स्वतंत्र आवाज़
word map

बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

नई दिल्ली। बच्चों की यौन अपराधों से सुरक्षा के लिए सरकार एक विशेष कानून बनाने के बारे में विचार कर रही है। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ ने लोकसभा में बताया कि बच्चों की यौन अपराधों से सुरक्षा विधेयक 2011 राज्यसभा में 23 मार्च 2011 को पेश किया गया था। बच्चों के प्रति यौन अपराधों के मामले से निपटने के लिए एक विशेष विधेयक का पहली बार प्रस्ताव किया गया है। विधेयक में प्रवेशकारी यौन प्रहार, अधिक गंभीर यौन प्रहार तथा अश्लील साहित्य हेतु बच्चों का प्रयोग जैसे अपराधों को परिभाषित किया गया है। विधेयक के तहत अपराधों के शीघ्र निपटान के लिए राज्य सरकारों को प्रत्येक जिले में सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में प्राधिकृत करने के लिए अधिदेश दिया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इस विधेयक के लागू होने से बच्चों की सुरक्षा में कारगर योगदान मिलेगा और विधेयक के अधीन प्रस्तावित कठोर दंड से अपराधों में कमी आएगी।

  • पीड़ित महिलाओं, बच्चों का पुनर्वास

कृष्णा तीरथ ने एक अलग प्रश्न के उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना प्रतिष्ठान, योजना आयोग के मानदंडों के आधार पर, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों के बच्चों को, जो सांप्रदायिक दंगों, जातिवाद, आतंकी या आतंकवादी हिंसा में अनाथ या बेसहारा हो चुके हैं, अपनी देखरेख में, शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए संबंधित जिला अधिकारियों, उपायुक्तों, जिला मजिस्ट्रेटों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह प्रतिष्ठान गृह मंत्रालय के अंतर्गत सरकार का एक स्वायत्त संगठन है।
कृष्‍णा तीरथ ने कहा कि इसके अलावा देख-रेख और संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों के पुनर्वास और समेकन के लिए सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, समेकित बाल संरक्षण स्कीम (आईसीपीएस) के अंतर्गत किशोर न्याय (बच्चों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम-2000 के अंतर्गत स्वयं राज्य सरकारों या स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से गृहों और विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों की स्थापना और उसके रख-रखाव के लिए राज्य सरकारों, संघशासित प्रशासनों को वर्ष 2009-10 से वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही 40 से 59 वर्ष के आयु वर्ग की विधवाओं के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन स्कीम और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन स्कीम कार्यान्वित की है। सरकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से कठिन परिस्थितियों में रह रही महिलाओं के पुनर्वास के लिए स्वाधार गृह स्कीम भी कार्यान्वित कर रही है। आतंकी या नक्सली हमलों में मारे गए पतियों, पिता, विधवाओं और बच्चों को उपर्युक्त स्कीम के लक्षित लाभार्थियों में शामिल किया गया है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]