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म्‍यांमार में भारत की ‌चिंताएं समझी गईं

आतंक, सुरक्षा व्‍यापार पर एकजुट दिखा म्‍यांमार सम्‍मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 5 March 2014 05:11:11 PM

myanmar conference

नेपीडौ। म्‍यांमार की राजधानी 'नेपीडौ' में तीसरे बिम्‍सटेक शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि हम सभी देश स्‍वाभाविक तौर पर एक समूह हैं। भौगोलिक सीमाओं ने हमें जोड़ा है और इतिहास ने हमें बांध रखा है, हमारी जमीनी और समुद्री सीमाएं साझा हैं, हमारी संस्‍कृति, धर्म और वास्‍तुशिल्‍प हमारे प्राचीन संबंधों का स्‍पष्‍ट प्रमाण प्रस्‍तुत करते हैं, बंगाल की खाड़ी के पार मॉनसून हमारी धरती को नवजीवन देता है, जबकि हमारा समुद्री व्‍यापार हमारी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को समृद्ध करता है, हम प्राकृतिक आपदाओं से लेकर आतंकवाद तक कई समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं साथ ही हम व्‍यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क के क्षेत्र में कई अवसरों को साझा करते हैं, ये सभी बातें हमारे सुखद भविष्‍य की पूर्व संकेत हैं। उन्‍होंने शिष्‍टमंडल की तरफ से राष्‍ट्रपति थिएन सिएन और म्‍यांमा सरकार के गर्मजोशी भरे स्‍वागत और शिखर सम्‍मेलन के शानदार प्रबंधों के लिये हार्दिक आभार व्‍यक्‍त किया। म्‍यांमार शिखर सम्‍मेलन आतंक, सुरक्षा और सहयोग के मुद्दे पर एकजुट दिखा और भारत की ‌चिंताएं समझी गईं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक साथ आकर हम न सिर्फ दक्षिण एशिया अथवा दक्षिण पूर्व एशिया जैसी क्षेत्रों की संकुचित, परंपरागत परि‍भाषाओं के दायरे से बाहर निकल रहे हैं, बल्कि हम एशिया के सबसे ज्‍यादा उज्‍ज्‍वल और गतिशील वृत्‍तखंड पर पुल भी बांध रहे हैं, पूरे एशिया में आज जहां संपर्क और एकीकरण, क्षेत्र में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने का माध्‍यम बन रहे हैं, ऐसे में बिम्‍सटेक इस दिशा में किए गए प्रयासों के सबसे उज्‍ज्‍वल उदाहरणों में से है। उन्‍होंने कहा कि भारत के लिए बिम्‍सटेक सहयोगियों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध दुनिया में सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है, क्षेत्रीय संदर्भों-दक्षेस, साथ ही साथ भारत-आसियान महत्‍वपूर्ण भागीदारी तथा मुक्‍त व्‍यापार समझौते में भी उनके साथ हमारे संपर्क काफी सुदृढ़ हैं, हम में से हर एक प्रचुर कौशलों, संसाधनों और अवसरों से संपन्‍न है, इसलिए हमें भरोसा है कि बिम्‍सटेक एक समूह के रूप में समृद्ध और विकसित हो सकता है और एशिया तथा विश्‍व की शांति, सद्भाव, सुरक्षा और समृद्धि में महत्‍वपूर्ण योगदान दे सकता है।
उन्‍होंने कहा कि इस समूह का ढाका स्थित स्‍थायी सचिवालय इसके विकास का महत्‍वपूर्ण मील का पत्‍थर साबित होगा और इसकी पेशकश करने के लिए उन्‍होंने बांग्‍लादेश का आभार व्‍यक्‍त करते हुए उम्‍मीद जताई कि सचिवालय बनने से हम उन क्षेत्रों पर ध्‍यान दे सकेंगे, जो बिम्‍सटेक के विज़न को सिद्ध करने के लिए विशेष रूप से महत्‍वपूर्ण हैं। उन्‍होंने कहा कि संपर्क वास्‍तविक और डिजिटल, उस विज़न का अहम अंग हैं, जो क्षेत्र में सहयोग और एकीकरण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भारत बिम्‍सटेक सदस्‍य देशों के साथ संपर्क बेहतर बनाने के लिए भारत-म्‍यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग, कलादान मल्‍टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रॉजेक्‍ट, संपर्क के लिए आसियान का मास्‍टर प्‍लान एशिया राजमार्ग नेटवर्क जैसी कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है, हम जल्‍द ही म्‍यांमार तक एक सीधी शिपिंग लाइन शुरू करेंगे, जिससे हमारे क्षेत्र के समुद्री संपर्क बढ़ेंगे। उन्‍होंने कहा कि सुझाव दिया कि हमें बिम्‍सटेक परिवहन अवसंरचना तथा लॉजिस्टिक्‍स अध्‍ययन पर एशियाई विकास बैंक के तैयार समग्र अध्‍ययन के आधार पर क्षेत्रीय महत्‍व की परियोजनाओं की पहचान करने और उन्‍हें लागू करने की जरूरत है, अब जबकि हम बुनियादी ढांचा विकसित करने में जुटे हैं, ऐसे में हमें साथ ही साथ देशों के बीच आवाजाही सुगम बनाने के लिए नियम और कायदे विकसित करने की दिशा में भी कार्य शुरू कर देना चाहिए।
