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शिंदे गृहमंत्री हैं या आतंकवादियों के प्रवक्ता ?

पीएम शिंदे को बर्खास्त करें व हिंदुओं से माफी मांगें

महाकुंभ में विहिंप ने की कांग्रेस की निंदा और भर्त्सना

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 08 February 2013 07:10:47 AM

dharma sansad

कुंभ नगरी, इलाहाबाद। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस के हिंदू आतंकवाद के बयान को मुस्लिम वोट बैंक को आकर्षित करने का घृणित हथियार करार दिया गया है। जयपुर में कांग्रेस के चिंतन कार्यक्रम में भारत के गृहमंत्री सुशील शिंदे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं और भाजपा के प्रशिक्षण वर्गों में आतंकवादी प्रशिक्षण देने का यह बयान दिया था, जिसकी महाकुंभ में विहिंप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने कठोर शब्दों में निंदा और भर्त्सना की है। इस बयान पर आज तक विवाद है, भारत का हिंदू समाज इससे आहत और नाराज़ है। सुशील कुमार शिंदे के बयान का कांग्रेस ने नेताओं ने भी समर्थन किया है, इसलिए यह कांग्रेस का ही बयान मान लिया गया है, भले ही कांग्रेस अब कह रही है कि यह बयान सब हिंदुओं के लिए नहीं है। गृहमंत्री शिंदे के बयान की पुष्टि भारत सरकार के गृह सचिव ने भी की है, जिससे माना जाता है कि भारत सरकार भी शिंदे से सहमत है। पाकिस्तान का आतंकवादी सरगना हाफिज सईद, सुशील कुमार शिंदे के इस बयान का भारत के हिंदुओं के खिलाफ विश्व समुदाय में जम कर इस्तेमाल कर रहा है।
विहिंप के मार्गदर्शक मंडल ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए और हिंदुओं से कांग्रेस के विरोध का आह्वान करते हुए कहा है कि शिंदे का संघ और भाजपा के बारे में दिया गया यह बयान पूरी तरह अनर्गल है, निराधार है, आतंकवाद का इतिहास बताता है कि भारत में आतंकवाद के जितने भी स्वरूप हैं, उनको प्रारंभ करने व पोषण करने का राष्ट्र विरोधी काम कांग्रेस ने ही किया है। पंजाब का आतंकवाद, सिमी, लिट्टे को प्रशिक्षण, नक्सलवादियों का पोषण, पूर्वोत्तर के चर्च प्रेरित आतंकवाद आदि के साथ कांग्रेस का क्या संबंध रहा है, यह जग जाहिर है। इसी प्रकार मोहम्मद सूरती, कलोटा जैसे दर्जनों सजायाफ्ता आतंकवादी कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं। भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी आतंकी घटना, 1984 में 3 हजार मासूम सिखों के नरसंहार के लिए कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता ही जिम्मेदार माने जाते हैं, शायद अपने इन पापों को छिपाने के लिए ही कांग्रेस के नेता देशभक्त संगठनों पर आतंकवाद का घृणित आरोप मढ़ रहे हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘हिंदू आतंकवाद’, ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे शब्दों का प्रयोग करके कांग्रेस ने सिद्ध कर दिया है कि वह भारतवर्ष, हिंदू समाज व हिंदू संतों के इतिहास और परंपरा से पूर्ण रूप से अनभिज्ञ है, हिंदू समाज ने सदैव ही संपूर्ण विश्व के क्रूर समाजों के सताए मनुष्य समुदायों को अपने यहां शरण दी है तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के संकल्प के साथ हमेशा विश्व में भाई-चारे का भाव विकसित किया है। भगवा रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है। केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अपने बयान से हिंदू समाज के उज्जवल इतिहास तथा संतों और बलिदानियों की महान परंपरा को अपमानित किया है, जो असहनीय है। वैसे तो इस बयान की चौतरफा निंदा हुई है और हो रही है, पर अगर कोई खुश हुए हैं तो हाफिज सईद जैसे आतंकवादी ही खुश हुए हैं। मार्गदर्शक मंडल ने यह जानना चाहा है कि शिंदे देश के गृहमंत्री हैं अथवा आतंकवादियों के प्रवक्ता हैं?
