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'श्रीराम मंदिर के लिए कानून बनाए सरकार'

प्रमुख हिंदूवादी संगठनों की ‌दिल्ली में विशाल धर्मसभा

केंद्र सरकार पर मं‌दिर कानून बनाने के लिए दबाव बढ़ा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 9 December 2018 07:33:05 PM

massive dharma sabha held in delhi

नई दिल्ली। इंद्रप्रस्थ विश्व हिंदू परिषद की ओर से रामलीला मैदान दिल्ली में आयोजित देश के विशिष्ट संत महात्माओं, प्रमुख धार्मिक सामाजिक संगठनों तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों और श्रीराम भक्तों की विराट धर्म सभा में आज अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार से कानून बनाने की मांग की गई। धर्मसभा में संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने केंद्र सरकार से कहा कि हम श्रीराम मंदिर की भीख नहीं मांग रहे, बल्कि यह हमारा अधिकार है और साथ ही यह संसद और सरकार का दायित्व भी है। विराट धर्मसभा की अध्यक्षता आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने की। उन्होंने कहा कि श्रीराम हिंदू समाज के लिए मुक्तिमंत्र हैं, चेतना हैं, श्रीराम मंदिर के लिए एकजुट हुई इन भावनाओं का शासन और न्यायालय को आदर करना होगा। उन्होंने श्रीराम भक्तों को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प भी दिलाया। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर के लिए दिल्ली में उमड़े जनसैलाब ने इतिहास रच दिया है।
विराट धर्मसभा में महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद महाराज ने कहा कि हम किसी की चापलूसी नहीं करते हैं। नरेंद्र मोदी सरकार को दो टूक चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अगर मंदिर नहीं बना तो श्रीराम भक्त चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी पर यह आरोप लगता है कि वो चुनाव के दौरान ही राम मंदिर का मुद्दा उठाती है तो दूसरे दलों को मंदिर निर्माण में सहयोग कर इस मुद्दे को समाप्त कर देना चाहिए। जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीराम मंदिर के लिए कानून या अध्यादेश से कम कुछ स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर श्रीराम मंदिर प्राथमिकता में नहीं है तो रामनवमी पर वे अवकाश क्यों लेते हैं? गीता के मर्मज्ञ स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि संत चाहते हैं कि इसी दिसंबर में श्रीराम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो।
उदासीन आश्रम आराम बाग के महामंडलेश्वर स्वामी राघवानंद महाराज ने कहा कि अगर कानून नहीं बना तो श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष ही एक मात्र उपाय रह जाएगा, देश की सबसे बड़ी अदालत जनभावनाओं को नहीं समझती है तो यह हिंदू समुदाय के प्रति अन्याय है। इस अवसर पर साध्वी ऋतंभरा ने हुंकार भरते हुए कहा कि इस देश का हिंदू जाग गया है, श्रीराम मंदिर बनना ही चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि हम श्रीराम मंदिर की भीख नहीं मांग रहे हैं, बल्कि यह हमारा अधिकार तो है ही संसद और सरकार का दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था और न्यायालय की प्रतिष्ठा बनी रहनी चाहिए तथा न्याय व्यवस्था और राज सत्ता दोनों को अपने पूरे सामर्थ्य का उपयोग करते हुए जनभावना की उपेक्षा के स्थान पर उसका सम्मान करना चाहिए, जिससे जनविश्वास भी बना रहे। उन्होंने कहा कि मंदिर वहीं बनाएंगे ये सत्तारुढ़ दल का भी संकल्प है।
विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा कि श्रीराम मंदिर चुनाव का मुद्दा न हो कर आत्मसम्मान का मुद्दा है, न्यायालय की प्रतीक्षा अनंतकाल तक नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि संसद जनता की आकांक्षाओं के अनुसार कानून बना कर मंदिर निर्माण की राह खोले। विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय अपने कर्तव्यों की अवहेलना करने के बजाए जन आकांक्षाओं का सम्मान करे। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल श्रीराम मंदिर का समर्थन करें तथा संसद के शीतकालीन सत्र में ही कानून बनाया जाए अन्यथा आगामी चुनावों में जनता का आक्रोश सामने आएगा। विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि हमें जन्मभूमि का एक एक इंच भी बंटवारा स्वीकार्य नहीं है, जब उच्च न्यायालय के फैसले में सिद्ध हो गया है कि वहां श्रीराम मंदिर था तो वादे के अनुसार न सिर्फ मुस्लिम पक्षकारों को मुकद्दमा वापस ले लेना चाहिए, बल्कि केंद्र सरकार को भी सर्वोच्च न्यायालय में दिए अपने हलफनामे के अनुसार श्रीराम जन्मभूमि श्रीरामलला को अविलंब सौंपनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मंदिर वहीं बनेगा, उसी मॉडल का बनेगा, यह टाइटल की भी लड़ाई नहीं है।
धर्मसभा में स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीरामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे-यह आवाज़ एक जाति धर्म या सम्प्रदाय की नहीं है, वरन पूरे देश की है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अपनी गरिमा बनाए रखनी चाहिए। महामंडलेश्वर नवल किशोर दास महाराज ने कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण पर यदि सरकार कोई निर्णय नहीं लेती है, तो संत स्वयं निर्णय लेंगे। स्वामी अनुभूतानंद महाराज ने कहा कि शर्म की बात है कि श्रीरामलला टाट में बैठे हैं और हमारे नेता ठाठ में बैठे हैं, अगर सरकार या न्यायालय रास्ता नहीं निकालते हैं तो जिस तरह ढांचा ढहाया गया था, उसी तरह भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण भी किया जाएगा। संत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि हम यहां से यह संकल्प लेकर जाएंगे कि मंदिर वहीं बनाएंगे। संत समिति के महासचिव जितेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रीराम मंदिर सर्वोच्च न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य ने कहा कि यह समय श्रीराम मंदिर निर्माण का श्रेय लेने का है, मंदिर तो बनके ही रहेगा, आर्य समाज का भी यह संकल्प है, किंतु चाहे संसद हो या सांसद, न्यायालय हो या सरकार किसी को इसके श्रेय लेने में चूक नहीं करनी चाहिए। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी शाश्वतानंद महाराज, विवेकानंद सरस्वती महाराज, नामधारी सदगुरू दिलीप सिंह महाराज , जैनमुनि लोकेश मुनि महाराज, आचार्य दीपांकर ने भी जनसैलाब को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए तैयार रहने को कहा। विराट धर्मसभा के लिए श्रीरामभक्त सुबह 4 बजे से ही जुटने प्रारंभ हो चुके थे। दिल्ली एनसीआर से पहुंचे रामभक्तों की एक ही मांग रही कि केंद्र सरकार श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में ही कानून बनाए।

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