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मायावती ने दी कांशीराम को भावभीनी श्रद्धांजलि

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Friday 15 March 2013 11:51:37 AM

kanshi ram jayanti

नई दिल्ली। बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व में बामसेफ, डीएस-4 तथा बहुजन समाज पार्टी के संस्‍थापक कांशीराम को उनकी 79वीं जयंती पर बेहद आदर व सम्मान के साथ याद कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मायावती ने अपनी व अपनी पार्टी के समर्थकों व शुभ-चिंतकों की ओर से कांशीराम के जाति-विहीन मानवतावादी भारत निर्मित करने के संकल्प को दोहराया। मायावती सर्वप्रथम नई दिल्ली में ‘बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र पहुँचीं और कांशीराम की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर मायावती ने कहा कि मान्यवरकांशीराम ने देश के करोड़ों गरीबों, दलितों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों को संगठित करके सामाजिक परिवर्तन के कारवाँ को ज़मीनी हक़ीकत में बदलने के लिए आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने खासतौर से शोषितों और उपेक्षित वर्गों में आत्म-सम्मान की अलख जगाकर इन्हें ‘लेने वाले’ समाज से ‘देने वाले’ समाज में तब्दील करने का युग-परिवर्तनीय काम किया और इस प्रकार उन्होंने एक सोती हुई क़ौम को जगाने में कामयाबी हासिल की, बहुजन समाज को जागरूक बनाने के उद्देश्य से कांशीराम ने सामाजिक परिवर्तन मूवमेंट को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की और उनका संपूर्ण जीवन त्याग, समर्पण और संघर्ष का बेमिसाल उदाहरण बना।
मायावती ने कहा कि मान्यवर कांशीराम ने सदियों से ग़ैर-बराबरी वाली सामाजिक व्यवस्था का दंश झेल रहे दलितों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के उत्थान के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष किया। उनके करोड़ों अनुयायियों का आह्वान करते हुए उनकी एक मात्र उत्तराधिकारी मायावती ने कहा कि मान्यवरकांशीराम के सपनों के अनुरूप मानवतावादी सामाजिक व्यवस्था क़ायम करने के लिए लगातार प्रयास करें, यही बहुजन नायक के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। सत्ता प्राप्त करके इस मिशनरी काम को काफी तेजी से प्राप्त किया जा सकता है, ऐसी सोच ही मान्यवर कांशीराम की थी, जिसके तहत ही उत्तर प्रदेश में बीएसपी की चार बार सरकार बनी और सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति के मिशनरी लक्ष्य की सही मायने में काफी हद तक प्राप्ति हुई।
अपने देश में सामाजिक परिवर्तन के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले संतों, गुरुओं एवं महापुरुषों के त्याग, तपस्या व कठिन संघर्षो को स्मरण करते हुए मायावती ने कहाकि इनमें से भी ख़ासकर महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, नारायणा गुरू, बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर तथा कांशीराम को उन लोगों की बेपनाह संघर्ष व कुर्बानियों के लिए हमेशा ही आदर-सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा। डॉ अंबेडकर के निधन के बाद कमज़ोर हो रहे “बहुजन मूवमेंट” को लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए कांशीराम ने अपना सब कुछ समाज की भलाई के लिए समर्पित कर दिया। अपनी वैज्ञानिक सोच और राजनीतिक सूझ-बूझ से बहुजन समाज को संगठित किया और उसे अपनी राजनीतिक ताक़त का अहसास कराया।
उन्होंने कहा कि मान्यवर कांशीराम ने बहुजन समाज को आत्म-सम्मान, स्वाभिमान और बराबरी का जीवन जीने की प्रेरणा और क्षमता प्रदान की, पूरे देश में रैलियाँ व सभाएं करके दलितों व उपेक्षित वर्गों को ऐसी ताक़तवर आवाज़ दी, जिसने भारत के राजनैतिक परिदृश्य को बदलकर रख दिया, खासतौर से दलित चेतना को नई परिभाषा और नए आयाम देकर इसे बुलंदियों तक पहुँचाया, उनके प्रयासों के कारण ही प्रदेश में राजनीति के पुराने और शोषणकारी समीकरण बदलते चले गए। इस महान शख़्सियत की याद में प्रदेश के सभी जिलों में “कई योजनाएं संचालित है। मायावती ने देशभर के पार्टी के लोगों का आभार प्रकट किया कि उन्होंने राज्य व जिला स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके मान्यवर कांशीराम को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उनके राजनीतिक मिशन को पूरा करने का संकल्प दोहराया। लखनऊ में भी कांशीराम स्मारक स्थल पर बड़ी संख्या में पहुंचकर लोगों ने उनका स्मरण किया। मायावती ने अपील की कि मान्यवर कांशीराम के बताए रास्ते पर चलकर देश में मानवतावादी समतामूलक समाज व्यवस्था को स्थापित करने हेतु अपना त्याग व संघर्ष जारी रखें।

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