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ऑस्ट्रेलिया पांचवीं बार विश्व कप विजेता

यह क्रिकेट है क्रिकेट, जिसमें कुछ भी हो सकता है!

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Sunday 29 March 2015 09:13:59 AM

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मेलबर्न। सिडनी में भारत के गेंदबाजों और प्रारंभिक बल्लेबाजों की विफलता ने ऑस्ट्रेलिया को आज पांचवीं बार क्रिकेट का विश्व कप विजेता बनवा दिया। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी ही सरज़मी मेलबर्न में न्यूजीलैंड से फाइनल मुकाबले में आईसीसी का विश्व कप तीन विकेट से जीत लिया है। ऑस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज न्यूजीलैंड पर टूट पड़े और उसको 183 रन पर ही समेट दिया। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क के शानदार अर्धशतक से ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को 101 गेंद शेष रहते ही हरा दिया। मिशेल जॉनसन, जेम्स फॉकनर और मिशेल स्टार्क ने न्यूजीलैंड की पारी की कमर तोड़कर उसकी टीम को 45 ओवरों में ही ढेर कर दिया। विश्व कप 1983 में भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ फाइनल में इसी स्कोर का सफलतापूर्वक बचाव किया था, लेकिन न्यूजीलैंड इतिहास नहीं बना सका। ऑस्ट्रेलिया 33.1 ओवर में तीन विकेट पर 186 रन बनाकर क्रिकेट का वर्ल्ड चैंपियन बन गया।
आस्ट्रेलिया इससे पहले 1987, 1999, 2003 और 2007 में क्रिकेट का विश्व कप जीता चुका है। इस जीत के साथ ही ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने एक वर्ल्ड चैंपियन के रूप में एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा। उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह फाइनल के बाद क्रिकेट के इस प्रारूप से सन्यास ले लेंगे। ऑस्ट्रेलिया को चमचमाती ट्रॉफी के साथ 39 लाख 75 हजार डॉलर का चेक मिला, जबकि न्यूजीलैंड को 17 लाख 50 हजार डॉलर मिले। ऑस्ट्रेलिया की जीत उसके बायें हाथ के तीन तेज गेंदबाजों जॉनसन, फॉकनर और स्टार्क के नाम जाएगी। न्यूजीलैंड के सेमीफाइनल के नायक ग्रांट इलियट ने 82 गेंदों पर 83 रन की पारी तो खेली, लेकिन आखिर में उसके विकेटों का तेजी से पतन हुआ और वह चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा करने में विफल रहा। कीवियों ने आखिरी दस ओवरों में सात विकेट पर 33 रन ही बनाए।
भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2011 में अपनी जमीन पर विश्व कप जीता था। ऑस्ट्रेलिया के सामने कोई बड़ा लक्ष्य नहीं था, उसकी शुरुआत भी अच्छी नहीं रही, लेकिन छोटे लक्ष्य के सामने उसके बल्लेबाज़ विश्व कप निकाल ले गए। इस आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के फाइनल मुकाबले में यह संयोग भी देखने को मिला कि पहले बल्लेबाज़ी करते हुए न्यूजीलैंड ने ऑस्ट्रेलिया के सामने उतने ही रनों का लक्ष्य दिया था, जितना कि 1983 विश्व कप में भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज़ को दिया था। मेलबर्न क्रिकेट मैदान पर फाइनल मुकाबले में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए न्यूजीलैंड की टीम 45 ओवर में 183 रन बनाकर आउट हो गई और ऑस्ट्रेलिया ने 33.1 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया। कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए वेस्टइंडीज़ के सामने 184 रनों का लक्ष्य दिया था, लेकिन उस दौर में ताकतवर कही जाने वाली वेस्टइंडीज़ टीम को भारतीय गेंदबाजों ने लक्ष्य तक नहीं पहुंचने दिया था और विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल किया था।
