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नेपाल में चुनाव में माओवादियों के अड़ंगे शुरू

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Monday 01 April 2013 03:06:50 AM

काठमांडू। नेपाल में सरकार जहां एक ओर चुनाव का वातावरण बना रही है, वहीं वैद्यपक्षीय नेकपा-माओवादी किसी भी हालात में चुनाव नहीं होने देने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को सख्त निर्देश दे रहे हैं। इस बीच वैद्यपक्षीय नेकपा-माओवादी के प्रवक्ता पम्फा भुसाल ने कहा है कि चुनाव नही होने देने के उद्देश्य से ही उनके कार्यकर्ताओं ने फोटो सहित मतदाता नामावली संकलन में अवरोध पहुंचाया है। पम्फा भुसाल के अनुसार केवल मतदाता नामावली में ही अवरोध पहुंचाने से आसाढ़ में संविधानसभा का चुनाव होना संभव नहीं हो सकता।
पूर्वी नेपाल के झापा, मोरंग, धनकुटा और सुनसरी मे संघीय लिम्बुवान के कार्यकर्ताओं से मिलकर माओवादी कार्यकर्ताओं ने फोटो सहित मतदाता नामावली संकलन में अवरोध पहुंचाना शुरु कर दिया है। देश के अन्य भागों में भी माओवादी कार्यकर्ताओं ने नामावली अद्यावधिक करने के काम में अवरोध शुरु कर दिया है। हालांकि आंदोलन के लिए दलों को मिलाकर बनाए गए 33 दलीय गठबंधन की सघंर्ष के लिए सार्वजनिक किए गए घोषणा पत्र में मतदाता नामावली अद्यावधिक करने के अभियान को अवरुद्ध करने की कोइ भी शर्त नहीं है, इसके बाबजूद माओवादी प्रवक्ता ने कहा है कि किसी भी हालात में हम चुनाव नहीं होने देगें।
चुनाव में विघ्न डालने के लिए मोर्चे का विस्तार किया गया है। वैद्यपक्षीय नेकपा माओवादी ने संविधानसभा का चुनाव नहीं होने देने की रणनीति बनाकर विभिन्न क्षेत्रीय एवं जातीय पार्टी को अपने मोर्चा में शामिल किया है। इन छोटे-छोटे दलों के अंदर भी चुनाव बहिष्कार करें या इसका उपयोग करें, इस संबंध में एक मत नहीं बन सका है। कई छोटे दल चुनाव में जाकर समानुपातिक तरफ से एक-दो सीट जीतने के लोभ में इसी सरकार से चुनाव करवाने के पक्ष में हैं, यद्यपि वैद्य नेतृत्व वाली माओवादी ने उन लोगों को रेग्मी के नेतृत्व वाली सरकार को गिराकर गोलमेज की मार्फत दूसरी सरकार बनाकर चुनाव में जाने का फैसला किया है।
वैद्य के 33 दलीय मोर्चे में रहे पूर्व फोरम के नेता किशोर विश्वास भी वैद्य पक्षीय माओवादी की ही भाषा प्रयोग कर रहे हैं, जबकि ये नेता कह रहे हैं कि वे संविधान सभा के विरोध में कभी भी नही थे, लेकिन वे रेग्मी सरकार के विरुद्ध प्रतिगमन विरोधी आंदोलन में जरुर हैं। उधर वीर नेम्वाङ के नेतृत्व में गठित दूसरे जातीय मोर्चे के साथ भी वैद्य पक्ष के माओवादी नेताओं से बातचीत हो रही है। माओवादी नेता खड्ग बहादुर विश्वकर्मा और कोचिला इंचार्ज शाबित्री कुमार काफ्ले के साथ भी उन लोगों की बात होने की जानकारी लिम्बुवान के नेता पदम अधिकारी ने दी है।कुमार लिंगदेन के नेतृत्व वाली संघीय लिम्बुवान राज्य परिषद के कार्यकर्ताओं ने वैद्य माओवादी के साथ मोर्चाबंदी कर ली है।
एकतरफ जहां वैद्य चुनाव में अवरोध की तैयारी मे हैं वहीं दूसरी ओर अभी अभी जेल से निकले जयप्रकाश प्रसाद गुप्ता तराई के सशस्त्र समूह को समेटे आगे बढ़ने की तैयारी कर रहे हैं। अशोक राई के नेतृत्व वाली संघीय समाजवादी और उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाला मधेसी जन अधिकार फोरम भी सरकार विरुद्ध आंदोलन मे हैं। इसी मौके पर मधेस का सशस्त्र समूह भी सुगबुगा रहा है।
मोहन वैद्य नेतृत्व के माओवादी चुनाव बहिष्कार का माहोल बना रहे हैं, लेकिन निर्वाचन कराने की जिम्मेदारी लिए रेग्मी सरकार ने अभी तक इस तरफ कोई भी अपना कदम नहीं बढ़ाया है। सरकार ने वैद्य पक्ष के किसी भी नेता से बातचीत तथा चुनाव का वातावरण बनाने का कोई भी प्रयास नहीं किया है। इस बीच संघीय समाजवादी पार्टी के नेता अजंबर राई काङमाङ ने कहा है कि उनका दल 5 सूत्रीय मांग सहित आंदोलन में रहकर भी मतदाता सूची मे नाम लिखाने में अवरोध पैदा नहीं करेगा। उनका कहना है कि जनता का मतदाता सूची में अपना नाम लिखाना उसका अधिकार है।

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