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यूएस में भारतीय सेवा प्रदाता परेशान

विश्व व्यापार संगठन के सामने यह बड़ा मुद्दा

भारत-अमरीका को समाधान की आशा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 10 May 2016 05:32:36 AM

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नई दिल्ली। विश्व व्यापार संगठन के साथ 11 और 12 मई को प्रस्तावित वार्तालाप के विभिन्न मुद्दों के समाधान के प्रति भारत काफी आशावादी है। अमेरिका के हाल के कदमों ने अमेरिका आधारित भारतीय कंपनियों और भारतीय व्यावसायिकों की अमेरिका में सेवा प्रदान करने की क्षमता को प्रभावित किया है। गैर प्रवासियों के लिए एच1 बी और एल1 श्रेणियों के लिए शुल्क में बहुत अधिक वृद्धि की गई है, इसके साथ ही विशेषज्ञों की श्रेणी और कॉर्पोरेट अंतर हस्तांतरण में भी वृद्धि की गई है। ये दोनों ही अमरीका के विश्व व्यापार संगठन की सेवाओं में व्यापार से संबंधित सामान्य समझौते की प्रतिबद्धता के अंतर्गत आते हैं। यह वह श्रेणियां भी हैं, जिन्हें विशेष तौर पर भारतीय सेवा प्रदाताओं द्वारा अमेरिका में विशेष तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सेवा प्रदान करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
भारत और अमेरिका सेवाओं के व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे पर निर्भर हैं और परस्पर हितकारी संबंध साझा करते हैं। एक ओर जहां भारत से कुल निर्यात होने वाले सॉफ्टवेयर का लगभग 60 फीसदी निर्यात अमेरिका को किया जाता है, वहीं दूसरी ओर भारत के सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। सेवा व्यापार की बढ़ती संख्या ने अमेरिका में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि करने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि में भी सहयोग प्रदान किया है, इसलिए यह स्थिति दोनों देशों के लिए लाभकारी भूमिका का निर्माण करती है। एच1 बी और एल1 श्रेणियों के लिए अमेरिका द्वारा शुल्क वृद्धि से जहां एक ओर भारत के सेवा उद्योग की प्रतिस्पर्धा क्षमता प्रभावित हुई है, वहीं दूसरी ओर भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए अनिश्चितता की स्थिति भी उत्पन्न हो गई है, इससे विश्व व्यापार संगठन समझौते की मूल भावना पारदर्शी और पूर्वानुमान व्यापार वातावरण का उल्लंघन भी होता है। भारत आशा व्यक्त करता है कि विश्व व्यापार संगठन विचार-विमर्श के दौरान बातचीत सकारात्मक होगी और इससे इन व्यापार निरोधी प्रस्तावों को हटाने में सफलता प्राप्त होगी।

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