स्वतंत्र आवाज़
word map

विरोधाभासों से भरे हैं शिवसेना के कृत्य!

सुशांत सिंह मामले ने कर दिए हैं अनेक कनेक्शन उजागर

अपराधी पुलिस नेता गठजोड़ मायानगरी का असली सच

Sunday 2 August 2020 04:58:28 PM

हरेश कुमार

हरेश कुमार

shiv sena parti logo

महाराष्ट्र मुंबई में यह 110 फीसदी सही है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के साथ शिवसेना और उसके नेताओं का व्यवहार शुरू से ही दोहरा रहा है। यूपी और बिहार के लोगों को भैया बोलना और उनके साथ मारपीट करना इनकी संस्कृति रही है। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना ने बिहार और यूपी के मजदूरों और छोटे कर्मचारियों को वहां से भगाने के लिए एकदम से निचली स्तर की हरकतों को मूर्त रूप दिया। बिहार और यूपी के लोगों ने किसी से रोज़गार नहीं छीना है, बल्कि बिहार और यूपी के लोग वहां छोटे-छोटे ऐसे भी काम करते हैं जो महाराष्ट्र के लोग नहीं करना चाहते। जैसे-सब्जी बेचना, दूध ब्रेड की दुकान खोलना, ऑटो रिक्शा और ट्रक चलाना, मकान-दुकान आदि बनाने के लिए राज मिस्त्री या मजदूरी का काम करना।
शिवसेना और उससे निकली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता ऐसे लोगों से हफ्ता वसूली तो करते ही हैं, समय-समय पर उनके साथ मारपीट भी करते हैं। इनके साथ में न तो महाराष्ट्र भाजपा के नेता खड़े होते हैं और न कोई अन्य नेता, क्योंकि सबको स्थानीय मराठी समुदाय के वोट छिटकने का डर होता है। महाराष्ट्र मुंबई में लोगों को सस्ते मजदूर भी चाहिएं और उनसे घृणा भी करते हैं। इनका यह कृत्य विरोधाभासों से भरा है। एक तरफ आप गंदी नाली साफ नहीं करेंगे और दूसरे लोग इसके लिए तैयार होंगे तो उन्हें आप अपने लिए समस्या भी साबित करेंगे। यह दोहरी मानसिकता ही यहां सभी समस्याओं की जड़ है। यहां नेताओं को सिर्फ वोट से मतलब है और वो लोगों को भड़काकर अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं।
अब आईए सुशांत सिंह की हत्या या आत्महत्या की घटना पर। घटना के शुरू दिन से ही महाराष्ट्र सरकार और पुलिस इस केस को हल करने के बजाय डायवर्ट करने में लगी है। कुछ तो ऐस हैं जिन्हें वह बचाने में लगी है। आज तक सुशांत सिंह के लैपटॉप और मोबाइल को वह अपने कब्जे में न ले सकी। सीसीटीवी फुटेज, बैंक डिटेल्स, सुशांत सिंह के नजदीकी रिया चक्रवर्ती, अंकिता लोखंडे और अन्य का बयान तक मुंबई पुलिस नहीं ले सकी है। मुंबई पुलिस देश की सबसे बेहतरीन पुलिस मानी जाती है। देश की आर्थिक राजधानी इसी पुलिस के कारण सांस ले रही है। यह मुंबई पुलिस ही थी, जिसके कॉंस्टेबल तुकाराम ने मुंबई में ताज होटल पर 26/11 के हमले के दौरान पाकिस्तान के इस्लामिक आतंकवादी अजमल कसाब को अपनी जान पर खेलकर जिंदा पकड़ा था, वरना तब की सत्तारूढ़ कांग्रेस इसे हर हाल में हिंदू आतंकवादी घोषित करने पर तुली थी।
कहना ना होगा कि 26/11 के हमले में हेमंत करकरे की भूमिका तो हमेशा संदेहास्पद रही है। एक व्यक्ति जो मुंबई पुलिस के सबसे बड़े पद पर हो, बुलेटप्रूफ जैकेट पहना हो और उसकी मौत बिना कोई गोली चलाए हो जाए, इतना काफी है इसे संदेहास्पद बनाने के लिए। तब बुलेटप्रूफ जैकेट की खरीददारी में भी जमकर घोटाला सामने आया था। खबरें तो ऐसी भी आईं थीं कि उसकी जैकेट को गायब कर दिया गया, ताकि उसपर किसी तरह के प्रश्न न उठें। मुंबई पुलिस पर आतंकवादी दाऊद और बॉलीवुड के संदेहास्पद कारोबारियों के साथ रिश्ते रखने की ख़बरें आती रहती हैं। ख़बर है कि रिया चक्रवर्ती का रिश्ता मुंबई पुलिस के एक बड़े अधिकारी और महाराष्ट्र के एक बड़े नेता तक से है। इसी कारण आरोप लग रहे हैं कि मुंबई पुलिस जांच को भटका रही है।
यह सभी जानते हैं कि बॉलीवड युवाओं के सपनों को उड़ान देने की जगह है। हर साल लाखों युवक-युवती मुंबई हिंदी सिनेमा से जुड़ने के लिए मुंबई की ओर रुख करते हैं, लेकिन सफलता कुछ ही लोगों को मिलती है। कुछ युवक-युवती अंधकार में खो जाते हैं तो कुछ ग़लत हाथों में पड़कर अपनी ज़िंदगी को नर्क में बदल देते हैं। अभिनय की यह नगरी ड्रग तस्करों और महिला शरीर के सौदागरों का भी बड़ा अड्डा है। यहां देशविरोधी लोगों की गतिविधियां भी देखी जाती रही हैं। मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और मुंबई के भगोड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के समर्थकों का आज भी बोलबाला है। ये सब हवाला के जरिए दाऊद इब्राहिम के पैसों को फिल्मों में लगाते हैं।
मुंबई पुलिस को इन सब बातों की जानकारी है, लेकिन राजनीतिक दबाव में वह इन सब पर अंकुश लगाने में कामयाब नहीं हो पाती है। जब भी कोई बड़ी कार्रवाई की बात होती है तो इनसे जुड़े नेता मुंबई पुलिस को एक्शन लेने से रोक देते हैं और एक बार फिर ऐसे आपराधिक लोग सक्रिय हो जाते हैं। जाहिर सी बात है कि पैसे में वह ताकत होती है कि वो कुछ भी करा सकता है और यहां तो पैसे के साथ-साथ स्त्री का कोमल शरीर भी मौजूद है। इस ‌फिल्म इंडस्ट्री में हर उस अवैध गतिविधि को अंजाम दिया जाता है, जिसे जानने के बाद आपको उससे घृणा हो जाए। इसके बावजूद वहां जाकर नए सपने बुनने और उसे साकार करने का सपना देखने वालों की कमी नहीं है। अफसोस! शिवसेना, ठाकरे एंड संस गुंडागर्दी, बॉलीवुड, नशे का अड्डा, दाऊद इब्राहिम कनेक्शन, पाकिस्तान खुफिया एजेंसी, आईएसआई का अड्डा, वामपंथी, अवॉर्ड गिरोह, फाइव स्टार देह कारोबार, हवाला कारोबार, अपराधी, पुलिस, नेता, गठजोड़, मायानगरी, फिल्म नगरी, सपनों की दुनिया ही आज मुंबई का सच और पहचान बन गई है। (यह कंटेंट हरेश कुमार की फेसबुक वॉलपोस्ट से साभार)।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]