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इलाहाबाद ने वरुण गांधी को दिया दुलार!

एयरपोर्ट से शहर गांव तक लोकप्रियता के झंडे गाड़े

खास ओ आम ने कहा कि सीएम हो तो ऐसा!

दिनेश शर्मा

Tuesday 3 May 2016 10:04:19 AM

mp varun gandhi

इलाहाबाद। प्रचंड भाजपा नेता और सांसद वरुण गांधी को इलाहाबाद ने बहुत दुलार दिया। हर खास ओ आम ने कहा कि यूपी का सीएम हो तो ऐसा! वास्तव में वरुण गांधी ने अपने दो दिवसीय इलाहाबाद दौरे पर युवाओं और आम लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ ‌दिए हैं। यह अलग बात है कि भाजपा के ही कुछ बड़े नेता शर्म के मारे वरुण गांधी के सामने खुलकर नहीं आए, किंतु एक अकेले वरुण गांधी ने अपनी राजनीतिक ताकत का लोहा तो मनवा दिया। इलाहाबाद में जिसने भी वरुण गांधी का आदर-सत्कार देखा, वह यह जरूर कहता नज़र आया कि उत्तर प्रदेश भाजपा में इस समय मुख्यमंत्री पद के लिए वरुण गांधी से ज्यादा प्रचंड राजनेता कोई नज़र नहीं आता है और यह तथ्य इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दिशा केवल युवाओं को तय करनी है और राज्य में जितने भी युवा नेता हैं, वरुण गांधी उन सब पर भारी हैं। इलाहाबाद देश की शीर्ष राजनीति का केंद्र रहा है और आज भी यहां के लोग किसी भी राजनेता को यूं ही सर पर नहीं बैठाते हैं, लेकिन वरुण गांधी को सब तरफ सर आंखों पर बैठे देखा गया। वरुण गांधी का इलाहाबाद दौरा यूं तो किसानों, आम लोगों और बुद्धिजीवियों के बीच था, मगर इसमें बड़ी संख्या में युवा शामिल थे, जो अपनी भावनाओं को नहीं रो‌क पा रहे थे और तख्ती, बैनर लेकर कह रहे थे कि वरुण गांधी को सीएम बनाओ।
वरुण गांधी ने गोपाल विद्यालय इंटर कॉलेज कोरांव सहित हर जगह किसानों को बहुत प्रभावित किया। उन्होंने देश के राजनीतिक दलों से कहा कि किसान संकट में हैं और इस मुश्किल घड़ी में वे किसानों के लिए आगे आएं। वरुण गांधी ने प्राकृतिक आपदा या कर्ज में फंसे और आत्महत्या जैसे कदम उठा चुके कुछ लोगों के परिजनों की आर्थिक सहायता के रूप में एक-एक लाख रुपए के चेक बांटे। वरुण गांधी प्रदेश के और जिलों में भी ऐसा करते आए हैं और वे जहां भी गए हैं, लोगों ने उन्हें अपने गले लगाया और वे वहां से सभी के नायक बनते हुए आगे बढ़ गए। उनके बारे में कहा जाता है कि वे शुरू से ही लोगों के दुखदर्द में खड़े होते आए हैं। वरुण गांधी को जानने वाले कहते हैं कि उनका स्वभाव एक बादाम की तरह है, जो ऊपर से कठोर तो दिखता है, लेकिन अंदर से बहुत मुलायम और गुणवाला होता है। इलाहाबाद में भी बीजेपी के अनेक लोगों ने कहा कि उत्तर प्रदेश को वरुण गांधी जैसे मुख्यमंत्री की ही जरूरत है, जिसमें न केवल नेतृत्व के अपार गुण हैं, अपितु वे आज की शासन व्यवस्था पर नियंत्रण रख सकते हैं, क्योंकि उन्होंने लोगों के बीच अपनी बात कहते हुए जो तेवर दिखाए हैं, उनमें आम आदमी के लिए कुछ करने की इच्छा शक्ति के भाव नज़र आते हैं। लोग उनमें और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में तुलना करते हुए कहते हैं कि वरुण गांधी के मैदान में उतार दिए जाने से समाजवादी पार्टी और बसपा इन दोनों को भारी नुकसान होगा, क्योंकि उत्तर प्रदेश की जनता के सामने वरुण गांधी एक ऐसा चेहरा होगा, जिसका शासन हर कोई देखना चाहेगा।
इलाहाबाद में वरुण गांधी ने विभिन्न अवसरों पर अनेक ज्वलंत विषयों की चर्चा करते हुए कहा कि हमें धर्म, जाति और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर नए राजनीतिक प्रतिमान स्थापित करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि इस समय हमारा देश आर्थिक असमानता के दौर से गुजर रहा है, जहां एक तरफ किसान और आम आदमी कर्ज, ओलावृष्टि और सूखे की मार से आहत है और कहीं विजय माल्या जैसा पूंजीपति अरबों रुपये लेकर देश से फरार हो जाता है। वरुण गांधी ने रुक-रुककर सूखा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और किसानों का हाल पूछा। बुंदलेखंड और इलाहाबाद