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डॉ अंबेडकर के आदर्श महान-राज्यपाल

अंबेडकर विश्वविद्यालय में दो दिवसीय संगोष्ठी

'भारत के विकास में बाबासाहेब का बड़ा योगदान'

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Thursday 14 April 2016 03:16:26 AM

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ में 'बाबासाहेब अंबेडकर के आधुनिक भारत के विकास में योगदान' विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रोफेसर जी हरगोपाल नेशनल लॉ स्कूल बंगलुरू, अंजुबाला सांसद, कुलपति डॉ आरसी सोबती, डॉ देवस्वरूप, प्रोफेसर पीसी जैन, छात्र-छात्राओं और कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। राज्यपाल ने बाबासाहेब की 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका अद्भुत व्यक्तित्व दूसरों को प्रेरणा देने वाला है, उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया है, वे प्रकांड विद्वान, समाज सुधारक, संविधान विशेषज्ञ और मानवतावादी अर्थशास्त्री थे।
राज्यपाल ने कहा कि हमें अपना मूल्यांकन करना चाहिए कि क्या हम बाबासाहेब के विचारों के अनुरूप समाज के लिए कुछ कर रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि वास्तव में बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर देश के संविधान के शिल्पकार हैं, उन्होंने संविधान सभा में राज्यपालों के दायित्व पर जो चर्चा की है, उसको पढ़कर लगता है कि उन्होंने जो चित्र बनाया था, वह आज भी सही दिखता है और उनकी दूरदर्शिता का परिचायक है। राम नाईक ने कहा कि वे तीव्र बुद्धि और दूरदर्शी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब में समानता के आधार पर सबको साथ लेकर चलने की क्षमता थी, समाज को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने लोगों को शिक्षित करने का आग्रह किया, बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने कालेज की स्थापना की तथा कानून की पढ़ाई के लिए सायंकालीन कक्षाओं की शुरूआत की।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि बाबासाहेब का मानना था कि शिक्षा और संघर्ष के आधार पर समाज आगे बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर राष्ट्र को सर्वोपरि मानते थे, वे छूआ-छूत के विरोधी थे, अस्पृश्यता के विषय को उन्होंने तर्क के साथ इस तरह जोड़ा कि सामने वाले को सामाजिक न्याय कैसा हो उसके बारे में जानकारी हो सके, आजादी के बाद वे केंद्र में मंत्री भी बने, बाबासाहेब और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्री परिषद में रहते हुए देश के लिए अद्भुत काम किया, वैचारिक मतभेद के कारण दोनों ने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था, डॉ भीमराव अंबेडकर में अपने विचारों की प्रमाणिकता के साथ अडिग रहने की क्षमता सलाम करने योग्य है।
राज्यपाल ने कहा कि हमें बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रेरणाओं और विचारों को व्यवहार में लाने का संकल्प लेना होगा, बाबासाहेब के विचारों को सीमित न रखते हुए उसे समाज के बीच लाने की जरूरत है, जिस समाज से हम आते हैं उस समाज में भी उन्हीं विचारों को लेकर जाएं। राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने चरित्र और व्यवहार से ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए, जो बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की विचारधारा के अनुरूप हो और जहां ग़रीब से ग़रीब आदमी भी समाज में समाधान के साथ रह सकता है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। संगोष्ठी में कुलपति प्रोफेसर आरसी सोबती ने स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की और दूसरे लोगों ने भी अपने विचार रखे।

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