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'द डार्क साइड ऑफ लाइफ: मुंबई सिटी' मुंबई!

जीवन में अवसाद और आत्महत्या पर आत्मशांति की खोज

महेश भट्ट का अभिनय और पहलीबार फिल्म का रोड शो

अनिल बेदाग़

Wednesday 21 November 2018 01:49:30 PM

film the dark side of life: mumbai city

मुंबई। 'द डार्क साइड ऑफ लाइफ: मुंबई सिटी' मुंबई के अंधेरे पहलू को उजागर करती है। किसी भी फिल्म में पहली बार निर्देशक महेश भट्ट का अभिनय और पहली बार किसी फिल्म का रोड शो देखने को मिला है। यह फिल्म एक तरह से मुंबई सिटी की यूएसपी है, जिसने सड़क पर चलते लोगों को अपने अनोखे प्रमोशन से चौंका दिया है। इसे पब्लिसिटी स्टंट भी कहा जा सकता है, जिसके चलते मुंबई पुलिस को रोड शो रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। दरअसल मुंबई के आदर्शनगर सिग्नल पर एक फिल्मी पोस्टर पर एक आदमी की लाश ने सनसनी फैला दी। जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो पता चला कि पोस्टर पर आत्महत्या करते दिखाई देने वाला व्यक्ति वास्तव में एक पुतला था, जिसने काफी समय तक वहां दहशत फैलाए रखी।
क्या है कि तनाव और अवसाद के कारण मुम्बई में आत्महत्या करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। इंसान ऐसी मनोदशा का शिकार क्यों हो रहा है और ऐसे हालात से कैसे बचा जा सकता है, इन्हीं सवालों का जवाब देने की फिल्म के निर्देशक तारिक खान ने कोशिश की है, जिनकी मदद करने के लिए जानेमाने फिल्म निर्देशक महेश भट्ट खुद आगे आए और उन्होंने पहली बार इस फिल्म में अपने सशक्त अभिनय से लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की है। निर्देशक तारिक खान कहते हैं कि यह मुम्बईकरों के लिए एक आंख खोलने वाला कड़वा सच है, जो बड़े शहरों के जीवन में रोज़ इतने व्यस्त होते हैं कि वे इस किस्म की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से अनजान हैं जो हमारे शहर में हो सकती हैं।
तारिक खान ने याद दिलाते हैं कि फ़िल्मी दुनिया में जिया खान जैसी एक्ट्रेस की ख़ुदकुशी की घटना ने सबको कैसे चौंका दिया। मुंबई में अँधेरी वेस्ट में आदर्शनगर सिग्नल पर इस फिल्म की टीम ने फिल्म के पोस्टर पर एक पुतले को फांसी से लटकते हुए दिखाया। इस पर तारिक खान कहते हैं कि मुंबई जैसे बड़े शहर में आज लोग इतनी भागदौड़ भरी जिंदगी से गुज़र रहे हैं कि हर आदमी तनाव और किसी न किसी परेशानी में नज़र आता है। संघर्ष और मायूसी कभी-कभी लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर करती है या वे अपनी जान देने के लिए सोचते लगते हैं। यह फिल्म दुखद हादसों से संबंधित है। तारिक खान-'मैं यह कहना चाहता हूं कि आत्महत्या जैसी कोशिश से एक संतुलित दिमाग के ज़रिये बचा जा सकता है, लेकिन मुंबई शहर की जीवनशैली में ऐसे बैलेंस की कमी है, यह फ़िल्म कई किरदारों की इमोशनल और एम्बिशियस जर्नी को बड़ी बेबाकी से दर्शाती है।'

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