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दुनिया के प्रतिरक्षा बाज़ार में डोर्नियर की मांग

एचएएल में बना है यह ज़बरदस्त निगरानी वाला विमान

एन आव

Wednesday 13 February 2013 08:47:36 AM

dornier-228

नई दिल्ली। भारत ने इस साल पहली फरवरी को सेशेल्स को एक निगरानी विमान डोर्नियर-228 सौंपा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में तैयार डोर्नियर-228 ज़बरदस्त निगरानी क्षमता वाली उड़ान मशीन है। एचएएल इस विमान को जर्मनी की तत्कालीन डोर्नियर जीएमबीएच के साथ हुए लाइसेंस समझौते के तहत कानपुर स्थित अपनी परिवहन विमान कंपनी में तैयार करता है। उसके पास विश्व में इस विमान की निर्बाध बिक्री और विपणन के अधिकार हैं। विमान के ढांचे के साथ-साथ इसके इंजन और कई प्रणालियां भी एचएएल के विभिन्न प्रभागों में तैयार की गई हैं, ताकि इसके ग्राहकों को एकल आजीवन समर्थन सुनिश्चित किया जा सके। विमान के कॉकपिट में दो चालक सदस्य बैठ सकते हैं और इसमें वैकल्पिक नियंत्रण की भी व्यवस्था है। इसके केबिन में भी 19 यात्री बैठ सकते हैं।
एचएएल का डोर्नियर-228 अपने श्रेष्ठ डिजाइन और विश्वस्तरीय कार्य कुशलता के कारण विभिन्न भूमिकाएं अदा कर सकता है। इसे क्षेत्रीय विमान, विमान टैक्सी, विशिष्ट व्यक्ति, कार्यकारी परिवहन, समुद्री निगरानी, टोह लेने, खुफिया युद्ध कौशल और सैन्य परिवहन, पैरा जंपिंग, प्रदूषण की पहचान करने और नियंत्रण, खोज एवं बचाव आदि कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके अलावा, घायलों को ले जाने, एंबुलैंस, कार्गो और सामान पहुंचाने, भौगोलिक सर्वेक्षण, विमान से चित्र खींचने, पनडुब्बी-रोधी भूमिकाओं और पर्यवेक्षक प्रशिक्षण आदि के काम भी लाया जा सकता है। इन विशेषताओं के कारण यह विमान भारतीय वायुसेना, तटरक्षक और नौसेना के लिए विश्वस्त कामगार साबित हो रहा है। एचएएल के दो डोर्नियर-228 विमानों का उपयोग मॉरिशस का राष्ट्रीय तटरक्षक विभाग अपनी तटीय सीमा की निगरानी और विशिष्ट व्यक्तियों को लाने-ले जाने के काम में ला रहा है।
एचएएल के डोर्नियर-228 विमान की कार्य कुशलता कई अंदरूनी विशेषताओं के कारण है। जैसे-पंखों में ईंधन के समन्वित टैंकों के कारण सर्वाधिक ईंधन (2850 लीटर) ले जाने की क्षमता, आधुनिक संयुक्त सामग्री के प्रयोग के कारण ढांचागत कम वजन, निर्बाध दृश्य और राडार की सीमा से बाहर रखने के लिए पंखों का अद्वितीय डिजाइन, बेहतर ठहराव के लिए पहियों का चौड़ा आधार, कम जगह में उड़ान भरने और उतरने की क्षमता। यह विमान लगभग 700 मीटर स्थान से उड़ान भर सकता है और 575 मीटर में उतर सकता है। ये विशेषताएं छोटे और अर्ध-निर्मित वायु क्षेत्र, उतरने के लिए मजबूत गियर, यात्रियों के खड़े होने और लदान के लिए अधिक जगह आदि के लिए आवश्यक हैं।
