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मंगल और अग्नि भारत की बड़ी सफलता

बंगलुरू में एयरोस्पेस विजनः 2050 पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 17 February 2015 04:55:22 AM

international seminar on aerospace vision 2050 in bangalore

बंगलुरू। अंतर्राष्ट्रीय रूप से विख्यात द्विवार्षिक वायु प्रदर्शनी-एयरो इंडिया 2015 की शुरूआत के एक प्रस्तावना के रूप में बंगलुरू में एक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 'एयरोस्पेस विज़नः 2050' की शुरुआत हुई। रक्षा मंत्रालय के प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में एयरोनौटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (एईएसआई) के साथ आयोजित यह सघन तकनीकी संगोष्ठी उन मुद्दों पर गौर करने तथा विचारों के आदान-प्रदान की रूपरेखा तैयार करती है, जो वायु आकाश के सैन्य एवं नागरिक दोनों ही क्षेत्रों में लगातार बढ़ते दायरे में 'आज की जरूरतों' पर समंवित होती है।
रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की और भारत की वायु आकाश प्रौद्योगिकी योजनाओं और इसके कार्यांवयन के परिणामों एवं उपलब्धियों को याद किया और इसे बेहद लाभदायक बताया। उनके संबोधन में मंगल ग्रह कृत्रिम उपग्रह मिशन समेत मंगल ग्रह अन्वेषण अंतरिक्षयान कार्यक्रम से लेकर सतह से सतह पर मार करने वाले मध्यम दूरी के प्रक्षेपास्त्रों (आईआरबीएम) की अग्नि श्रृंखला के सफल परीक्षणों का उल्लेखनीय रूप से जिक्र हुआ। पांच हजार किलोमीटर की दूरी के दायरे तथा एक टन से अधिक वज़न के मुखास्त्र को ढोने की क्षमता के साथ 1 फरवरी को अग्नि-V के हाल के सफल परीक्षण की सराहना करते हुए उन्होंने कहा 'अग्नि-V देश की सामरिक प्रहार क्षमता में एक बड़ी बढ़ोतरी है।
रक्षा राज्यमंत्री ने डीआरडीओ की जिन अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियों का जिक्र किया, उनमें स्वदेशी रूप से निर्मित लंबी दूरी के सब-सोनिक क्रूज मिसाइल 'निर्भय', विमानस्थ प्रारंभिक चेतावनी एवं नियंत्रण (एईडब्ल्यू एंड सी) प्रणाली और हल्के लड़ाकू वायुयान (एलसीए) 'तेज़स' शामिल थे। भारी उद्यम एवं लोक उद्यम राज्यमंत्री जीएम सिदेश्वर ने इस अवसर पर वायु आकाश में स्वदेशी रूप से विकसित विभिन्न प्रणालियों को वायु आकाश क्षेत्र में 'भारतीय शूरता' का प्रतीक बताया। समारोह में उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों में विख्यात वैज्ञानिक एवं डीजी (एयरो) डॉ के तमिलमणि, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के सीएमडी एसके शर्मा, हिंदुस्तान एयरोनौटिक्स के सीएमडी टी सुवर्णा राजू और एईडब्ल्यू एंड सी और सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम्स के विख्यात वैज्ञानिक एवं प्रोग्राम निदेशक डॉ एस क्रिस्टोफर शामिल थे।

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