालन करते हुए सभी देशवासियों को प्रभु श्रीराम स्वस्थ रखें, सुखी रखें, सभी देशवासियों पर माता सीता और श्रीराम का आशीर्वाद बना रहे यही प्रार्थना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपालदास महाराज और सरसंघ चालक डॉ मोहन भागवत ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। मंच पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद थीं। कार्यक्रम का संचालन ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने किया।

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