
दुनिया वाले भी समझ बैठे हैं कि हिंदुस्तान बेईमानों, बोदों, जलीलों और भ्रष्टाचारियों का देश है। मनमोहन सिंह क्या देश के प्रधानमंत्रियों के इतिहास में इस रूप में दर्ज होने के लिए तैयार हैं कि उनके कार्यकाल में दुनिया में देश की यह छवि और उनकी प्रशासनिक विफलताओं के साथ भ्रष्टाचार चरम पर फला-फूला? क्या वे समझते हैं कि देश...

यह बरेली शहर है और जो आप देख रहे हैं यह किसी घटना के फलस्वरूप कोई घोषित कर्फ्यू नहीं है बल्कि महाशिवरात्रि के दिन मुख्यमंत्री मायावती इस समय बरेली दौरे पर हैं और यह स्थानीय प्रशासन की दहशतभरी सुरक्षा तैयारी है जिसमें आदमी तो क्या परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जनसामान्य में भारी आलोचनाओं और निंदा से घिरे विकास कार्यों की...
काया के पिंजरे में कैद हंसा-सी फड़फड़ाती वह पवित्र आत्मा, जो जीवन भर एक फिरंगी लेखक की बेवफाई और जमाने भर की रूसवाई का दंश सहती रही, अंतत: अनंत में विलीन हो गई। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमांत डिंडौरी जिले के धुर जंगलों में बसे गुमनाम गांव रैतवार की कोसीबाई को उसका प्रारब्ध डॉ हैरी वारियर एल्विन जैसे महान शोधकर्ता लेखक तक खींच ले गया था, जो बाद में उसके लिए परम छलिया सिद्ध हुए। साहचर्य...

इक्कीसवीं सदी में किसी एक व्यक्ति का शासन लोगों को स्वीकार नहीं हो सकता। अरब देशों के बाद अब बारी है अफ्रीका के उन देशों की जहां के लोगों का शोषण इस युग में भी चरम सीमा पर हो रहा है। इन शासकों को तुरंत लोकतंत्रवाद की घोषणा करना अनिवार्य है, जिससे वे स्वयं को भी राजनीतिक तौर पर सुरक्षित रख सकते हैं और अपने देश को भी। आज भारत...

वामपंथी किले की प्राचीर को चुनौती देते हुए ममता बनर्जी की यह सब रेलवे की कीमत पर पश्चिम बंगाल का चुनाव जीतने की रणनीति है। रेल बजट में ममता ने पहले अपनी राजनीति का इंतजाम किया है और देश को दूसरे नंबर पर रख कर उधार के मुनाफे का रेल बजट पेश किया है। धरातली सच्चाई तो यही है कि इस प्रकार के रेल बजट से बढ़े हुए खर्चे और महंगाई...

भारत में 243 मिलियन यानी 24.3 करोड़ किशोर रहते हैं, जो देश की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा हैं। पिछले दो दशक के दौरान देश में विकास की तेज रफ्तार से लाखों लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। विकास और सरकारी योजनाओं से ही देश के किशोरों का स्वास्थ्य और विकास बेहतर हुआ है। हालांकि अभी भी लड़कियों के लिए काफी मुश्किलें बाकी हैं, उन्हें...
यह समस्या पूरे इलाके की है जिस पर बिजली विभाग के अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया और टरकाते रहे। डीएम बुलंदशहर शशि भूषण लाल सुशील के पास पहुंचे तो वह भी बोदे और असहाय ही साबित हुए जिसके बाद गांव के लोगों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा। ये अधिकारी श्रीराम बंसल को भूख हड़ताल से मर जाने देते यदि उत्तर प्रदेश की चक्रवर्ती मुख्यमंत्री मायावती का बुलंदशहर में औचक निरीक्षण...

साबरमती एक्सप्रेस के गोधरा पहुंचते ही उसकी एक बोगी में आग लगाने की लोमहर्षक घटना पर विशेष अदालत का फैसला आ गया है। अदालत ने इसे एक पूर्वनियोजित साजिश माना है और इसमें 31 लोगों को गुनाहगार पाया है। इस रेल गाड़ी में वह बोगी आग के हवाले की गई थी जिसमें अयोध्या से लौट रहे कारसेवक सवार थे। फैसले से किसी प्रकार की संभावित प्रतिक्रिया...

कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह की ये ज़ुबान फिसल रही है या वे किसी योजना के तहत ऐसी बयानबाज़ी पर उतर आए हैं जैसी हर एक राजनीतिक दल में कुछ सड़कछाप नेता करते रहते हैं? वे अपने ही दल में किसी उकसाऊ राजनीति के शिकार तो नहीं हो रहे हैं? या वे कांग्रेस में ऊब गए हैं जिसके बाद कोई नेता 'मैं नहीं तो तू नहीं' की रणनीति पर उतर आता...

हिंदुस्तान के राजनेता, नौकरशाह, प्रचंड साधू सन्यासी और मीडिया तक 'नीरा राडियाओं' के कब्जे में हैं। एक ब्रिटिश महिला दलाल और जासूस नीरा राडिया की अटल बिहारी वाजपेयी, प्रभावशाली साधू संतों तक आसान पहुंच है। वह सभी को अपनी उंगलियों पर नचाती आ रही है। हिंदुस्तान की भोली-भाली जनता को नहीं पता है कि जिन्हें वह देशभक्त, अपना आदर्श...
अमरीका में रह रहे भारतीयों में अब यह बात उठ रही है कि अमरीकी अर्थव्यवस्था में उनके गैर भारतीय मुल्कों से भी ज्यादा उल्लेखनीय योगदान के बावजूद भारतीयों के साथ सबसे ज्यादा नस्लीय भेदभाव और उन पर भद्दी नस्लीय टिप्पणियां बढ़ती जा रही हैं। भारतीय समुदाय को खुलेआम कॉकरोच, बोदा, बिकाऊ और लालची तक कहा जाने लगा है। अमरीका में भारतीयों को कोई चाहे कितना बुरा कहकर चला जाए इसका कोई संज्ञान नहीं...

खामोश अर्जुन भी आज कुछ कहना चाहते हैं। उनके करीबी कह रहे हैं कि उनकी खामोशी जल्द ही टूटने वाली है। भ्रष्टाचार, घोटालों और अव्यवस्था से घिरी कांग्रेस गठबंधन सरकार में इस समय जिस तरह रहस्योद्घाटनों की झड़ी लगी है उसमें एक कड़ी अर्जुन सिंह की भी जुड़ने वाली है और वे जो बोलेंगे तो एक बार कांग्रेस में भूचाल जरूर आएगा यह अलग...

भले ही इस सच्चाई को गंभीरता से न लिया जाए किंतु यह सत्य है कि उत्तर प्रदेश की सत्ता और दलित राजनीति की लड़ाई 'मायावती बनाम पीएल पुनिया' में शीघ्र ही बदल जाएगी। वे उस समाज में भी अपनी सहानुभूति खो रही हैं जो उन्हें सर आंखों पर बैठाकर अपना मसीहा और कुलदेवी मान बैठा है। मायावती जिस 'भ्रष्ट सिंडिकेट' के चंगुल में हैं उससे उनका...

'देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन नवल टाटा ने देश के प्रमुख राजनेताओं और नौकरशाहों के भ्रष्ट आचरण पर अपरोक्ष रूप से सावधानीपूर्वक तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि मूल्य एवं नैतिकता समाज के सभी क्षेत्रों के लिए बेहद आवश्यक है, दुर्भाग्यवश भारत की पहचान ऐसे देश के रूप में बनती जा रही है, जहां के लोग कोई काम करने या अपना काम करवाने...

क्या भारत वास्तव में एक असहाय देश है और हथियार कंपनियों का मोहताज है? इस्राइल को भारत के कुछ राजनीतिक दल भारत का हितैषी मानते हैं, किसलिए? क्या इसलिए कि उसके यहां की हथियार निर्माता कंपनियां भारत को हथियार सप्लाई करती हैं? वीडियो में देखिए की 'जांबाज मर्द' इस्राइल, 'असहाय महिलाएं' भारतीय के जीवन की पूरी सुरक्षा और संरक्षण...