में यमुनापार के हालात को उन्होंने एक दूसरे से जोड़ा। उन्होंने कहा कि पात्रता के बावजूद तमाम किसानों को बैंकों से कर्ज नहीं मिल रहा। उन्होंने समाज के सभी वर्गों के सक्षम लोगों से किसानों की मदद करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि इस मुश्किल में किसानों के दुखदर्द में हाथ नहीं बंटाया गया तो वे अलग-थलग पड़ जाएंगे। उन्होंने सरकार से कहा कि वह किसानों का कर्ज माफ न कर सके तो कम से कम उनसे ब्याज तो न ले। वरुण गांधी इससे आम आदमी और किसानों के दिल में उतर गए। उन्होंने कहा कि यूपी के नौजवानों में हिम्मत और मेहनत करने की क्षमता है, लेकिन उनके लिए रोज़गार के अवसर नहीं हैं, इसलिए वे बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने युवाओं को स्वच्छ राजनीति के प्रतिमान स्‍थापित करने के लिए प्रेरित किया क्योंकि राजनीति व्यापार का रूप लेती जा रही है, जो ठीक नहीं है। उन्होंने युवाओं को बुराईयों से दूर रहकर अपने को रचनात्मक कार्यों एवं कौशल विकास से जोड़ने का आह्वान किया।
वरुण गांधी से इलाहाबाद के अनेक विशिष्ट नागरिकों ने भी मुलाकात की। यहां उनके पिता और युवा ह्दय सम्राट के नाम से विख्यात हुए संजय गांधी के समय के बहुत से नेता भी नज़र आए। इन बहुत से राजनीतिक और सामाजिक नेताओं का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी को वरुण गांधी के राजनीतिक महत्व और उनकी उपयोगिता का सम्मान करते हुए राज्य के हित में उन्हें इस विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में पेश करना चाहिए। वरुण गांधी ने अपने को इलाहाबाद से इस तरह जोड़ा कि लोगों को यकीन हुआ कि वह जो ‌कह रहे हैं, वास्तव में वह सच है। उन्होंने कहा कि मैं भले ही सुल्तानपुर से सांसद हूं, लेकिन मेरी रगों में इलाहाबादी लहू दौड़ रहा है, यहां का कोई भी नागरिक मुश्किल समय में उन्हें याद कर सकता है। मेजा के रामनगर कस्बे में जनसभा में वरुण गांधी ने अपने को इलाहाबाद का बेटा बताया और कहा कि इलाहाबाद के लिए उनसे जो भी हो सकेगा वह करेंगे। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद ने भारत को पांच प्रधानमंत्री दिए हैं, इसलिए इलाहाबाद का स्थान भारत में उच्च है। उन्होंने राजकली, गुलाब कली, रीता सिंह एवं और भी पीड़ितों को सहायता राशि का वितरण किया। वरुण गांधी के वक्तव्य और उदारता की यहां सर्वत्र प्रशंसा हुई है। उन्होंने अपने इलाहाबाद दौरे में गैरभाजपाई दलों में भी खासी खलबली मचाई है।
वरुण गांधी शनिवार को जब इलाहाबाद पहुंचे तो हवाई अड्डे पर भारी संख्या में युवाओं की भीड़ उनका इंतजार कर रही थी। यह वो भीड़ थी जो किसी के आह्वान पर नहीं, बल्कि वरुण गांधी के इलाहाबाद आने की खबर पाकर हवाई अड्डे पहुंची थी। इनमें उनके पिता संजय गांधी के समय के लोग भी थे, चाहे वो किसी भी दल में रहे हों, जिनकी ज़ुबान पर उस दौर के अनेक किस्से भी थे। बहरहाल हर किसी नेता के सम्मान में यहां युवाओं की इतनी भीड़ बहुत कम देखी गई है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भाजपा हाईकमान से वरुण गांधी को यूपी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषि‍त करने की मांग की। वरुण गांधी ने नैनी जेल में पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया से से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि बारा और मेजा के ग़रीब परिवारों की सौ बेटियों की शादी कराई जाएगी। इलाहाबाद की सड़कों के किनारे वरुण गांधी के पोस्टर और होर्डिंग्स बता रहे थे कि उनको लेकर इलाहाबाद की जनता में काफी उत्सुकता है। भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेताओं का भी मानना है कि उत्तर प्रदेश के मौजूदा हालात ऐसे हैं, जिनमें भाजपा हाईकमान को राजनीतिक उठापटक को किनारे कर वरुण गांधी पर भाजपा कार्यकर्ताओं की राय और मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। 

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