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एफपीआई मंत्रालय ने तैयार की नई योजनाएं

खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग के विकास में आएगी तेजी

एफएसएसएआई के अध्‍यक्ष के चंद्र मौली से भेंट

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 10 June 2014 09:44:13 PM

harsimrat kaur badal

नई दिल्ली। खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग के उत्‍पाद मंजूरी लेने में आ रही दिक्‍कतों पर चर्चा करने के लिए कल शाम भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण के अध्‍यक्ष के चंद्र मौली से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान हरसिमरत कौर बादल ने एफएसएसएआई द्वारा उत्‍पादों को मंजूरी दिए जाने में अधिक देरी करने का मुद्दा उठाया। हरसिमरत कौर बादल ने खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों को किसानों के हितों में नई योजनाएं बनाने के लिए निर्देश दिए हैं, इनमें ‘फार्म टू शेल्‍फ’ जैसी योजना के तहत किसानो के द्वार तक पहुंचने वाली मोबाइल प्रोसेसिंग वैनों का परिचालन भी शामिल है।
हरसिमरत कौर बादल ने बताया कि इसके अलावा कारोबार बढ़ाने के लिए छोटी खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयों की स्‍थापना, ग्राम स्‍तर पर प्रशिक्षण और प्रसंस्‍करण केंद्र भी बनाये जाएंगे, ताकि किसानों का उत्‍पाद प्रसंस्‍करण के बाद सीधे बाजार तक पहुंच सके। उन्‍होंने सीआईआई, फिक्‍की जैसे औद्योगिक और अन्‍य वित्‍तीय संगठनों से इस क्रांतिकारी पहल में सहयोग देकर इस मुहिम का हिस्‍सा बनने का आग्रह किया है, ताकि खाद्य प्रसंस्‍करण को गांव के स्‍तर तक ले जाया जा सके। हरसिमरत कौर बादल ने उत्‍पादों को मंजूरी प्रदान करने में होने वाली देरी के मुद्दे पर सीआईआई और फिक्‍की जैसे औद्योगिक संगठनों से मुलाकात कर उनके सुझाव मांगे। उन्‍होंने येस बैंक के अध्‍यक्ष राणा कपूर से भी मुलाकात की। येस बैंक एक ऐसा बैंक है, जिसे खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग को ऋण देने और किसानों से संबंधित व्‍यापक व्‍यावहारिक जानकारी है।
खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री ने अपनी प्राथमिकताओं को स्‍पष्‍ट रूप से बताया। प्राथमिकताएं ये हैं-खाद्य प्रसंस्‍करण को बढ़ावा देकर खाद्य उत्‍पादों के बढ़ते दामों पर रोक लगाना। फलों और सब्जियों की फसल तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान को कम करना। खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग के विकास में तेजी लाना। सरकारी व्‍यवस्‍थाओं, प्रक्रियाओं और मंजूरी व्‍यवस्‍था को सरल और नियंत्रण मुक्‍त बनाना, ताकि खाद्य प्रसंस्‍करण परियोजनाओं में होने वाली देरी को कम कर परियोजनाओं को चलाने वाली कंपनियों के होने वाले भारी नुकसान को कम किया जा सके। उत्‍पादों की मंजूरी में होने वाली देरी में एफएसएसएआई की भूमिका की समीक्षा करना। 

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