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लोकतंत्र का दायरा घटा है-असग़र वजाहत

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आक्रमण जैसी घटनाएं!

जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब में साहित्य संवाद

राघवेंद्र रावत

Friday 13 July 2018 03:15:04 PM

literature dialogues at the pink city press club in jaipur

जयपुर। लेखक और जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर असग़र वजाहत ने कहा है कि बड़े देश पहचान की राजनीति का खेल खेलते हैं और विकासशील देशों में विकास का पहिया ग़रीब एवं शोषित जनता को कुचलता है। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक विभाजन की चेतना भी व्यक्तियों को अंदर और बाहर से तोड़ देती है और पूरे समाज को गहरे अंधेरे में ले जाती है। प्रोफेसर असग़र वजाहत ने जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब में साहित्य संवाद में ये विचार व्यक्त किए। असग़र वजाहत से कवि-कथाकार नंद भारद्वाज ने साहित्य एवं साहित्येतर विषयों पर गम्भीर एवं सार्थक बातचीत भी की। कार्यक्रम की रूपरेखा जनवादी लेखक संघ राजस्थान एवं जयपुर जिला ईकाई ने तैयार की ‌थी।
प्रोफेसर असग़र वजाहत ने अपनी प्रसिद्ध रचनाओं आतंकवाद, आपातकाल, शिक्षा, जम्मू-कश्मीर समस्या, साम्प्रदायिकता, साम्राज्यवाद लेखक एवं लेखक संगठनों की भूमिका पर विस्तृत चर्चा की। लोकतंत्र पर उन्होंने कहा कि जनता किसी भी क्षेत्र में इनीशिएटिव लेने की प्रवृति को उत्पन्न नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और संस्कृति की उपेक्षा दिखाई दे रही है, इन क्षेत्रों में माकूल अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में जातिवाद, साम्प्रदायिकता एवं क्षेत्रवाद की समस्याएं बढ़ी हैं और लोकतंत्र का दायरा घटा है, लोकतंत्र जनहित की तरफ न जाकर जातिवाद, साम्प्रदायिकता एवं क्षेत्रवाद के दलदल में फंस गया है। साहित्य संवाद में कवि राघवेंद्र रावत ने लेखक पाठक संवाद के महत्व को रेखांकित किया और साहित्यिक आयोजनों में जनसहभागिता की जरूरत पर बल दिया।
प्रोफेसर असग़र वजाहत ने इस अवसर पर अनेक प्रश्नों के उत्तर भी दिए। एक सवाल के जवाब में कहा कि आपातकाल एक भयानक समय था, आज जो कुछ हो रहा है, वह आपातकाल तो नहीं है पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आक्रमण जैसी कई घटनाएं आपातकाल की याद दिलाने के लिए काफी हैं। साहित्य संवाद में दिल्ली से प्रकाशित बनास जन पत्रिका के सम्पादक डॉ पल्लव ने असग़र वजाहत से जुड़े संस्मरण और अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि उनकी सहजता और ईमानदारी उन्हें बड़े लेखक के साथ-साथ बड़ा मनुष्य भी बनाती है। उन्होंने असग़र वजाहत के साथ अपनी कुछ यात्राओं के रोचक संस्मरण सुनाए। उन्होंने कहा कि असग़र वजाहत के लिए यात्राएं कोरे आनंद और मनोरंजन का साधन न होकर सामाजिक हैं, तभी वे अपने को सोशल टूरिस्ट कहते हैं, जो जगहों के साथ वहां के लोगों के जीवन को जानने के लिए भी उत्सुक रहता है।
साहित्य संवाद के संयोजक कवि एवं आलोचक शैलेंद्र चौहान ने असग़र वजाहत के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ पत्रकार ओम सैनी, प्रभा खेतान फाउंडेशन की कार्यकारी सचिव अपरा कुच्छल एवं राजस्‍थान विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक मनीष सिनसिनवार ने असग़र वजाहत एवं डॉ पल्लव का स्वागत किया। सुखद संयोग रहा कि आयोजन की तिथि पर असग़र वजाहत का जन्मदिन भी था, जिससे यह कार्यक्रम और भी यादगार बन गया। कार्यक्रम में इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह, प्रलेस के संयोजक ईश मधु तलवार,कवि सत्यनारायण, हरिराम मीणा, कैलाश मनहर, गोविंद माथुर, कृष्ण कल्पित, सवाई सिंह शेखावत, हरीश करमचंदानी, डॉ सत्यनारायण व्यास, राजाराम भादू, उमा, रेखा पांडेय, नीलिमा टिक्कू, योगेश कानवा, विशाल विक्रम सिंह, जगदीश गिरी, रंगकर्मी विजय स्वामी और बड़ी संख्या में पाठक एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। समाजशास्त्री डॉ राजीव गुप्ता ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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