स्वतंत्र आवाज़
word map

यूपी में सड़ी पंजीरी बिस्कुट के करोड़ों वसूले

जयपुर और बरेली की आपूर्ति फर्में ब्लैकलिस्ट की गईं

उत्तर प्रदेश में बाल विकास पुष्टाहार में बड़ा घोटाला

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 24 March 2020 05:20:59 PM

anganwadi

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की आंगनवाड़ियों और स्कूलों में बच्चों के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय को करीब बीस साल से पंजीरी और बिस्कुट की सप्लाई कर रही जयपुर और बरेली की दो फर्मों को राज्य सरकार ने ब्लैक लिस्ट किया है। ये फर्में हैं-मेसर्स जेवीएस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड जयपुर (राजस्थान) और मेसर्स खंडेलवाल सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड बरेली (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश सरकार आज इनको काली सूची में डालने के जो भी तर्क दे रही हो, लेकिन इस सच्चाई को झुंठलाया नहीं जा सकता है कि राज्य सरकार के मंत्रियों शासन उच्चाधिकारियों और निदेशालय के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ये फर्में मनमाना भ्रष्टाचार नहीं कर सकतीं। यह तो मात्र दो उदाहरण हैं, उत्तर प्रदेश में इनका गैंग कम शक्तिशाली नहीं है। मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव की सरकार में इन फर्मों ने बाहर से सड़ी हुई पंजीरी और न्यूट्री बिस्कुट खरीदकर ऊंचे दाम पर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय को सप्लाई की हैं। यह बच्चों के नाम पर पंजीरी और न्यूट्री बिस्कुट खाने का एक बड़ा मामला है, जिसमें फिलहाल सरकार ने इन फर्मों पर ही हाथ डाला है और असली दोषी बचे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी अक्सर सड़ी हुई पंजीरी और बिस्कुट के मामले उठते आए हैं, लेकिन इन फर्मों पर कभी कोई कार्रवाई इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि इनकी मुख्यमंत्रियों तक सीधी पहुंच रही है। कहा तो यहां तक जाता है कि यदि किसी मंत्री और अधिकारी ने इस भ्रष्टाचार को उठाने की कोशिश की तो मुख्यमं‌त्री कार्यालय ने या तो मंत्री या अधिकारी का विभाग बदल दिया या फिर उन्हें चुप करा दिया गया। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय के इस भ्रष्टाचार पर भारी शोरशराबे और मुख्यमंत्री कार्यालय पर सीधे आंच आने के भय से इन फर्मों की जांचे राज्य के भ्रष्टाचार निवारण संगठन को सौंपी गईं तो इनकी जांच की फाइलें भी कछुओं की चाल चलीं। योगी सरकार में ये मामले तेजी से बढ़े और पाया गया कि इन फर्मों ने न केवल खराब पंजीरी और बिस्कुट सप्लाई किए, अपितु फर्जी बिल बनाकर सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया। इन दोनों फर्मों का बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय में पूरा साम्राज्य रहा है और अपवाद को छोड़कर निदेशालय के अधिकारी से लेकर और चपरासी तक सभी ने बच्चों के नाम पर पंजीरी और बिस्कुट खाए हैं। राज्य सरकार ने विश्व खाद्य कार्यक्रम/केयर सहायतित बाल विकास परियोजनाओं में पोषाहार प्रसंस्करण एवं परिवहन के लिए शासन में अनुबंधित फिलहाल इन दो आपूर्तिकर्ता फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया है कि विश्व खाद्य कार्यक्रम के पोषाहार प्रसंस्करण एवं परिवहन हेतु शासन तथा मेसर्स जेवीएस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, सी-345, हंस मार्ग, मालवीयनगर