मनमोहन सिंह ने कहा कि व्‍यापार और आर्थिक सहयोग हमारी प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए, हमें वस्‍तुओं के व्‍यापार के लिए बिम्‍सटेक मुक्‍त व्‍यापार समझौते को जल्‍द पूर्ण करने का लक्ष्‍य निर्धारित करना चाहिए तथा निवेश और सेवाओं को भी उसके दायरे में लाया जाना चाहिए, हममें से अधिकांश एक या उससे ज्‍यादा क्षेत्रीय आर्थिक व्‍यवस्‍थाओं के माध्‍यम से एक दूसरे से जुड़े हैं और बिम्‍सटेक के लिए एक होना हमारे लिए कठिन नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि ऊर्जा हम सभी के लिए प्राथमिकता का एक अन्‍य क्षेत्र है, भारत और उसके कुछ पड़ोसी ऊर्जा ग्रिड्स से जुड़ रहे हैं और हम ऊर्जा सहयोग की बदौलत क्षेत्रीय और राष्‍ट्रीय लाभ उठा रहे हैं, हमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में सहयोग के अवसरों की जांच करते हुए ट्रांसमिशन हाईवेज तथा गैस और तेल पाइपलाइन के जरिए आपस में जुड़ना चाहिए, मुझे उम्‍मीद है कि इस बारे में बंगलौर का बिम्‍सटेक ऊर्जा केंद्र महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उन्‍होंने कहा कि संपर्क का एक और माध्‍यम पर्यटन है, जो आर्थिक विकास का सशक्‍त साधन है तथा लोगों और संस्‍कृतियों के बीच संपर्क सेतु भी है, बिम्‍सटेक पर्यटन पैकेज तथा अंतर बिम्‍सटेक देशों के बीच यात्रा को बढ़ावा देने के लिए आइए हम वर्ष 2015 को बिम्‍सटेक पर्यटन वर्ष घोषित करें, इस क्षेत्र में मौसम पर हमारी आर्थिक निर्भरता और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी असहायता, इन क्षेत्रों में सहयोग के महत्‍व पर बल देती है। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2007 से ही भारत का राष्‍ट्रीय सुनामी पूर्व चेतावनी केंद्र नियमित रूप से हिंद महासागर से सटे देशों को पूर्व चेतावनियां दे रहा है, आज हमारे मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन पर हस्‍ताक्षर करते ही बिम्‍सटेक मौसम और जलवायु केंद्र दिल्‍ली से सटे नोएडा में तत्‍काल काम करने लगेगा। भारत संसाधन प्रबंधन और आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में अंतरिक्ष विज्ञान को अमल में लाने के लिए भी बिम्‍सटेक सहयोगियों के साथ काम करने को तैयार है। हमें समूह के प्रत्‍येक देश के विकास के लिए जरूरी कृषि, ग्रामीण विकास, सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य, प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन विकास जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाना चाहिए।
उन्‍होंने बताया कि भारत, संसदीय, युवाओं तथा खेलों और सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान को बहुत अहमियत देता है, हमने अपने समूह के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पूर्वोत्‍तर भारत में एक सालाना बिम्‍सटेक संगोष्‍ठी के आयोजन की शुरूआत की है। भारत में परंपरागत जड़ी-बूटियों का अध्‍ययन करने वाले बिम्‍सटेक छात्रों को 30 आयुष छात्रवृत्तियां देने की भारत नये सिरे से पेशकश करेगा, हमारी समृद्धि की तरह हमारी सुरक्षा को भी बांटा नहीं जा सकता है, चाहे वे हमारे क्षेत्र के समुद्री मार्गों की सुरक्षा का मामला हो या फिर आतंकवाद तथा अंतर्राष्‍ट्रीय अपराधों की चुनौतियां हों, बिम्‍सटेक क्षेत्र में आतंकवाद के बढ़ते खतरे ने इस समस्‍या से ज्‍यादा सशक्‍त रूप से निपटने की जरूरत बढ़ा दी है। इस प्रयास के तहत हमें अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद, अंतर-राष्‍ट्रीय संगठित अपराध तथा मादक पदार्थों की तस्‍करी से निपटने में सहयोग से संबंधित संधि की जल्‍द से जल्‍द पुष्टि करनी चाहिए तथा अपराधिक मामलों में परस्‍पर कानूनी सहायता से संबद्ध बिम्‍सटेक संधि पर जल्‍द से जल्‍द से हस्‍ताक्षर करने चाहिएं, हमें प्रत्‍यर्पण से संबंधित बिम्‍सटेक संधि पर भी विचार-विमर्श शुरू करना चाहिए। 

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