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प्रेमचंद की कहानियों पर नाटक का मंचन

हिंदू कालेज में नाट्य कलाकारों की शानदार प्रस्तुति

'कफ़न' एवं 'सद्गति' में जातिभेद पर तीखा प्रहार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 2 November 2015 02:38:42 AM

staged drama on the stories of premchand in hindu college

नई दिल्ली। सुपरिचित लेखक और संस्कृतिकर्मी विकास नारायण राय ने हिंदू कालेज में हिंदी नाट्य संस्था 'अभिरंग' में प्रेमचंद की दो प्रसिद्ध कहानियों 'कफ़न' एवं 'सद्गति' के मंचन पर कहा है कि देश की युवा पीढ़ी प्रेमचंद से निकटता महसूस करती है और उन्हें प्रासंगिक समझती है यह सचमुच बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने जातिभेद पर तीखा प्रहार किया है, जो हमारे समाज के लिए आज भी रोशनी का स्रोत है। उन्होंने कहा कि वे कफ़न और सद्गति से काफी पहले मुक्ति मार्ग में इस समस्या से गंभीर मुठभेड़ कर चुके थे और उनका लेखन इस समस्या को दिखाता ही नहीं है, अपितु इस समस्या को हल करने की दिशा भी देता है।
इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर अनूप बेनीवाल ने कहा कि प्रेमचंद का लेखन हमारे देश और समाज का भूतकाल ही नहीं बताता, अपितु यह वर्तमान का भी चित्रण कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर कोशिश करनी चाहिए कि प्रेमचंद की चित्रित सामाजिक समस्याएं भविष्य के भारत में न हों। इससे पहले 'अभिरंग' के युवा अभिनेताओं ने इन दोनों कहानियों का प्रभावशाली मंचन किया, जिसमें घीसू और माधव की भूमिकाएं पीयूष और आदर्श मिश्रा ने निभाई, वहीं सद्गति में दुखी का अभिनय रजत और पंडित का आदर्श ने किया। दोनों नाटकों में तनूजा, अतुल, महेंद्र, अनुपमा, आकांक्षा, अनुपम, नीरज, ऋषिका, आशुतोष, पिंकी ने अभिनय किया। सूत्रधार के रूप में शिवानी, स्नेहदीप और पूजा ने नाटक को गति दी।
नाटक के निर्देशक युवा रंगकर्मी और एमए के विद्यार्थी कपिल कुमार ने सभी पात्रों का अभिनय कर रहे विद्यार्थियों का परिचय दिया और इन कहानियों को मंचन के लिए चुनने की प्रेरणा बताई। मंच सज्जा नीरज, ज्योति और गार्गी ने की। हिंदू कालेज के खचाखच भरे प्रेक्षागृह में कॉलेज के अलावा अनेक संस्थानों से आए दर्शक भी उपस्थित थे। आयोजन में इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आशुतोष मोहन, रंगकर्मी अनूप त्रिवेदी, जाकिर हुसैन कालेज के नवीन रमण, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ विजया सती, डॉरामेश्वर राय, डॉअभय रंजन, डॉ विमलेंदु तीर्थंकर और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। आभार प्रदर्शित करते हुए अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने कहा कि जिस समाज में धर्मसत्ता और सामंती संस्कार गहराई से मौजूद हों, वहां प्रेमचंद की कहानियां और भी जरूरी हो जाती हैं।

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