जयपुर के मध्य 21 मार्च 2001 को अनुबंध हुआ था। पाया गया है कि इस फर्म ने उत्तर प्रदेश की राज्य घोषित परियोजनाओं में आपूर्ति किए गए बिस्कुट पर 16 प्रतिशत उत्पाद शुल्क को सम्मिलित करते हुए विभाग से भुगतान प्राप्त किया, जबकि मार्च 2003 में यह घटकर 8 प्रतिशत हो चुका था। निदेशालय को आपूर्ति किए गए न्यूट्री बिस्कुट की फर्म स्वयं उत्पादनकर्ता नहीं थी, बल्कि बाहर से बिस्कुट खरीदकर ही आपूर्ति करती थी। इस फर्म ने यह सभी तथ्य छिपाते हुए निदेशालय को अंधकार में रखकर जानबूझ कर केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग को पूर्ववत बढ़े हुए दर से बिल प्रस्तुत किए। इस प्रकरण की आर्थिक अपराध संगठन ने जांच की, जिसमें फर्म को दोषी पाया गया है।
आर्थिक अपराध संगठन ने इस फर्म के विरुद्ध भारतीय दंड विधान में अभियोग पंजीकृत कराकर इसे काली सूची में डाले जाने की संस्तुति की थी, जिसके फलस्वरूप इस फर्म को ब्लैकलिस्ट किया गया है। इसी प्रकार केयर सहायतित बाल विकास परियोजनाओं में पोषाहार प्रसंस्करण एवं परिवहन हेतु शासन तथा मेसर्स खंडेलवाल सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड 26-बी/1, माधौबाड़ी, नई बस्ती बरेली के मध्य 09.07.2001 को अनुबंध हुआ था। निष्पादित अनुबंध के अनुसार इस फर्म को रेडी टू ईट (पंजीरी) प्रसंस्करण कार्य हेतु कोलकाता स्थित सी एंड एफ एजेंट के गोदाम से रिफाइंड वेजीटेबिल ऑयल को उत्पादन इकाई बरेली तक लाने तथा पोषाहार तैयार करने के उपरांत प्रदेश की परियोजनाओं पर परिवहन किया जाना था। फर्म के प्रबंधक ने 10 अक्टूबर 2003 को फर्म के गोदाम से 244 पेल्स रिफाइंड वेजीटेबिल (आरवी) ऑयल की चोरी की एफआईआर (संख्या-117) बरेली के कैंट थाने में लिखाई, जो विवेचना में असत्य पाई गई। इसके अलावा खंडेलवाल सोया इंडस्ट्रीज बरेली ने भी राज्य पोषित योजना के अंतर्गत प्रदेश की परियोजनाओं में आपूर्ति किए गए बिस्कुट पर 16 प्रतिशत उत्पाद शुल्क को सम्मिलित करते हुए विभाग से भुगतान प्राप्त किया, जबकि देय उत्पाद शुल्क मार्च 2003 में 16 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत हो गया था। आपूर्ति किए गए न्यूट्री बिस्कुट की यह फर्म भी स्वयं उत्पादनकर्ता नहीं थी, बल्कि बाहर से बिस्कुट खरीद कर ही आपूर्ति करती थी।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इन फर्मों ने सभी तथ्य छिपाते हुए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय को अंधकार में रखकर जानबूझ कर केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग को पूर्ववत बढ़ी हुई दर से बिल प्रस्तुत किए। इन मामलों जांच आर्थिक अपराध संगठन से कराई गई। जांच आख्या में इनको दोषी मानते हुए इनके विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कराकर इनको काली सूची में डाले जाने की संस्तुति की गई थी, जिसके फलस्वरूप इन दोनों आपू‌र्तिकर्ता फर्मों को ब्लैक लिस्टेड घोषित कर दिया है। गौरतलब है कि बाल विकास पुष्टाहार विभाग में पंजीरी और बिस्कुट का खेल लंबे समय से चल रहा है। अनुभव में आया है भारत सरकार के बच्चों को पुष्टाहार कार्यक्रम का प्रयोग विफल रहा है। जिन बच्चों को इन योजनाओं का लाभ मिलना था, उनके स्‍थान पर औरों ने ही लाभ उठाया है। स्कूलों में मिड डे मील योजना की वास्तविकता कौन नहीं जानता है? बहरहाल अब देखना होगा कि योगी सरकार इस मामले में कितनी कार्रवाई करती है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]