विहिंप ने प्रस्ताव में आगे कहा है कि विश्व व्यापी आतंकवादी घटनाओं में पकड़े गए युवकों के कारण संपूर्ण विश्व में इस आतंकवाद को दो नाम दिए गए है-‘जिहादी आतंकवाद’ और ‘इस्लामिक आतंकवाद’। इनके कारण कटघरे में खड़े हुए पूरे मुस्लिम समाज के सबसे बड़े पक्षधर के रूप में अपने आपको सिद्ध करने के लिए ही, मुस्लिम वोटों के भिखारी नेताओं ने पिछले दिनों ‘हिंदू आतंकवाद’ और ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे शब्दों को गढ़ा। अपनी गढ़ी हुई कहानियों को सत्य सिद्ध करने के लिए ही सरकार ने भारत के कुछ संतों व हिंदुओं को पकड़ा, परंतु सब प्रकार के अमानवीय व्यवहार के बावजूद भी वे अभी तक पकड़े गए व्यक्तियों पर कोई दोष सिद्ध नहीं कर सके और अब ये लोग खिसयानी बिल्ली की तरह और अधिक आक्रमक होने की कोशिश कर रहे हैं। इन्होंने मुस्लिम समाज के सामने आत्मनिरीक्षण के अवसर भी समाप्त कर दिए हैं, इससे आतंकवादियों के हौसले बुलंद हुए हैं। देश के लिए हमेशा से समर्पित हिंदू समाज, हिंदू संतों व हिंदू संगठनों को विश्वभर में बदनाम करने का दुष्कर्म भी किया है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि यूपीए की केंद्र सरकार का मुस्लिम तृष्टिकरण का लंबा इतिहास है, भारत का विभाजन कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति का ही विषाक्त फल था, जिसका विष भारत माँ को आज भी व्यथित कर रहा है। स्वतंत्र भारत में भी हज यात्रा के लिए सब्सिडी देने से शुरू हुआ मुस्लिम तुष्टिकरण का आत्मघाती अभियान सब प्रकार की सीमाएं पार कर चुका है, संपूर्ण विश्व में भारत ही ऐसा देश है, जहां मुस्लिम समाज के लिए अलग से कानून है, जिसका लाभ लेकर वे अपनी आबादी अंधाधुंध बढ़ाकर भारत में ही हिंदू समाज को अल्पसंख्यक बनाना चाहते हैं। भारत की सैक्युलर सरकारें करोड़ों मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों की भारत विरोधी गतिविधियों के बावजूद, उसका स्वागत और संरक्षण कर रही हैं। सांप्रदायिक दंगों से हमेशा से पीड़ित हिंदू समाज को ही अपराधी घोषित करने के लिए ‘सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विरोधी विधेयक’ लाया गया है। देश के संसाधनों को अनेक वर्षों से लूट रहे मुस्लिम समाज को पिछड़ा घोषित करके उनको आरक्षण देने का भरसक प्रयास किया जा रहा है।
प्रस्ताव के अनुसार न्यायपालिका के पंथिक आधार पर आरक्षण को कई बार असंवैधानिक घोषित करने के बावजूद भी इन सैक्युलर राजनीतिज्ञों में इसको लागू करने की होड़ लगी है। भारत के संसाधनों को इन लोगों पर बहुत ही बेदर्दी से लुटाया जा रहा है। आज 95 लाख से अधिक मुस्लिम विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां दी जा रही हैं। मुस्लिम विद्यार्थियों व उद्यमियों को केवल 3 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है, जबकि हिंदू विद्यार्थियों व उद्यमी को 14 प्रतिशत से 16 प्रतिशत तक ब्याज देना पड़ता है। चौदह लाख मुस्लिम महिलाओं को 5000 रुपए प्रति महिला प्रतिमाह भत्ता देने का निर्णय किसी के भी गले नहीं उतरता है। ऐसी और दर्जनों योजनाएं सरकारी खजाने को खाली कर रही हैं तथा मुस्लिम समाज में अलगाव के भाव को और भी पुष्ट कर रही है। हिंदू आतंकवाद शब्द का झूठा प्रचार इसी कड़ी का अगला कदम है, जिसके माध्यम से कांग्रेस व अन्य कथित सैक्युलर दल मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर मजबूती से आकर्षित करना चाहते हैं।
केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने यह स्पष्ट अभिमत व्यक्त किया है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के आत्मघाती षडयंत्रों से ये लोग देश का भीषण अहित कर रहे हैं, इसलिए महाकुंभ प्रयाग मेले में एकत्रित संत समाज की मांग है कि-भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त करके उनके इस अनर्गल प्रलाप के लिए भारत की जनता से माफी मांगे। मुस्लिम तुष्टिकरण के इस सांप्रदायिक कदमों को भारत की सभी सरकारें वापस लें। भारत में समान आचार संहिता लागू करके भारत के सब नागरिकों के साथ समान व्यवहार करना प्रारंभ करें। केंद्र सरकार व संबंधित राज्य सरकारें हिंदू समाज को सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य न करें और देश विरोधी कदमों को अतिशीघ्र वापस लें।

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