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रिहाई मंच ने जिया उल हक के परिवार से की मुलाकात

सपा सरकार में 27 बड़े दंगों की भी सीबीआई जांच कराई जाए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 06 March 2013 08:37:48 AM

देवरिया। रिहाई मंच आजमगढ़ के एक प्रतिनिधि मंडल ने कुंडा में सीओ जिया उल हक के गांव जुआफर, देवरिया पहुंचकर उनकी पत्नी परवीर आजाद, पिता शम्शुल हक, भाई शोहराब अली, बहनोई मुजीबुर्रहमान, चचेरे भाई मारुफ से मुलाकात करके रघुराज प्रताप सिंह समेत इस घटना में लिप्त पुलिस कर्मियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की। मंच का कहना है कि जिया उल हक की हत्या के तार अस्थान में हुये सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े हैं, इसलिये अस्थान कांड की भी सीबीआई जांच कराई जाए।
रिहाई मंच में शामिल मसीहुद्दीन संजरी, आरिफ नसीम, एडवोकेट अब्दुल्ला और गुफरान ने पीड़ित परिवार से मिलने के बाद जारी बयान में कहा कि सपा सरकार के समाजवाद का मतलब अपराधियों को खुली छूट और जिया उल हक जैसे ईमानदार पुलिस अधिकारी की मौत हो गया है। रिहाई मंच के संयोजक मसीहुद्दीन संजरी और आरिफ नसीम ने सपा सरकार पर अपराधियों के संरक्षण में मुस्लिम और कमजोर तबकों के खिलाफ हिंसा को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक खुली सच्चाई है कि रघुराज प्रताप का खानदान जनसंघ के जमाने से ही मुस्लिम विरोधी रहा है, जिसने अभी पिछले दिनों ही अस्थान की घटना में मुसलमानों के घर जला दिए थे, इसके बाद मुसलमानों को दहशतजदा करने के लिए प्रवीण तोगड़िया को बुलाकर खुले मंच से मुसलमानों को सांप्रदायिक गालियां और धमकी दिलवाई, लेकिन अस्थान कांड में सपा ने अपने नेता अबू आसिम आजमी के जरिए प्रतापगढ़ में कौमी एकता सम्मेलन करने का नाटक किया, इससे साफ हो जाता है कि सपा अपने गुप्त हिंदूवादी एजेंडे को संरक्षण भी देती है। इन नेताओं ने कहा कि पुलिस अधिकारी की विधवा प्रदेश पुलिस के बजाए सीबीआई जैसी बाहरी एजेंसी से अगर जांच कराने की मांग कर रही है तो समझा जा सकता है कि सपा सरकार में प्रदेश की पुलिस किस तरह से जांच करती होगी। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि सपा सरकार में हुये 27 बड़े दंगों की भी सीबीआई से जांच कराई जाए।
रिहाई मंच ने कहा कि मुलायम सिंह यादव को यह बताना चाहिए कि आखिर रघुराज प्रताप सिंह को उनकी पार्टी और भाजपा ही क्यों हमेशा मंत्रिमंडल में रखती है? क्या रघुराज प्रताप भाजपा और सपा के बीच किसी एजेंडे के तहत कड़ी का काम करते हैं? उन्होंने कहा कि जिस तरह से अस्थान में मुसलमानों के विरुद्ध सांप्रदायिक हमले की घटनाओं की जांच से जिया उल हक का नाम जुड़ रहा है, उससे जरुरी हो जाता है कि जिया उल हक की हत्या के साथ ही अस्थान सांप्रदायिक हिंसा की भी सीबीआई जांच कराई जाए।

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