सुप्रसिद्ध आलोचक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंदी की आचार्य गरिमा श्रीवास्तव ने हिंदू कालेज में हिंदी साहित्य सभा के 'प्रेमचंद का महत्व: संदर्भ सेवासदन' शीर्षक से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा है कि मुंशी प्रेमचंद समाज की गतिविधियों को शब्द और संवाद ही नहीं देते हैं, बल्कि उसमें दखल भी देते हैं। उन्होंने कहा...
लेखक और जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर असग़र वजाहत ने कहा है कि बड़े देश पहचान की राजनीति का खेल खेलते हैं और विकासशील देशों में विकास का पहिया ग़रीब एवं शोषित जनता को कुचलता है। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक विभाजन की चेतना भी व्यक्तियों को अंदर और बाहर से तोड़ देती है और पूरे समाज को गहरे अंधेरे में ले जाती...
'बाबूजी प्रसन्न मुद्रा में बोल रहे थे और मुझे लग रहा था कि अपने ही भीतर की किसी दलदल में मैं आकंठ धंसता जा रहा हूं, कोई अंश धीरे-धीरे कटा जा रहा था अंदर का, लेकिन बाबूजी के मन में गज़ब का उत्साह था।' सुपरिचित कथाकार-उपन्यासकार प्रोफेसर रामधारी सिंह दिवाकर ने अपनी चर्चित कहानी 'सरहद के पार' में सामाजिक संबंधों में आ रहे ठहराव...
राजस्थान के प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया की नई पुस्तक 'रवींद्रनाथ ठाकुर के बाल नाटक' का राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर बीएल चौधरी ने विमोचन किया। प्रोफेसर बीएल चौधरी ने इस पर कहा कि नाटक एक लोकप्रिय विधा है और इसके माध्यम से बच्चों को रोचक तरीके से भारतीय संस्कृति, साहित्य...
साहित्य सर्वोत्तम विलास है। इसका अनुभूतिपरक सृजन चिद्विलास है। विचारपरक सृजन भी आनंददाता हैं। पठन-पाठन भी रमणकारी है और इसका साधन है-पुस्तकें। पुस्तक प्रेम भी सामान्य नहीं। इस प्रेम को क्या कहें? क्या नाम दें? संकेत मात्र हो सकते हैं इस प्रेम के। यह अनुपम, अद्वितीय, अनूठा और बेजोड़ है। पुस्तकें सीधे संवाद करती हैं। वे...
राजस्थान साहित्य अकादमी तथा बीएस मेमोरियल शिक्षा समिति के संयुक्त तत्वावधान में अलवर में ‘वर्तमान समय और युवा साहित्य’ विषय पर साहित्यकार सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त कर इस बात पर चिंता प्रकट की कि साहित्य को भ्रष्ट बनाया जा रहा है, उसे केंद्रीयकृत कर दिया गया है, जबकि इसकी...
हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने कहा है कि राजनीति में जो हो रहा है, दुर्भाग्य से वैसा ही कुछ साहित्य में भी हो रहा है और आज आलोचना में रचना की बजाय रचनाकार को ध्यान में रखा जाता है, पल्लव इस मायने में सबसे भिन्न हैं कि उनकी नज़र हमेशा रचना पर ही रहती है। काशीनाथ सिंह रविवार को प्रयास संस्थान की ओर से शहर के सूचना...
कृष्ण के चरित पर अनेक रचनाएं साहित्य में मिलती हैं, किंतु सभी रचनाओं में हमें लीलाधारी कृष्ण, नटखट कृष्ण, कंस के संहारक कृष्ण, महाभारत के कृष्ण आदि रूपों का वर्णन मिलता है। महाभारत के बाद द्वारिका लौट गए श्रीकृष्ण के जीवन को किसी रचनाकार ने अपनी रचना का आधार नहीं बनाया है...
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बृहस्पतिवार 25 जुलाई 2013 को अपने कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा कर रहे हैं। इस विशेष दिन के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में कई गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इनमें राष्ट्रपति भवन के आवासियों के लिए ‘प्रणब मुखर्जी जन पुस्तकालय’ का उद्घाटन, प्रेसीडेंट इस्टेट में स्थित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद...
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान में व्याख्यान गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व आईएएस अधिकारी मधुकर द्विवेदी एवं प्रोफेसर उमारमण झा ने प्रोफेसर ओमप्रकाश पांडेय को वर्ष 2007 का विशिष्ट पुरस्कार दिया। इसके तहत उन्हें 51000 रूपए की धनराशि एवं ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया। वर्ष 2007 में किन्हीं कारणों से यह पुरस्कार प्रोफेसर ओमप्रकाश पांडेय को नहीं दिया जा सका थ...
कथा यूके तथा डीएवी गर्ल्स कॉलेज यमुना नगर के संयुक्त तत्वावधान में 18-19 जनवरी को अंतराष्ट्रीय प्रवासी साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दो दिवसीय सम्मेलन में कुल छह सत्र आयोजित किए गए तथा इसका समापन एक काव्य गोष्ठी से हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर राम बक्श सिंह ने की तथा मुख्य अतिथि वरिष्ठ...
राम सरूप अणखी स्मृति कहानी-गोष्ठी का डलहौजी के होटल मेहर में आयोजन हुआ। गोष्ठी में हिंदी, असमिया, पंजाबी, डोगरी की कहानियों का पाठ स्वयं कहानीकारों ने किया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में संयोजक अमरदीप गिल ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और तीन दिवसीय संगोष्ठी की रूपरेखा रखी। संगोष्ठी के आयोजक और कहानी पंजाब के संपादक...
आज साहित्य और राजनीति के संबंधों को पुनर्परिभाषित करने की जरूरत आ गई है, जहां साहित्य संस्कृति का सबसे बड़ा प्रतिनिधि है, वहीं राजनीति, संस्कृति का नुकसान किये बगैर आगे नहीं बढ़ती, पतनशीलता के ऐसे दौर में अभिधा से काम चल ही नहीं सकता, इसीलिए जब शब्द कम पड़ने लगते हैं, तब शब्दों को मारना पड़ता है, ताकि नए शब्द जन्म ले सकें।...
गद्य की ऐसी संशलिष्ट और प्रांजल भाषा आज कम ही देखने में आती है, जैसी युवा आलोचक पंकज पराशर की पहली आलोचना कृति पुनर्वाचन में पढ़ने को मिलती है। शीर्ष आलोचक प्रोफेसरफेसर नामवर सिंह ने इस पुस्तक का लोकार्पण करते हुए कहा कि यह एक सुगठित गद्य कृति है। उन्होंने कहा कि हिंदी में इन दिनों तमाम लोग पुनर्पाठ शब्द लिख रहे हैं,...
हिमाचल प्रदेश के जानेमाने वरिष्ठ कवि व आलोचक श्रीनिवासश्रीकांत के 75वें जन्मदिन की पूर्व संन्ध्या पर शिमला के गेयटी सभागार में उनका लेखकों ने सार्वजनिक अभिनंदन किया। इस मौके पर हिमालय साहित्य, संस्कृति और पर्यावरण मंच के तत्वावधान एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के लगभग 60 साहित्यकारों ने भाग लिया। इस अवसर...