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'वृक्ष लगाएं और ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति पाएं'

ज्योतिषाचार्य धनेश मणि त्रिपाठी सिंगापुर में सम्मानित

'सनातनधर्म के नियम जीवन जीने के वैज्ञानिक सूत्र हैं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 4 October 2018 01:43:54 PM

jyotishcharya dr. dhanes mani tripathi honored in singapore

गोरखपुर/ सिंगापुर। असम बंगीय ज्योतिष वास्तु सोसायटी, नैहाटी ऋषि बंकिम कृषि हेरिटेज संस्था और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एस्ट्रोलॉजी सिंगापुर के तत्वावधान में 23 से 25 सितंबर तक चांसलर होटल सिंगापुर में अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें संस्था के अध्यक्ष सुबीर बोस, ऑल इंडिया लीगल एड फोरम के सेक्रेट्री और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जयदीप मुखर्जी, एस्ट्रोलॉजी एकेडमी सिंगापुर की चेयरमैन मेय सिम ने डॉ धनेशमणि त्रिपाठी को मैन ऑफ़ द ईयर एशिया दिसतिगुसेड अवार्ड गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। डॉ धनेशमणि त्रिपाठी सम्मलेन में बतौर मुख्य अतिथि भी आमंत्रित थे।
डॉ धनेशमणि त्रिपाठी ने सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए कहा कि सनातनधर्म के नियम सूत्र सभी के लिए जीवन जीने के वैज्ञानिक सूत्र हैं, इन सूत्रों पर चलकर धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थ की सिद्धि होती है। उन्होंने कहा कि विश्व का पर्यावरण असंतुलित हो रहा है, इसे नियंत्रित करने में विश्वभर के ज्योतिष विद्वान अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब कोई कन्या की शादी की समस्या के समाधान के लिए आता है तो उसे बताएं कि वृहस्पति से सम्बंधित पीपल, आम और शुक्र से सम्बंधित बरगद, महुआ के पौधे लगाकर उन्हें जल दें, उनकी रक्षा करें, बुरे प्रभाव देने वाले ग्रह की शांति करें तो एक वर्ष में विवाह हो जाएगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ धनेशमणि त्रिपाठी ने कहा कि इस प्रकार कोई भी वृक्ष किसी न किसी ग्रह से सम्बंधित है, लाभकारी है, पर्यावरण को संतुलित रखता है, छाया देता है, फल देता है, जिन्हें लगाकर ग्रहों की पीड़ादायक समस्याएं भी समाप्त हो सकती हैं और पर्यावरण भी अनुकूल रह सकता है। डॉ धनेशमणि त्रिपाठी ने यह विधि विश्व के सभी ज्योतिषाचार्य से अपनाने की अपील की, जिसकी सराहना भारत और सिंगापुर के ज्योतिष विद्वानों, धर्माचार्यों और गणमान्य लोगों ने की। उन्होंने कहा कि अपने और विश्व कल्याण के लिए आम जनमानस को भी ये विधि अपनानी चाहिए। उन्होंने सिंगापुर शहर की भौगोलिक कला और संस्कृति से भारत की भौगोलिक कला और संस्कृति का परिचय कराया।

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