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श्रीराम हमारी आस्था व अस्मिता के प्रतीक-राज्यपाल

डॉ राममनोहर विवि में 'राम नाम अवलंबन एकू' विषय पर ई-संगोष्ठी 

भारतीय परम्परागत ज्ञान में बीमारियों से बचाव के हैं अनेक उपाय

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Tuesday 26 May 2020 04:19:02 PM

governor anandiben patel

लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या में ‘राम नाम अवलंबन एकू’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी को राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित किया। राज्यपाल ने कहा है कि भारतीय लोक जीवन में प्रभु श्रीराम सर्वत्र, सर्वदा प्रवाहमान महाऊर्जा के पर्याय हैं। उन्होंने कहा कि श्रीराम हमारी आस्था और अस्मिता के प्रतीक हैं, उन्हें किसी धर्म, जाति और वर्ग के नाम पर सीमित नहीं रखा जा सकता, क्योंकि वे निर्विकार हैं। उन्होंने कहा कि श्रीराम का नाम केवल साधन नहीं, अपितु वह साध्य भी है, जो बुराइयों के प्रभाव को नष्ट करता है और मानव मात्र को विपत्ति से मुक्ति प्रदान करता है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रभु श्रीराम के जीवन मूल्यों से प्रकाशित आत्मबोध प्रदान करने वाली है। राज्यपाल ने कहा कि आध्यात्म को अपनाकर ही जीवन मूल्यों को सुरक्षित किया जा सकता है, वसुधैव कुटुम्बकम की संकल्पना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से जुड़ी है। कोविड-19 महामारी के परिप्रेक्ष्य में राज्यपाल ने कहा कि हमारे वेदों, पुराणों एवं उपनिषदों में विभिन्न बीमारियों के संबंध में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटी और पेड़-पौधों का उल्लेख किया गया है, इनका उपयोग हमारे ऋषि-मुनियों और राजवैद्य औषधि के रूपमें करते थे और आज भी इन जड़ी-बुटियों की प्रासंगिकता बनी हुई है।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय परम्परागत ज्ञान में बीमारियों से बचाव के अनेक उपाय बताए गए हैं, लेकिन समय की जमी धूल ने उसे अदृश्य बना दिया है। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है, ताकि लोग साफ-सफाई को अपनाकर निरोग रह सकें। राज्यपाल ने कहा कि संक्रमणों से बचाव के लिए सनातन धर्म में हाथ, पैर और मुख धोकर भोजन करने, दांतों से नाखून न काटने, दूसरों के स्नान के तौलिया का प्रयोग न करने आदि के जो नियम बताए गए हैं, उनका सभीको पालन करना चाहिए और बीमारियों से बचने का प्रयास करना चाहिए।
आनंदीबेन पटेल ने कहा‌ कि धर्म वस्तुतः भगवान और मानव के बीच आस्था, विश्वास और श्रद्धा से परिपूर्ण रिश्ते को सुदृढ़ बनाए रखने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि भगवान, गॉड, खुदा और वाहेगुरू तक पहुंचने का एक ही मार्ग है, वह है सत्य के मार्ग का अनुसरण करना। ई-संगोष्ठी में रामकथा के मर्मज्ञ जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य, डॉ राममनोहर विश्वविद्यालय अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित और गणमान्य नागरिक शामिल हुए।

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