स्वतंत्र आवाज़
word map

उपभोक्‍ताओं को मिलेगा त्‍वरित न्‍याय

लोकसभा में उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक पारित

उपभोक्‍ता शिकायतों से संबंधित प्रक्रिया सरल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 31 July 2019 03:25:46 PM

parliament

नई दिल्ली। उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक-2019 लोकसभा में पारित हो गया है। विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्‍यमंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने कहा कि विधेयक में नियमों को सरल बनाया गया है, इससे उपभोक्‍ताओं को त्‍वरित न्‍याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार उपभोक्‍ता शिकायतों से संबंधित पूरी प्रक्रिया को सरल बनाने के पक्ष में है। केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि विधेयक का उद्देश्‍य उपभोक्‍ता विवादों का निपटारा करने के लिए उपभोक्‍ता प्राधिकरणों की स्‍थापना करने के माध्‍यम से उपभोक्‍ता के हितों की रक्षा करना है। विधेयक में केंद्र सरकार ने केंद्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण के गठन का प्रस्‍ताव किया है, जिसका उद्देश्‍य उपभोक्‍ता के अधिकारों को बढ़ावा देना और कार्यांवयन करना है। प्राधिकरण को शिकायत की जांच करने और आर्थिक दंड लगाने का अधिकार होगा, यह गलत सूचना देने वाले विज्ञापनों, व्‍यापार के गलत तरीकों तथा उपभोक्‍ताओं के अधिकार के उल्‍लंघन के मामलों का नियमन करेगा।
केंद्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण को गलतफहमी पैदा करने वाले या झूंठे विज्ञापनों के निर्माताओं या उनको समर्थन करने वालों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना तथा दो वर्ष कारावास का दंड लगाने का अधिकार होगा। विधेयक की मुख्य विशेषताएं हैं-सरलीकृत विवाद समाधान प्रक्रिया के तहत आर्थिक क्षेत्राधिकार को बढ़ावा, इनमें जिला आयोग-1 करोड़ रुपये, राज्य आयोग-1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आयोग-10 करोड़ रुपये से अधिक। दाखिल करने के 21 दिन के बाद शिकायत की स्‍वत: स्वीकार्यता, उपभोक्ता आयोग को अपने आदेशों को लागू कराने का अधिकार होगा, दूसरे चरण के बाद केवल कानून के सवाल पर अपील का अधिकार होगा, उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने में आसानी, निवास स्थान से फाइलिंग की सुविधा, ई-फाइलिंग और सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा। मध्यस्थता के तहत एक वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र, उपभोक्ता फोरम द्वारा मध्यस्थता का संदर्भ जहां भी शुरु में ही समाधान की गुंजाइश है और दोनों पक्ष इसके लिए सहमत हैं। मध्यस्थता केंद्रों को उपभोक्ता फोरम से जोड़ा जाएगा। मध्यस्थता के माध्यम से होने वाले समाधान में अपील की सुविधा नहीं।
उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक के तहत यदि कोई उत्‍पाद या सेवा में दोष पाया जाता है तो उत्पाद निर्माता या विक्रेता या सेवा प्रदाता को क्षतिपूर्ति के लिए जिम्मेदार माना जाएगा। दोषपूर्ण उत्‍पाद का आधार-निर्माण में खराबी, डिजाइन में दोष, वास्‍तविक उत्‍पाद, उत्‍पाद की घोषित विशेषताओं से अलग है और प्रदान की जाने वाली सेवाएं दोषपूर्ण हैं। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से विधेयक में त्‍वरित न्‍याय की व्‍यवस्‍था की गई है। भ्रामक विज्ञापनों और उत्पादों में मिलावट की रोकथाम के लिए कठोर सजा का प्रावधान, दोषपूर्ण उत्पादों या सेवाओं को रोकने के लिए निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं पर जिम्‍मेदारी का प्रावधान, उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने में आसानी और प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है, मध्यस्थता से मामलों के शीघ्र निपटान की गुंजाइश है और नए युग के उपभोक्ता मुद्दों में ई-कॉमर्स और सीधी बिक्री के लिए नियमों का भी प्रावधान है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]