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नारी पर अत्याचार व दुराचार से विहिंप चिंतित

सिनेमा या विज्ञापनों में अश्लीलता पूरी तरह प्रतिबंधित हो

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 08 February 2013 07:23:51 AM

ashok singhal and sant

कुंभ नगरी, इलाहाबाद। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने कहा है कि जिस देश में ‘यत्र नार्यन्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता’ को मूल मंत्र माना जाता है और जहां पर सबसे सशक्त व्यक्तित्व के रूप में एक महिला को जाना जाता है, जहां पर लोकतंत्र के सबसे बड़े सदन लोकसभा की अध्यक्षा महिला है‘ और नेता प्रतिपक्ष भी महिला हो, आज वहां पर महिलाओं की दुर्दशा से केवल भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व का सभ्य समाज व्यथित हो रहा है। देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे बलात्कार, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा तथा महिलाओं के साथ हो रही छेड़खानी संत समाज के लिए चिंता का विषय बन गई है।
महिला सुरक्षा पर पारित प्रस्ताव में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने कहा है कि यह सर्वकालिक सत्य है कि जिस समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं है, वह समाज सभ्य नहीं माना जा सकता। दिल्ली में बलात्कार की एक घृणित एवं पैशाचिक घटना के कारण आज इस विषय पर संपूर्ण देश में चिंता व्यक्त की जा रही है। सभी पक्ष अपने-अपने सुझाव दे रहे हैं, लेकिन संत समाज का यह मानना है कि इस विषय पर समग्र दृष्टिकोण से विचार करना होगा। बलात्कार व अन्य इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कठोरतम उपाय तो करने ही होंगे, लेकिन महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि दूरदर्शन, चलचित्र या विज्ञापनों के माध्यम से नारियों का जिस तरह से चित्रण किया जाता है, वह विकृत मानसिकता का ही निर्माण करेगी। बाल्यकाल से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा से विमुख करके एक स्वस्थ मानसिकता निर्माण करने का विचार नहीं किया जाता। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक धर्मविहीन समाज का निर्माण किया जा रहा है। संत समाज का यह मानना है कि महिलाओं की वर्तमान दुरावस्था इस धर्मनिरपेक्ष राजनीति की ही देन है, अब भारत के प्रधानमंत्री भी शिक्षा मंत्रालय को नैतिक शिक्षा देने का आदेश दे रहे हैं, इसलिए अब धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मूल्यविहीन शिक्षा देने का पाखंड बंद कर देना चाहिए।
प्रस्ताव में कहा गया है कि संत समाज इस परिस्थिति में चुप नहीं बैठ सकता, उसकी सरकार से मांग है कि शिक्षा के सभी स्तरों पर नैतिक शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए। दूरदर्शन, चलचित्र, विज्ञापन व अन्य प्रचार माध्यमों में महिलाओं का अश्लील चित्रण पूर्णरूप से प्रतिबंधित होना चाहिए। वर्मा कमेटी की अनुशंसाओं को पूर्णरूप से लागू किया जाना चाहिए। इस अनुशंसाओं में राजनीतिज्ञों से संबंधित अनुशंसाएं भी किसी भी स्थिति में छोड़नी नहीं चाहिएं। इन अनुशंसाओं में संशोधन करके बलात्कारी को मृत्यु दंड का संशोधन अवश्य करना चाहिए। नाबालिग की मर्यादा 18 वर्ष से 16 वर्ष करने की आवश्यकता है, जिससे उम्र की मर्यादा का लाभ उठाकर दुष्कर्मी कानून से बच न पाए।

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