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भारत में प्रतिस्‍पर्धा संस्‍कृति को बढ़ावा

सलाहकार समूह ने भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग को दी सलाह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 18 January 2013 07:57:24 AM

नई दिल्ली। विशिष्‍ट व्‍यक्ति सलाहकार समूह-ई पीएजी की आज दिल्‍ली में हुई द्वितीय बैठक में सलाह दी गई कि देश में समग्र शासन की संस्‍कृति के स्‍थान पर प्रतिस्‍पर्धा की संस्‍कृति लानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि प्रतिस्‍पर्धा आयोग को सरकारी संगठनों से मिलकर देश में प्रतिस्‍पर्धा को बढ़ावा देने की कार्यप्रणाली विकसित करनी चाहिए। एनएलएसआईयू के पूर्व कुलपति और ईपीजीए के सदस्‍य एनएल मित्रा ने कहा कि बहुनियामक व्‍यवस्‍था में सेक्‍टोरल नियामक व्‍यवस्‍था ही प्रबंधन करेंगे और कार्यकारी नियामक के रूप में काम करेंगे। बाजार नियंत्रक होने के कारण प्रतिस्‍पर्धा आयोग को प्रतिस्‍पर्धा की संस्‍कृति कोबढ़ावा देनी चाहिए। यह सुझाव दिया गया कि प्रतिस्‍पर्धा आयोग के सामने विलय या अधिग्रहण का मामला लाए जाने पर संबंधित कंपनियों को प्रतिस्‍पर्धा उद्यम संबंधी रिपोर्ट पेश करने को कहा जाए।
पूर्व नियत्रंक और महालेखा परिक्षक तथा ईपीजीए के सदस्‍य वीएन कौल ने भी सरकारी नीतियों में प्रतिस्‍पर्धा संबंधी व्‍यवहार प्रणाली के अध्‍ययन की आवश्‍यकता पर जोर दिया। सीईआरसी के पूर्व अध्‍यक्ष तथा ईपीएजी के सदस्‍य डॉ एसएल राव ने कृषि विपणन के क्षेत्र में प्रतिस्‍पर्धा को बढ़ावा देने के लिए अध्‍ययन किए जाने की सलाह दी। उन्‍होंने प्रतिस्‍पर्धा अधिनियम को मीडिया के सामने और अधिक लाना सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की भी सलाह दी।
भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग के अध्‍यक्ष अशोक चावला ने ईपीएजी को पिछले छह महीनों में हुई गतिविधियों की जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि मई 2009 में गठन के बाद प्रतिस्‍पर्धा आयोग के सामने कुल 321 मामले आए, जिनमें से 230 निपटा दिए गए। निपटाए गए कुल मामलों में आठ हजार करोड़ से अधिक का दंड लगाया गया है। विलय के मामलों में स्‍वनिर्धारित 30 दिन की समय सीमा के अनुरूप मंजूरी दी गई। भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग ने ईपीजीए का गठन मई 2012 में किया था। बाजार तथा प्रतिस्‍पर्धा को प्रभावित करने वाले मुद्दों, अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यवहार तथा पक्ष समर्थन सहित व्‍यापक सलाह के लिए इसका गठन किया गया था।

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