न्यूजीलैंड की क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता में आज यहां यह भी नया इतिहास लिखा गया, जब ये दोनों टीम पहली बार एमसीजी में आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में आमने-सामने हुईं। ग्यारह टूर्नामेंटों में पहली बार फाइनल में जगह बनाने वाले न्यूजीलैंड का चार बार के विश्व विजेता से सामना था जिसके नाम पर ना सिर्फ सर्वाधिक विश्व खिताब हैं, बल्कि उसने 1975 से अब तक सर्वाधिक सात बार फाइनल में प्रवेश किया है। ऑस्ट्रेलिया को बड़े टूर्नामेंटों के फाइनल में खेलने का काफी अनुभव है, जबकि न्यूजीलैंड के पास इतिहास रचने का मौका था। दुनिया को कई दिग्गज क्रिकेटर देने के बावजूद न्यूजीलैंड की टीम विश्व क्रिकेट में उतनी सफल नहीं रही। विश्व क्रिकेट में न्यूजीलैंड को सबसे बड़ी सफलता वर्ष 2000 में मिली थी, जब उसने नैरोबी में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत को हराया था। न्यूजीलैंड की टीम विश्व कप में इससे पहले छह बार सेमीफाइनल तक पहुंची, लेकिन कभी सेमीफाइनल की बाधा को पार नहीं कर पाई थी, मगर इस बार फाइनल में पहुंची और उसकी संभावित टक्कर भारत से मानी जा रही थी, किंतु भारत का दुर्भाग्य ही रहा।
न्यूजीलैंड के दिग्गज क्रिकेटर रिचर्ड हैडली, ग्लेन टर्नर, मार्टिन क्रो, स्टीफन फ्लेमिंग भी विश्व कप नहीं जिता पाए, लेकिन ब्रैंडन मैकुलम की अगुआई वाली इस टीम में विश्व कप जीतने के लिए सभी योग्यताएं थीं, इसने भी श्रीलंका के खिलाफ टूर्नामेंट के पहले मैच सहित लगातार आठ जीत दर्ज कीं। न्यूजीलैंड ने फाइनल तक के अपने इस सफर में दो करीबी मैच जीते। एक मैच में ऑस्ट्रेलिया को ही अपनी सरजमीं पर एक विकेट से हराया, जबकि सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बड़े स्कोर वाला मुकाबला भी काफी करीबी रहा। विश्लेषण करें तो ऑस्ट्रेलिया का सफर भी आसान नहीं रहा, उसे न्यूजीलैंड के खिलाफ शिकस्त झेलनी पड़ी, जबकि बांग्लादेश के खिलाफ उसका मैच बारिश की भेंट चढ़ गया। क्वार्टर फाइनल में भी एक समय पाकिस्तान की टीम ऑस्ट्रेलिया को परेशान करने में सफल रही, लेकिन मेजबान टीम अंतत: जीतने में सफल रही। ऑस्ट्रेलिया का सेमीफाइनल में पाकिस्तान पर विजय से जो मनोबल बढ़ा, वह भारत और न्यूजीलैंड पर जीत दर्ज में बड़ा सहायक बना। इसमें भी अहम बात यह है कि उसने सभी मैच अपने बड़े मैदानों पर जीते हैं, जबकि न्यूजीलैंड ने अपने देश के तुलनात्मक रूप से छोटे मैदानों पर जीत दर्ज की है।
फाइनल में न्यूजीलैंड की भी बल्‍ल्‍ेबाजी जवाब दे जाएगी, इसकी उम्मीद नहीं थी, जबकि न्यूजीलैंड के कप्तान मैकुलम ऑस्ट्रेलिया के कप्तान माइकल क्लार्क की तुलना में बेहतर फॉर्म में थे। दरअसल बड़े मुकाबलों में हमेशा अपने कप्तानों से काफी उम्मीद रहती है। क्लाइव लॉयड 1975, इमरान खान 1992, रिकी पोंटिंग 2003 और महेंद्र सिंह धोनी 2011 में अपनी टीम को खिताब दिलाने में निर्णायक भूमिका निभा ही चुके हैं। न्यूजीलैंड के पास ग्रांट इलियट और कोरी एंडरसन जैसे ऑलराउंडर हैं तो ऑस्ट्रेलिया के पास भी स्टार बल्लेबाजों की कोई कमी नहीं है, लेकिन यह क्रिकेट है जिसमें कुछ भी हो सकता है और वो हुआ। सनद के लिए यह फाइनल खेलीं ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की टीमों में खिलाड़ी इस प्रकार रहे-ऑस्ट्रेलिया टीम में ग्लेन मैक्सवेल (कप्तान), डेविड वॉर्नर, आरोन फिंच, स्टीवन स्मिथ, ग्लेन मैक्सवेल, ब्रैड हैडिन, शेन वॉटसन, जेम्स फॉकनर, मिशेल स्टार्क, मिशेल जॉनसन, जेवियर डोहर्टी, पैट कमिंस, जार्ज बैली और मिशेल मार्श। न्यूजीलैंड टीम में ब्रैंडन मैकुलम (कप्तान), मार्टिन गुप्टिल, केन विलियमसन, रोस टेलर, कोरी एंडरसन, ग्रांट इलियट, ल्यूक रोंची, डेनियल विटोरी, ट्रेंट बोल्ट, टिम साउथी, मैट हेनरी, काइल मिल्स, नाथन मैकुलम, मिशेल मैकलेनाघन और टाम लैथम।

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