

'देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन नवल टाटा ने देश के प्रमुख राजनेताओं और नौकरशाहों के भ्रष्ट आचरण पर अपरोक्ष रूप से सावधानीपूर्वक तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि मूल्य एवं नैतिकता समाज के सभी क्षेत्रों के लिए बेहद आवश्यक है, दुर्भाग्यवश भारत की पहचान ऐसे देश के रूप में बनती जा रही है, जहां के लोग कोई काम करने या अपना काम करवाने...

क्या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ निशंक यह बात स्वीकार करते हैं कि उनके राज्य में अवस्थापना सुविधाओं का अभाव है? और यदि यह सही है तो वे राज्य में आने वाले बाकी उद्यमियों की मूलभूत आवश्यकताओं को कैसे पूरा करेंगे? आज से नहीं बल्कि इस राज्य के अस्तित्व में आने के बहुत पहले से ही उत्तराखंड की स्वर्ग सी समृद्धशाली और सम्मोहन...

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सड़कों के रखरखाव पर सालाना करोड़ों रूपए की धनराशि खर्च करने पर भी सड़कों की स्थिति बहुत दयनीय है। इन सड़कों पर भीषण दुर्घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। हर साल सैकड़ों लोग इन हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। यहां आने वाले पर्यटक और तीर्थयात्री पहाड़ों की लाजवाब प्राकृतिक छटा के साथ ही इन कष्टदाई...

'निशंक' के सामने उत्तराखंड के भाजपा के शीर्ष नेताओं में सामंजस्य स्थापित करके चलने की जरूरत है जिसमें भगत सिंह कोश्यारी को भी संतुष्ट रखना होगा। इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य में एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि भाजपा यहां तभी जनता का खोया हुआ विश्वास हासिल कर सकती है जब उसके लीडर राजनीति के 'कॉमन मिनिमम प्रोग्राम' से चलेंगे...

भारत के राजमुकुट हिमालय में हीरे की तरह दमकता उत्तराखंड देश के 27वें राज्य के रूप में अपनी अलौकिक छटा बिखेर रहा है। भौगोलिक एवं प्राकृतिक संपदा से समृद्धशाली इस राज्य की राजनीतिक ऐतिहासिक सांस्कृतिक, धार्मिक परंपराओं और सभ्यता लोक संगीत के विविध आयाम इतने प्रेरणादायक हैं कि उनके जितने करीब जाएं उतना ही आस्था और विश्वास...

फिलहाल खंडूरी ने अपनों का विश्वास तो खोया है, फिर भी उनकी कुर्सी खतरा नहीं दिखता है। सितंबर में यहां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं और इसके बाद भाजपा को फिर लोकसभा चुनाव का सामना करना है। इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य को देखकर अब यही लगता है कि उत्तराखंड के आने वाले इन सभी चुनावों में भाजपा मुश्किल में होगी।...

उत्तराखंड में ढहते मकान और जंग लगे ताले। जी हां! सदियों से पहाड़ की यही कहानी और यही सच्चाई भी है। ये कहानी है-पलायन की। अपने विकास और खूबसूरत दुनियां को देखने की चाहत के ये विभिन्न अनचाहे रूप हैं।...

भुवनचंद खंडूरी की सफलता और विफलता का रिपोर्ट कार्ड उत्तराखंड की जनता ही तैयार करेगी न कि यहां की नौकरशाही। मगर वे फौजी फार्मूले से चलते हैं और जनता तिवारी फार्मूले को ज्यादा समझती है। कहने वाले नहीं चूकते हैं कि तिवारी तो कांग्रेस की गुटबाजी के कारण सत्ता से बाहर हुए लेकिन खंडूरी अपनी ही रणनीतियों के मुगालते में उत्तराखंड...