एचएएल ने ग्राहकों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस विमान पर कई विशिष्ट उपकरण लगाए हैं। समुद्री टोह लेने वाले विमान पर 360 डिग्री निगरानी राडार, दूर तक दिखाई देने के लिए इंफ्रारेड प्रणाली, इलेक्ट्रानिक निगरानी प्रणाली, प्रदूषण का पता लगाने और नियंत्रण के उपकरण, उपग्रह संचार प्रणाली, डाटा लिंक, गुप्त बातचीत, विमानों में भिड़ंत और परिहार प्रणाली, जमीन की निकटता के बारे में अग्रिम रूप से चेतावनी देने की प्रणाली और ग्राहक विशेष संबंधी अन्य अनेक विशिष्ट प्रणालियां आदि शामिल हैं। भारत में एचएएल के डोर्नियर-228 का उत्पादन देश के प्रथम क्षेत्रीय विमान वायुदूत के साथ शुरू किया गया था। वायुदूत ने देश के लगभग सभी क्षेत्रों में विमान यात्रा के लिए दस विमानों के अपने बेड़े का व्यापक रूप से प्रयोग किया और एक समय ऐसा आया कि विश्व भर के सभी विमानों में डोर्नियर-228 का सर्वाधिक उपयोग किया गया। वायुदूत डोर्नियर-228 में 19 यात्रियों के बैठने की सुविधा है।
समुचे विश्‍व में यह महसूस किया गया है कि यात्री यातायात में टिकाऊ विकास के लिए क्षेत्रीय विमान मार्गों का विकास सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण है। हब और स्‍पोक नेटवर्क एक सुस्‍थापित मॉडल है, जिसमें क्षेत्रीय यातायात क्षेत्रीय स्‍पोकों के चुने हुए केंद्रों पर निर्मित है। इस प्रकार तैयार केंद्र बड़ी विमान सेवाओं के ट्रंक मार्गों पर आएंगे। क्षेत्रीय मार्ग शुरू में 19 सीटों वाले छोटे विमानों से संचालित किए जाते हैं। भारत में क्षेत्रीय वैमानिक मार्ग अब फिर बढ़ाए जाएंगे। एचएएल के डोर्नियर-228 विमान अपने पिछले अनुभवों, उपलब्‍धता और देश में ही रख-रखाव संबंधी ढांचे की उपलब्‍धता के आधार पर प्रदेशों में चलाए जाने के लिए आदर्श विमान हैं। भावी संचालकों के साथ बातचीत चल रही है।
इस विमान को प्रौद्योगिकी संबंधी नवीनतम तकनीकों के साथ सम-सामयिक बनाए रखने के लिए एचएएल अपने अनुसंधान और डिजाइन के सुदृढ़ आधार के जरिए निरंतर संघर्ष करता है। यह पद्धति पुराने पड़ गए तरीकों से मुक्‍त, आसान रख-रखाव और संचालक के लिए उच्‍च सेवा सुनिश्चित करती है। विमान का कॉकपिट पूरी तरह डिजिटल शीशे वाले कॉकपिट के रूप में पुनर्निमित किया जा रहा है और इसे बंगलुरू में छह से 11 फरवरी 2013 तक होने वाली एरो-इंडिया प्रदर्शनी में रखा गया। इसके अलावा डिजिटल आटो-पायलट, एविओनिक्‍स और अन्‍य प्रणालियों को उन्‍नत भी किया जाएगा।
इस विमान की विकास संभावनाओं को देखते हुए एचएएल ने निर्यात बाजार पर भी नजर गड़ाई है। जहां एक ओर विमान के पूरे ढांचे एसेंबली और विश्‍व के बाजारों में आपूर्ति के लिए पहले से ही निर्यात किए जा रहे हैं, वहां सीधे निर्यात के ठेके प्राप्‍त करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। यह कंपनी मॉरिशस, नेपाल, वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका, अ‍फगानिस्‍तान और कोलंबिया में अनुकूल सैनिक बाजारों का दोहन करने का प्रयास कर रही है। एचएएल के डोर्नियर-228 विमान के अनुकूल असैनिक निर्यात बाजारों में पैठ के भी प्रयास किए जा रहे हैं।

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