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बेटियां छात्रवृत्ति के लिए मनीषा मंदिर आएं!

मेधावी ग़रीब मनीषा बेटियों को उच्चशिक्षा स्कॉलरशिप

माँ होने का धर्म निभा रहीं हूं-डॉ सरोजनी अग्रवाल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 19 June 2017 12:42:51 AM

dr. sarojini agarwal

लखनऊ। जिन ग़रीब और बेसहारा बेटियों ने इंटरमीडिएट और उसके समकक्ष परीक्षा में अस्सी प्रतिशत अंक लाकर मेधावी होने का गौरव हासिल किया है, वे मनीषा उच्चशिक्षा स्कॉलरशिप प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकती हैं। मनीषा मंदिर लखनऊ में उन्हें 30 जून 2017 तक स्कॉलरशिप के फार्म मिलेंगे, जो 30 जुलाई तक वहां जमा किए जा सकते हैं। मनीषा मंदिर की संस्‍थापक अध्यक्ष माँ डॉ सरोजनी अग्रवाल ने बताया कि इस बार कम से कम पचास ग़रीब बेटियों को स्कॉलरशिप दी जाएगी। मनीषा मंदिर 2015 से सत्रह ग़रीब बेटियों को 2016 से 29 बेटियों को स्कॉलरशिप प्रदान करता आ रहा है। मेधावी ग़रीब बेटियां वेबसाइट http://manishamandir.org या फोन नंबर 9451123170 पर संपर्क कर सकती हैं।
माँ डॉ सरोजनी अग्रवाल ने बताया कि यही नहीं मनीषा मंदिर ने अबतक करीब आठ सौ अनाथ बेसहारा और ग़रीब बालिकाओं को उनके सुखद जीवन की राह दिखाई है। उन्होंने बताया कि वे 3 अगस्त 2017 को मनीषा बेटियां बचाओ पढ़ाओ अकादमी की तरफ से एक सम्मेलन आयोजित करने जा रही है, जिसमें ये और सभी स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाली बेटियां भाग लेंगी। गौरतलब है कि स्कॉलर प्राप्त बेटियों को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और राज्यपाल राम नाईक के हाथों स्कॉलरशिप प्रदान की गई थीं। यह भी उल्लेखनीय है कि ये स्कॉलरशिप और ग़रीब अनाथ बालिकाओं के पुर्नवास जैसे कार्यक्रम मनीषा मंदिर अपने ही खर्च पर चला रहा है, जिसमें सरकार का कोई भी योगदान नहीं लिया गया है।
मनीषा मंदिर के सामाजिक और शैक्षणिक योगदान की सर्वत्र सराहना होती है। माँ डॉ सरोजनी अग्रवाल ने अपनी पुत्री मनीषा के नाम पर मनीषा मंदिर की स्‍थापना की थी, तब से यह मंदिर परोपकार में लगा है। मनीषा मंदिर के कार्यक्रमों में अनेक महान विभूतियां आ चुकी हैं और यहां के अनुकरणीय कार्यों को देख चुकी हैं। माँ डॉ सरोजनी अग्रवाल का पूरा जीवन बेटियों और पांच साल तक की अनाथ बेटियों के पुर्नवास में लगा है। उन्होंने दो साल से मेधावी निर्धन बेसहारा बेटियों के लिए स्कॉलरशिप देनी शुरू की है, जिनकी संख्या हर वर्ष उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। माँ डॉ सरोजनी अग्रवाल कहती हैं कि मै एक माँ हूं और माँ होने का धर्म निभा रही हूं। वे कहती हैं कि इससे मुझे आत्मशांति मिलती है और उन बच्चियों को खुश देखकर प्रसन्न होती हूं, जिनके जीवन में प्रकाश के लिए मनीषा मंदिर कुछ न कुछ कर रहा है।

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