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'नए भारत में सीपीएसई का बड़ा योगदान'

'उद्यम और नवाचार 21वीं सदी के मार्गदर्शक सिद्धांत'

प्रधानमंत्री मोदी का सीपीएसई सम्मेलन में संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 11 April 2018 12:33:50 PM

pm narendra modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली विज्ञान भवन में सीपीएसई सम्मेलन में शिरकत की, जिसमें उनके समक्ष विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियां दी गईं, इनमें कॉरपोरेट गवर्नेंस, मानव संसाधन का प्रबंधन, वित्तीय पुर्नगठन, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी और नए भारत के लिए विजन 2022 शामिल थे। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन को सार्वजनिक क्षेत्र की दिशा में एक नई शुरुआत बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को उनके परिचालन में व्यापक आजादी दी है, ताकि वे अपना प्रदर्शन बेहतर कर सकें। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम यानी पीएसयू ने आजादी के बाद से ही राष्ट्र निर्माण और देश की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिए मुनाफा कमाना और सामाजिक लाभ सृजित करना दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के उल्लेखनीय योगदान के लिए उनकी प्रशंसा की और कहा कि विद्युत सुविधा से वंचित गांवों में बिजली पहुंचाना और ग़रीबों को एलपीजी कनेक्शन सुलभ कराना जैसे प्रमुख सरकारी लक्ष्यों की प्राप्ति पीएसई कर्मियों की कड़ी मेहनत के बिना संभव नहीं थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत में अर्जित विशिष्ट प्रतिष्ठा ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उभरती चुनौतियों के अनुरूप स्वयं को ढालना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उद्यम और नवाचार 21वीं सदी में मार्गदर्शक सिद्धांत हैं और प्रोत्साहन, कल्पना एवं संस्थान निर्माण सफलता के लिए तीन कुंजी हैं। प्रधानमंत्री ने पीएसई का आह्वान किया कि वे प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं में बदलावों के जरिए नए भारत के निर्माण में मदद करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए पीएसई को ‘5-पी’ के फॉर्मूले की जरूरत होगी, जिनमें प्रदर्शन, प्रक्रिया, छवि, खरीद और तैयार रहना शामिल हैं। उन्होंने परिचालनगत एवं वित्तीय प्रदर्शन में बेहतरी, पारदर्शिता एवं प्रक्रियाओं में जवाबदेही ‘जेम’ प्लेटफॉर्म के जरिए एवं एमएसएमई से खरीद और तकनीकी व्यवधानों जैसेकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, क्वांटम कम्पूटिंग एवं रोबोटिक्स के लिए तैयार रहने का उल्लेख किया।
नरेंद्र मोदी ने नए भारत के लिए पीएसई के समक्ष पांच चुनौतियां रखीं, जिनमें वर्ष 2022 तक भारतीय पीएसयू कैसे अपनी भू-रणनीतिक पहुंच को अधिकतम करेंगे? वर्ष 2022 तक भारतीय पीएसयू कैसे देश के आयात बिल को न्यूनतम करेंगे? वर्ष 2022 तक भारतीय पीएसयू कैसे नवाचार और अनुसंधान को एकीकृत करेंगे? वर्ष 2022 तक भारतीय पीएसयू के सीएसआर कोष के उपयोग को इष्टतम करने के लिए उनका रोडमैप क्या होगा? और वर्ष 2022 तक भारतीय पीएसयू देश को कौन-सा नया विकास मॉडल देंगे? प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व की 500 सबसे बड़ी कंपनियों में से एक चौथाई कंपनियां किसी न किसी देश के सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय पीएसयू स्वयं को अन्य देशों के पीएसयू से जोड़ सकते हैं और विदेश में निवेश के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पीएसयू भारत के आयात बिल को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि सीएसआईआर, आईसीएआर इत्यादि में उपलब्ध सुविधाओं के अलावा सीपीएसई में आधुनिक अनुसंधान एवं विकास बुनियादी ढांचा भी है। उन्होंने कहा कि नवाचार और अनुसंधान को अब एकीकृत करने की जरूरत है, इस संदर्भ में उन्होंने सीपीएसई एवं सरकारी विभागों के बीच और ज्यादा सूचनाओं को साझा करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि सीपीएसई के सीएसआर संबंधी व्यय को प्रत्येक साल मुख्यतः एक विशिष्ट थीम पर केंद्रित होना चाहिए, इस संदर्भ में उन्होंने उस सफलता का उल्लेख किया जब इस तरह के सीएसआर व्यय का उपयोग स्कूलों में शौचालय निर्माण के लिए किया जाता था। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों का विकास एक अच्छी थीम हो सकती है। उन्होंने कहा कि सीपीएसई अपने सीएसआर के तहत कौशल विकास कार्यक्रम भी शुरू कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीपीएसई अनेक क्षेत्रों जैसेकि कागज रहित कार्य संस्कृति, कैशलेस लेनदेन और कचरा प्रबंधन में आदर्श के रूपमें काम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि सीपीएसई ‘नए भारत’ के सपने को साकार करने में अपनी ओर से व्यापक योगदान करेंगे।

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