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पाक के नापाक इरादों पर यूएस-भारत सतर्क

पाकिस्तान के शरणदाताओं पर अमरीका की कड़ी नज़र

भारत-अमरीका का नाटो की तरह सहयोग का संकल्प

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 7 September 2018 02:16:35 PM

james mattis, michael r pompeo, sushma swaraj and nirmala sitharaman

नई दिल्ली। पाकिस्तान के दुनिया के पांचवे शीर्ष परमाणु हथियार सम्पन्न बनने के प्रयासों और पाकिस्तान की भारत के खिलाफ युद्ध की तैयारियों की खुफिया रिपोर्ट सामने आने के दौरान भारत और अमरीका में 2+2 रणनीतिक संवाद हुआ है, जो दोनों देशों की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा रणनीतियों के दृष्टिकोण से भारत-अमरीका के बीच किसी भी हमले और साजिश को मुंहतोड़ जवाब देने वाला या विफल कर देने वाला संवाद है। यह संवाद इस बात की पुष्टि करता है कि भारत को अमरीका अत्यंत संवेदनशील सुरक्षा और सैन्य तकनी‌क उपलब्‍ध करा रहा है, जो अभी तक केवल नाटो सदस्य देशों के ही पास है। भारत-अमेरिका 2+2 संवाद के बाद भारतीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि यह संवाद बहुत रचनात्मक, सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण रहा है। उन्‍होंने एक प्रेस वक्‍तव्‍य में अमेरिका के रक्षामंत्री जेम्‍स मेट्टिस और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को अमेरिका के विज़न और प्रतिबद्धता के लिए धन्‍यवाद दिया और कहा कि हम भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रिश्‍तों को बहुत महत्‍व देते हैं।
पाकिस्तान से मिल रही सूचनाओं पर और पाकिस्तान के नापाक इरादों पर अमेरिका और भारत सतर्क हो गए हैं। अमेरिका की भारत को लेकर पाकिस्तान की सैन्य रणनीतियों और पाकिस्तान के शरणदाताओं पर कड़ी नज़र और निगरानी बढ़ा दी गई है। अमरीका अब किसी भी ‌कीमत पर नहीं चाहता कि भारत के खिलाफ चीन चोरीछिपे परमाणु ‌हथियारों के विकास और निर्माण में पाकिस्तान की किसी भी तरह की मदद करे या कोई और भी देश पाकिस्तान के नापाक कार्यक्रम का हिस्सा बने। वैश्विक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में शरण मिलने और उसके वहां मारे जाने के बाद अमरीका का पाकिस्तान से विश्वास उठ चुका है और वह मानता है कि पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरा बन रहा है। अमरीका का यह दृढ़ विश्वास है कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय खतरनाक इस्लामिक आतंकवादियों का शरणदाता है, ‌जो मानवता के खिलाफ अपनी विध्वंसक गतिविधियों से बाज़ नहीं आ रहा है, जिसका पुष्ट प्रमाण भारत भी है, जहां जम्मू-कश्मीर राज्य सहित पूरे भारत देश में इस्लामिक आतंकवादियों का आतंक अपने चरम पर है, जिसका अंतिम इलाज उसके खिलाफ सैनिक कार्रवाई ही है। अमरीका ने पाकिस्तान से मिली खुफिया जानकारियों की पुष्टि के बाद भारत को सतर्क किया है ‌और भारत को भरोसा दिया है कि पाकिस्तान की ऐसी किसी भी योजना को ध्वस्त कर दिया जाएगा।
गौरतलब है‌ कि अमरीका के अस्तित्व के लिए भारत का शक्तिशाली बने रहना और भारत के खिलाफ पाकिस्तान के नापाक इरादों को ध्वंस करना आज अमरीका की बहुत बड़ी आवश्यकता है, जबकि यही अमरीका एक समय पहले पाकिस्तान का सबसे बड़ा हमदर्द हुआ करता था। हाल ही में अमरीकी एजेंसी फेडरेशन ऑफ अमरीकन साइंटिस्ट की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें पाकिस्तान के भारत के खिलाफ मिसाइल निर्माण और उसके दुनिया के पांचवे शीर्ष परमाणु हथियार बनाने वाला देश बनने की योजना का उल्लेख किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अबतक बहुत तेजी से डेढ़सौ से भी ज्यादा एटमी हथियार बना चुका है और सन् 2025 तक उसके पास परमाणु हथियारों का इतना बड़ा जखीरा होगा कि भारत उसका मुकाबला नहीं कर पाएगा। इस