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सेवा मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि

कांटे के मुकाबले में सेवा मतदाता की महत्‍वपूर्ण भूमिका

चुनाव में निर्वाचन आयोग की अनुकरणीय कोशिश

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 9 April 2019 02:32:44 PM

election commission of india

नई दिल्ली। चुनाव में कांटे के मुकाबलों में सेवा मतदाता महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उत्तराखंड में बड़ी संख्‍या में सेवा मतदाता हैं। सेवा मतदाताओं सहित देश के अन्‍य मतदाता कितने उत्‍साह से मतदान करते हैं, इसका 2019 के लोकसभा चुनाव में पता चलेगा। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष देश में कुल 16,62,993 सेवा मतदाताओं का नामांकन हुआ है, जबकि 2014 में यह संख्‍या 13,27,627 थी। उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में सेवा मतदाता हैं। उत्तराखंड में भी लगभग 88,600 सेवा मतदाता हैं। गढ़वाल में पांच संसदीय निर्वाचन क्षेत्र हैं। गढ़वाल संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक सेवा मतदाता हैं। उत्तराखंड राज्य की जनसंख्या को देखते हुए यह आंकड़ा बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
सेवा मतदाताओं की संख्या में यह वृद्धि सेवा मतदाताओं की संख्‍या बढ़ाने के निर्वाचन आयोग के सतत प्रयासों के कारण हुई है। सरकारी सेवाओं और संबंधित विभागों के सक्रिय सहयोग तथा सेवाकर्मियों की बेहतर भागीदारी ने भी इसमें सहयोग किया है। चुनाव में कांटे के मुकाबलों में सेवा मतदाता बहुत महत्‍वपूर्ण और निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। सेवा मतदाताओं में भारतीय संघ के सशस्त्रबलों और राज्यों के सशस्त्र पुलिस बलों के वे सदस्य हैं, जो उस राज्‍य से बाहर सेवारत हैं और भारत सरकार के अधीन कार्यरत भारत से बाहर भी तैनात हैं। मौजूदा व्यवस्थाओं के अनुसार भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना, सीमा सड़क संगठन, बीएसएफ, आईटीबीपी, असम राइफल्स, एनएसजी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और एसएसबी के सदस्य सेवा मतदाताओं के रूपमें पंजीकृत होने के पात्र हैं।
सेवा मतदाता प्रॉक्‍सी के द्वारा भी अपना मत डाल सकते हैं। वे निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्‍ध फॉर्म 13 एफ में निर्वाचन अधिकारी को आवेदन करके किसी भी व्यक्ति को अपना प्रॉक्‍सी नियुक्‍त करके मतदान केंद्र पर अपनी ओर से मतदान करा सकते हैं, लेकिन ऐसा प्रॉक्‍सी मतदाता उस निर्वाचन क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता होना चाहिए। सेवा मतदाताओं की मदद के लिए एक सेवा पोर्टल भी बनाया गया है। मुख्य रूपसे दूर और सीमावर्ती क्षेत्रों में कार्यरत सशस्त्र बलों के कर्मियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया गया है। भारत सरकार ने 21 अक्टूबर 2016 को अधिसूचना जारी कर चुनाव नियमावली 1961 के नियम 23 में संशोधन करते हुए प्रारंभिक तौरपर (अ) भारत सरकार के सशस्त्र बलों के कर्मियों (ब) सेना अधिनियम 1950 के प्रावधानों तहत आने वाले अन्य बलों के कर्मी (स) राज्य के बाहर काम कर रहे राज्यों के सशस्त्र बलों के कर्मी और (द) भारत से बाहर भारत सरकार के अधीन कार्यरत कर्मियों के लिए यह सेवा शुरू की गई है। अधिक जानकारी वेबसाइट www.servicevoter.nic.in पर प्राप्‍त की जा सकती है।

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