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'भारतीय सिनेमा झुग्गियों से बाहर निकले'

भारतीय फिल्मों में व्यथाएं दिखाना बना है मिथक

फ्रांसीसी फिल्म निर्माता पियरे ने दी नसीहत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 27 November 2015 05:08:27 AM

french filmmaker pierre sulin

पणजी। फ्रांस के विख्‍यात फिल्‍म निर्माता पियरे एसौलिन ने भारतीय सिनेमा और भारतीय फिल्म निर्माताओं को आयना दिखाते हुए नसीहत दी है कि भारत के पास कई सारे खूबसूरत आयाम हैं, जो अंतर्राष्‍ट्रीय दर्शकों के सामने प्रस्‍तुत किए जाने चाहिएं, मगर भारतीय सिनेमा में गरीबी, भिखारियों और झुग्‍गियों को प्रदर्शित करना एक मिथक बन गया है। पियरे एसौलिन ने कहा कि कई भारतीय फिल्‍मकारों की यह गलत धारणा है कि अगर अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍वीकृति चाहिए तो उन्‍हें निश्‍चित रूप से भारत के कष्‍टों, व्‍यथाओं और महिलाओं के शोषण को फिल्मों में दिखाना होगा, क्योंकि वे सोचते हैं कि पश्‍चिमी दर्शकों को यही चीज भाती है, जबकि यह पूरी तरह एक मिथक है। फ्रांसीसी फिल्म निर्देशक ने कहा कि भारत में बहुत सारी अच्‍छी फिल्‍में भी बनाई जा रही हैं, जिन्‍हें दुनियाभर में सिनेमा के प्रेमियों को दिखाए जाने की जरूरत है।
आईएफएफआई-2015 में मीडिया से बातचीत में पियरे एसौलिन ने नई धारा के निर्देशकों के नवीनतम प्रयोगों का जिक्र करते हुए टिप्‍पणी की कि भले ही कुछ देर से सही, भारतीय सिनेमा विश्‍व सिनेमा में अपना स्‍थान प्राप्‍त करने के करीब आ रहा है, लेकिन उसे झुग्गी-झोपड़ियों की धारणा तोड़नी ‌होगी। पियरे एसौलिन ने भारत में ‘वानप्रस्‍थम’ फिल्‍म का निर्माण किया है, जिसे मशहूर मलयाली निर्देशक शाजी करूण ने निर्देशित किया है, यह फिल्‍म भारत की एक क्‍लासिक फिल्‍म मानी जाती है। पियरे एसौलिन भारत की स्‍वतंत्र फिल्‍मों को प्रस्‍तुत करने के लिए फ्रांस में आयोजित किए जा रहे फिल्‍म समारोह ‘एक्‍सट्रावैगेंट इंडिया (असाधारण भारत)’ के अध्यक्ष भी हैं। यह मंच सभी वर्गों से भारतीय सिनेमा की फीचर फिल्मों तथा वृत्त चित्रों को प्रदर्शित करता है। प्रतियोगिता वर्ग के अतिरिक्त समारोह में भारतीय क्लासिक, रेट्रोस्पेक्टिव तथा बॉलीवुड सेक्शन भी है। इस समारोह में कुल मिलाकर 26 फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी।
चैम्स इलिसिस में अक्टूबर 2016 में आयोजित किए जाने वाले भव्य भारतीय समारोह में इसे फ्रांस तथा नीदरलैंड के अन्य स्थानों पर ले जाया जाएगा। यह समारोह का तीसरा संस्करण होगा। प्रस्तावित समारोह के बारे में विवरण देते हुए समारोह की निर्देशिका गेब्रियल ब्रेनेन ने कहा कि यह समारोह पहले ही सर्वश्रेष्ठ युवा भारतीय सिनेमा के लिए एक संदर्भ बन चुका है और इसकी महत्वाकांक्षा भारतीय फिल्मों के लिए यूरोप का द्वार बनने की है। उन्होंने कहा भारतीय सिनेमा बेहद खूबसूरत है और सवाल उठाया कि इसे फ्रांस के लोगों के सामने आखिर क्यों नहीं पेश किया जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि फिल्म समारोह भारतीय संस्कृति के बारे में पूरे यूरोप में समझ विकसित करने में सहायता करते हैं। समारोह के भारतीय सह-समन्वयक तथा कई शानदार लघु फिल्मों एवं वृत्त चित्रों के निर्माता रमेश टेकवानी ने कहा कि समारोह ने भारतीय फिल्मों, विशेष रूप से स्वतंत्र सिनेमा के संपूर्ण विस्तार को फ्रांस के लोगों के सामने प्रस्तुत किया है। अब लोग जान गए हैं कि भारतीय सिनेमा बॉलीवुड के अतिरिक्त भी बहुत कुछ है।

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