मामले पर रक्षा विशेषज्ञों की अलग-अलग राय हैं। कुछ का कहना है कि यह हथियारों के बाज़ार की उड़ाई ख़बर ‌हो सकती है, ताकि भारत तुरंत बड़े पैमाने पर हथियार खरीदने को मजबूर हो और कुछ का कहना है कि पाकिस्तान की धमकियों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि उसके साथ चीन खड़ा है और पाकिस्तान चोरीछिपे परमाणु सहयोग लेने और परमाणु हथियार बनाने में माहिर है, जिसका इस एजेंसी ने भी उल्लेख किया है और भारत को इस समय सुरक्षा मामलों में अत्यधिक सतर्कता बरतने एवं अमरीका के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
बहरहाल रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत-अमरीका संवाद बैठक में हमने शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सहयोग को दोहराया है और दोनों देशों के बीच आर्थिक विकास, समृद्धि और प्रगति के बारे में दोनों देशों के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने पर जोर दिया है। जाहिर है कि रक्षामंत्री के शांति और स्थिरता के उल्लेख के मायने काफी गंभीर हैं और 2+2 संवाद बैठक का होना एक गंभीर संदेश देता है, जिसमें दोनों देश किसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं और इस संवाद में पाकिस्तान और उसके आतंकवाद पर चर्चा हुई। इस संवाद का विश्व समुदाय में तुरंत संज्ञान लिया गया है और समाचार माध्यमों ने इसपर विशेषज्ञों की टीका-टिप्पणियां प्रस्तुत की हैं। रक्षामंत्री ने मीडिया से कहा है कि भारत-अमरीका आतंकवाद के खतरे और अपनी साझा सुरक्षा चुनौतियों से मिलकर लड़ेंगे। उन्‍होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी के संबंध में रक्षा सहयोग अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण आयाम है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत के सुरक्षाबल अमेरिका के साथ गहरा प्रशिक्षण और संयुक्‍त अभ्‍यास कर रहे हैं और हमने निर्णय किया है कि 2019 में भारत के पूर्वी तट पर अमेरिका के साथ पहली बार तीनों सेनाएं संयुक्‍त अभ्‍यास करेंगी, इसके अलावा समुद्री सुरक्षा पर भी दोनों देश आपसी संबंधों पर ध्‍यान दे रहे हैं, हम इस क्षेत्र में सहयोग को और आगे बढ़ाएंगे।
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने खुलासा किया कि हमने अमेरिका द्वारा भारत को अपना प्रमुख रक्षा साझेदार बनाने के विषय और उसके विस्‍तार पर गंभीर चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका के इस निर्णय का भारत स्‍वागत करता है, जिसके तहत अमेरिका ने भारत को एसटीए टीयर-1 का दर्जा प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हमने बातचीत के दौरान ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में रक्षा उत्‍पादन को प्रोत्‍साहन देने के संबंध में सरकार के कदमों का जायजा लिया है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच अपनी तरह का यह पहला 2+2 संवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की दूरदृष्टि का परिणाम है, इससे दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाईयों पर पहुंचेंगे। निर्मला सीतारमण के इस बयान से यह पुष्टि होती है कि भारत और अमरीका एशिया में एक खास रणनीति पर चल पड़े हैं, जिसमें अमरीका चीन को हाशिए पर रखना चाहता है और पाकिस्तान को उसकी हैसियत बताता है। अमरीका और भारत के बीच ये संबंध यदि विश्वास और सहयोग की कसौटी पर खरे उतरे तो चीन और पाकिस्तान को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ेगी, भलेही वह ‌कितने ही हथियारों से लैस क्यों न हो जाए। पाकिस्तान ने चीन से दोस्ती का जो भ्रम पाला हुआ है, वह कभी भी चकनाचूर हो सकता है, क्योंकि इस दुनिया में चीन ही ऐसा देश है, जिसपर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता।

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